28 January 2010

एरिक सिगल की स्मृति में...

"love means not ever having to say you are sorry"...हम जैसे कितने ही आशिकों के लिये परम-सत्य बन चुकी इस पंक्ति के लेखक एरिक सिगल की मृत्य हो गयी इस 17 जनवरी को और मुझे इस बात का पता चला बस कल ही। यहाँ कश्मीर वादी के इस सुदूर इलाके में राष्ट्रीय अखबार वैसे ही एक दिन
विलंब से आते हैं और विगत कुछ दिनों से छब्बीस जनवरी के मद्देनजर से बढ़ी हुई चौकसी की वजह से अखबारों पे नजर नहीं फेर पा रहा था।...अचानक से कल निगाह पड़ी इस खबर पर तो धक्क से रह गयी धड़कनें एकदम से।

वर्ष 1993 की बात थी। सितम्बर या अक्टूबर का महीना। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में मेरा पहला सत्र। हम सभी कैडेटों को एक-एक प्रोजेक्ट मिला था करने को। मेरे प्रोजेक्ट का विषय था "20th Century's Best-sellers"...और अपने उसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में मेरा वास्ता पड़ा LOVE STORY से। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़...!!! जेनिफर और ओलिवर की इस अद्‍भुत प्रेम-कहानी ने मुझे मेरे पूरे वज़ूद को तरह-तरह से छुआ था और जाने कितनी बार पढ़ गया था मैं इस सौ पृष्ठ वाले उपन्यास को। उपन्यास की पहली ही पंक्ति में लेखक नायिका को मार देता है और
फिर इस ट्रेजिक प्रेम-कहानी का ताना-बाना कुछ इतनी खूबसूरती से बुना गया है...विशेष कर जेनिफर-ओलिवर के बीच के संवाद इतने मजेदार हैं कि आह...और अचानक से जो पता चला कि एरिक सिगल नहीं रहे तो दुखी मन मेरा ये पोस्ट लिखने बैठ गया। लव-स्टोरी की वो पहली पंक्ति याद आती है:-

What can you say about a twenty five year old girl who died?...that she was beautiful. And brilliant.That she loved Mozart and Bach.And the Beatles.And me

...बाद में इसी किताब पर आधारित इसी नाम से बनी फिल्म भी देखने का मौका मिला था। हलाँकि किताब वाला जादू फिल्म जगा नहीं पायी थी। इधर दो-एक साल पहले हिंदी में भी एक फिल्म आयी थी "ख्वाहिश" नाम की, जो मल्लिका शेरावत द्वारा दिये गये अनगिनत चुंबन-दृश्यों की वजह से सुर्खियों में रही थी। वो इसी किताब पर आधारित थी, यहाँ तक कि सारे डायलाग तक हिंदी में अनुवाद कर लिये गये थे। खैर, विषय से न भटकते हुये...वो वर्ष 93 का सितम्बर-अक्टूबर वाला महीना था, जब मेरा पहला परिचय हुआ था एरिक सिगल से और लव-स्टोरी पढ़ लेने के पश्चात बावरा हुआ मन उनकी सारी कृतियाँ खरीद लाया अपने संकलन के लिये। चाहे वो "Doctors" हो या फिर "Class" हो या फिर "Man,Woman and Child" ...या...या फिर लव-स्टोरी का ही सिक्वेल "Oliver's Story" हो। एक बार जब वो शेखर कपूर निर्देशित "मासूम" देखने का मौका मिला तो पता चला कि ये "Man,Woman and Child" पर ही आधारित है। वैसे अभी हाल ही में आयी "जाने तू या जाने ना" का प्लाट भी सच पूछिये तो बहुत कुछ "Doctors" पर ही आधारित है।

पिछले कुछेक सालों से मेरा ये प्रिय लेखक पार्किंसन से ग्रस्त था और तिहत्तर साल की उम्र में चला गया वो। यकीनन उधर ऊपर भी वो ईश्वर को अपनी "लव-स्टोरी" सुना रहा होगा। उनकी दिवंगत आत्मा को मेरा एक कड़क सैल्युट और श्रद्धांजलि...

61 comments:

  1. हमारी ओर से भी श्रृद्धांजलि!

    ReplyDelete
  2. एरिक सिगल के बारे में जानकर उनकी पुस्तक पढ़ने की इच्छा हो रही है...अभी तो आपके सुर में सुर मिलते हुए दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि ही दे सकता हूँ.

    ReplyDelete
  3. उनकी दिवंगत आत्मा को मेरा एक कड़क सैल्युट और श्रद्धांजलि...

    ReplyDelete
  4. एरिक सिगल के बारे में जानकार दुःख हुआ ....
    क्या ऐसी भी प्रेम कहानियां होती हैं ...
    उनकी इतनी सारी कहानियां फिल्मों से मिलती जुलती हैं ...आश्चर्य ...
    मगर ..तभी तो .....दुनिया गोल है ....

    ReplyDelete
  5. अगर आज भी भावुक प्रेम कथाओं पर आधारित किताबें बेस्ट सेलर्स हैं तो कहीं न कहीं एरिक की इस किताब के जादू के फिर से चलने की ख्वाहिश ही है.कि क्या पता कोई मारक प्रेम कथा फिर से आ गयी हो.उसी तासीर और वज़न की!

    इस पोस्ट को पढ़ लेने के बाद एक छिटका हुआ चिंतन-स्फुलिंग ये है कि अमेरिकी लोग शीर्षक को लेकर भेजामारी नहीं करते. सिर्फ 'लव स्टोरी'.औए ये हर जगह है.उनकी सारी होशियारी प्रोडक्ट और पैकेजिंग में है.शीर्षक ए बी सी कुछ भी चलेगा.

    और आता हूँ.इस पर लोगों के पास खूब कहने को होगा.

    ReplyDelete
  6. Shraddhanjalee us mahan lekhak ko..
    Jai Hind...

    ReplyDelete
  7. Shraddhanjalee us mahan lekhak ko..
    Jai Hind...

    ReplyDelete
  8. एरिक सिगल को कभी पढ़ा तो नहीं
    लेकिन आपकी लेखनी के अजब जादू से
    उनके व्यक्तित्व का सहज अंदाज़ा होने लगा है
    महान साहित्य कारों का अभाव हमेशा ही
    सालता है ....
    उन्हें मेरी और से भी भाव-भीनी श्रद्धांजली .

    ReplyDelete
  9. crap! just can't believe he is no more! God bless his soul.

    ReplyDelete
  10. एरिक सिगल को भावभीनी श्रद्धाँजली । शुभकामनायें

    ReplyDelete
  11. हमारी भी श्रृद्धांजलि!

    ReplyDelete
  12. एरिक सेगिल के बारे में मुझे भी पता चला था...बहुत दुख हुआ कि एक अच्छा लेखक चला गया. निसंदेह प्रेम, रिश्तों को कहने में वह सिद्धहस्त थे.

    ReplyDelete
  13. आपके माध्यम से एरिक सिगल के बारे में जाना - दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि.

    ReplyDelete
  14. लव स्टोरी एक जादू जगा देने वाली किताब है, मैंने अपने कालेज के दिनों के बाद पढ़ा था, इतनी छोटी सी किताब इतना बड़ा असर डालती है की क्या कहूँ...बिना इसे पढ़े नहीं जाना जा सकता...हमारी भी श्रधांजलि...
    नीरज

    ReplyDelete
  15. बड़ी दुखद खबर सुनाई आपने. हमने तो कभी नहीं पढ़ा उन्हें मगर हमारी प्रिया को उनका लेखन बहुत प्रिय था.

    ReplyDelete
  16. गौतम जी, आदाब
    एरिक सिगल जी को भावभीनी श्रद्दांजलि
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

    ReplyDelete
  17. हमारी ओर से भी श्रृद्धांजलि महान लेखक एरिक सिगल को. बातों ही बातों में आपने फिल्म सम्बन्धी कितनी ही जानकारियाँ दे दी.

    आप साहित्य के सच्चे पुजारी हैं जो व्यस्तताओं में भी हीरे चुन लेते हैं और हमारे जैसे जिज्ञासु को आलोकित करते रहते हैं... मुझे गर्व है आप जैसे बड़े भाई का स्नेह मिल रहा है.

    ReplyDelete
  18. एक श्रेष्‍ठ साहित्‍यकार का चुपचाप विदा हो जाना अखरता है। आपने जानकारी दी, सभी के लिए उपयोगी बनेगी। हमारी श्रद्धांजलि एरिक सिगल को।

    ReplyDelete
  19. एरिक सिगल और लव स्टोरी- कितनी यादों को जन्म दिला गए ये नाम. खबर मैं ने भी पढ़ी थी लेकिन खुद तक ही सीमित रखी थी. कुछ तो यहाँ लखनऊ से गोरखपुर तक के साहित्यकारों का मिज़ाज, जिन्हें अपने लिखे हुए के आगे किसी दूसरे से कोई सरोकार नहीं, दूसरे, जाहिलों के बीच एरिक की मौत बताओ, फिर ये बताओ वो कौन थे, उसके बाद उनकीउपलब्धियां......
    मेजर साब, आप को एक सैल्यूट और.

    ReplyDelete
  20. राज साहब
    बहुत ही गूढ़ जानकारी दी अपने
    किताबों और लेखक के बारे में
    एसे महान लेखक को श्रधांजलि
    और आपको बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  21. परीक्षाओं के दिन थे... हम बंगलुरु गए थे... अधिकतर युवा-युवतिओं के हाथों में हम यही किताब देखते थे... अब बहुत सारे लोगों को पढ़ते देखा तो लगा था जरूर अच्छा होगा... इधर हमारी इंग्लिश भी माशाल्लाह !!! हिम्मत करके गाँधी मैदान से एरिक सिगलकी किताब ली... किन्तु धाक के तीन पात ! अभी भी पटना में रैक पर वो किताब राखी है... इसका हिंदी अनुवाद है क्या ?

    ReplyDelete
  22. हमारी भी श्रृद्धांजलि!

    ReplyDelete
  23. गौतम जी, बहुत अच्छा किया जो ये पोस्ट लिखी....जब से मैंने भी उनके निधन की खबर पढ़ी है,जैसे उनकी किताबों की दुनिया में ही घूम रही हूँ...'लव स्टोरी' की वही जगह है...जो हिंदी में 'गुनाहों के देवता' की है....पुरानी फिल्म..:'अंखियों के झरोखों से' पूरी की पूरी इस फिल्म पर ही आधारित थी,बाद में और भी कई फिल्मे बनी उस कथ्य पर और सबलोग ओरिजिनल समझते रहें....उनकी एक पुस्तक ' The Class ' पर किसी चैनल पर एक बहुत अच्छा सीरियल भी बना था पर क्रेडिट कहीं भी उन्हें नहीं दिया गया था,.जिसने किताब पढ़ी हो बस वही समझ सकते थे,इरफ़ान खान का मुख्य किरदार था. बाद में वो सीरियल आधे में बंद भी हो गया
    शेखर कपूर ने ही बस न्याय किया था " Man Woman n Child ' के साथ. एरिक सिगल के साथ,साफ़ सुथरी भावनात्मक पुस्तकों का एक युग ही समाप्त हो गया,जैसे.मन मानने को तैयार नहीं हो रहा कि अब उनकी किताबें पढने को नहीं मिलेंगी...विनम्र श्रधांजलि

    ReplyDelete
  24. इनको पढ़ा तो नही ......... पर आपकी भाव पूर्ण पोस्ट से लग रहा है की ये कवि सचमुच बहुत से लोगों के दिल में राज करता होगा और आगे भी करेगा ........ हमारी ओर से भी श्रृद्धांजलि ......

    ReplyDelete
  25. @सागर....अब आप इसका हिंदी अनुवाद ना ही पढ़ें तो अच्छा....हमारी फिल्मों ने इसके कथ्य को इतनी बार दुहराया है कि आपको लगेगा आपने दो हज़ार बार पढ़ रखी है...हाँ,'डॉक्टर' या 'क्लास' का हिंदी अनुवाद मिले तो जरूर पढ़ें (पर मुझे शक है,किसी ने जहमत उठायी है,अनुवाद करने की) डॉक्टर कैसे बनते हैं...क्या परेशानियां आती हैं,उनकी ज़िन्दगी किन किन दौर से गुजरती है..सबका दस्तावेज़ है यह किताब...वैस ही 'क्लास' में यूनियन लीडर्स,प्रोफेसर्स,सबकी ज़िन्दगी की सच्ची दास्तान है...मैं हमेशा सोचती थी...कितना,रिसर्च,कितना होमवर्क ये लेखक करते हैं और ना जाने कितने लोगों से मिलते हैं.तब जाकर ऐसी किताब लिख पाते हैं.पर तभी तो आज हम सुदूर देश में बैठे अलग भाषा वाले इसकी चर्चा कर रहें हैं और ना जाने कितनी भाषाओं में यह सब लिखा जा रहा होगा.

    ReplyDelete
  26. ओह वीर जी ऐसा बाँध दिया आपने इस पुस्तक का नाम ले कर कि अब शायद मैं भी सारे नॉवेल पढ़ जाऊँ इसके। अभी न्यू ईयर वाले दिन एक फ्रैंड बता रही थी इस बुक के बारे में तो मैने इग्नोर कर दिया था, ये कह के पु्तक मेला से आई हिंदी बुक्स फिनिश कर लूँ पहले। मगर इधर मुझे लग रहा है कि मै जो कुछ पढ़ रही हूँ उनमें कुछ भी डूब जाने वाला नही है।

    बहुत तलब भी लग रही थी कुछ अच्छा पढ़ने की। जल्दी ही पढ़ के आपको बताती हूँ...!

    ReplyDelete
  27. बहुत ही अच्छा पोस्ट है. मुझे ऐसा लगा मानो कोई अच्छी सी कहानी पढ़ रही थी पर छोटी थी .
    एरिक सिगल को श्रद्धांजलि !!

    ReplyDelete
  28. sach kahu, mujhe jab pata chalaa thaa ki Eric Segal nahi rahe to barbas hi unaki padhhi LOVE STORY poori ki poori dimaag me utar aai. aour sach poochhiye to us hindi film ki vajah ne is kitaab ko padhhvayaa tha..aour yah bhi sach he ki 'khvaahish' usake saamne bilkul nahi tik saki, mujhe to kitaab ne na keval us samay tak baandhaa jab tak yah padhh kar poori na hui balki aaj tak baandh rakhaa he.,
    nishchit thaa ki aap is par likhate..vishudhha bhavnao ke dhani vyakti ke liye yah bahut aavshyak ho jataa., baharhaal..73 saal ki umra aour umra me unhone jo kuchh jiyaa vo adbhut tha..
    aapke saath meri bhi aapki tarah hi-कड़क सैल्युट और श्रद्धांजलि

    ReplyDelete
  29. हमारी तरफ़ से श्रृद्धांजलि दिवंगत आत्मा को !!

    ReplyDelete
  30. एरिक की मैं एक ही कृति पढ़ की हूँ। आपकी इस पोस्ट के ज़रिए कुछ और के नाम मालूम चले। अब उन्हें भी ज़रूर पढ़ूगी।

    ReplyDelete
  31. उनकी किताबें नहीं पढ़ीं, फिल्म भी नहीं देखी ।

    श्रद्धांजलि !

    ReplyDelete
  32. Mere liye to yah bilkul hi nayi jankari hai...isliye isne dhyaan ko baandh hi liya....

    Manushy ka shareer bhale nashwar hai,par uske krititv use amarta de dete hain...meri bhi shraddhanjali...

    ReplyDelete
  33. @रश्मि रविज़ा जी

    शुक्रिया जानकारी के लिए... अनुवाद कई बार कहानी और लेखनी की आत्मा मार देती है...

    ReplyDelete
  34. अंग्रेज़ी उपन्यास पढे नही और अंग्रेजी फ़िल्म समझ मे आती नही है ।जब हम पढते थे तब अंग्रेजी छ्टवें क्लास से शुरु होकर बी ए मे एच्छिक विषय हो जाती थी ।आपके लिखे को ही पढ लिया ।ख्वाहिश फ़िल्म भी नही देखी ।आपके प्रिय लेखक के निधन पर हम भी उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करते है

    ReplyDelete
  35. आपकी इस पोस्ट से ही जाना पढने की इच्छा हो आई है ..शुक्रिया ऐसे लोग हमेशा अपने लेखन से यही आस पास रहते हैं ..

    ReplyDelete
  36. हमारे हॉस्टल के हीरो थे ...एरी साहब .....मेडिकल में एडमिशन लेते ही उनकी किताब डॉक्टर्स अक्सर सिरहाने आ जाती थी ....लव स्टोरी का ये आलम था के असर प्यार में ये किताब गिफ्ट की जाती थी .....ओर इसका म्यूजिक ....आज भी लेपटोप में बंद है .खास तौर से इंस्ट्रुमेंटल वाला .....

    ReplyDelete
  37. एक और वाक्य है ’लव स्टोरी’ से जो मैं शर्त लगा सकता हूँ कि आपको अभी भी याद होगा..

    "True love comes quietly, without banners or flashing lights. If you hear bells, get your ears checked.”

    लव-स्टोरी के मध्यम से ही उनकी कलम से परिचय हुआ था...और दोबारा एक मित्र के प्रोजेक्ट के लिये उस किताब का सिनॉप्सिस लिखते वक्त फिर एक बार उस कलम के जादू मे डूबा था...विशेषकर नॉवेल मे उन्होने दोनो प्रमुख पात्रों का जो चरित्र-चित्रण किया था (खासकर लड़की का)उससे प्रभावित हुए बिना नही बचा था..कि लगता था कि दोनो को आप उतना ही अच्छे से जानते हैं..जितना के लेखक खुद..कैरेक्टर के सारे शेड्स जीवंत से लगते थे..खैर ’लव-स्टोरी’ पढ़ने के उस ’फेज’ से शीघ्र ही आगे बढ़ गया था..मगर अभी अखबार मे यह दुखद खबर पढ़ कर चरित्र फिर दिमाग मे घूम गये थे..
    हाँ याद आया कि इस पुस्तक पर बनी फ़िल्म (अंग्रेजी) तो थीक-ठाक थी..मगर उसका म्यूजिक...उफ़..नशा..अभी भी दिमाग मे बजता है!!(शायद उसका संगीत ऑस्कर मे भी गया था शायद)
    हमारी भी श्रद्धांजलि!! और आपको आभार!

    ReplyDelete
  38. ..लो उस म्यूजिक को मैने और डॉक साब से एक ही वक्त पर याद किया..दीर्घजीवी होगा!!:-)

    ReplyDelete
  39. कालेज़ के दौर में मैने भी पढ़ा था
    इतना प्रभावित तो नहीं हुआ पर मज़ा ज़रूर आया था।

    मेरी भी विनम्र श्रद्धांजलि

    ReplyDelete
  40. .
    .
    .
    Eric Segal का नाम तो बहुत सुना था पर पढ़ा नहीं कभी उन्हें...अब जब आपने इतनी शिद्दत से याद किया है उन्हें तो कल ही लाता हूँ उनका लिखा कुछ... और पढ़ता हूँ।
    दिवंगत लेखक को श्रद्धांजलि।

    ReplyDelete
  41. Eric Segal.....Afsos hai ham inhe padh nahi paaye....Parkinson ho gaya tha....issey man aur jyada aahat hua....Ishwar unki aatma ko shanti pradan karein

    ReplyDelete
  42. आपकी पोस्‍ट के माध्‍यम से दिमाग में आ गई हैं इनकी किताबें । किताबें खरीदतें वक्‍त ध्‍यान में रहेंगी । कुमार विनाद जी की गजल के लिए शुक्रिया । वाकई में दुष्‍यंत जी भेदन क्षमता है , ऑब्‍जर्वेशन है ।

    ReplyDelete
  43. महान लेखक को हमारी ओर से भी श्रृद्धांजलि

    वीनस केशरी

    ReplyDelete
  44. एरिक सीगल , ग्रीक माय्थोलोजी के प्रोफ़ेसर भी रहे - लव स्टोरी की आशातीत
    सफलता से वे भी विस्मित थे परंतु आपकी और मेरी तरह, इस सरल सी परंतु सच्ची प्रेम कहानी ने कईयों को भीतर तक
    रुला दिया था - अच्छी पोस्ट है गौतम भाई - hamaaree भी shradhdhanjali
    स स्नेह
    - लावण्या

    ReplyDelete
  45. लव स्टोरी बेहतरीन पुस्तक एवं फिल्म थी। काफी समय मैंने इस पर यहां लिखा था। हांलाकि मुझे उनकी लिखी अन्य पुस्तकें नहीं पसन्द आयीं।

    ReplyDelete
  46. kya karen gautam bhai...prem karen ya prem padhen...
    waqt jara kam ho jaata hai...

    par aapne kaha hai to jaroor padhenge...jaroor

    ReplyDelete
  47. अब तक जो अच्छे काम करने से बच गये हैं, उनमें एक है एरिक सीगल को पढ़ना।
    अब तो पढ़ ही लूंगा।

    ReplyDelete
  48. padhaa to nahi kabhi magar ab padhni padegi ... fir bataa paunga ... :)



    arsh

    ReplyDelete
  49. नब्बे के दशक में ही इस किताब को पढ़ने का मौका लगा था और ये पसंद भी आई थी। पर आज १५ ‍१६ वर्षों बाद इसकी कहानी के बारे में कुछ याद नहीं रहा। ये किताब युवाओं और किशोरों में आज भी उतनी ही लोकप्रिय है जितनी तब थी। एरिक सीगल नहीं रहे ये मुझे आपकी पोस्ट से ही पता चला।

    दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि !

    ReplyDelete
  50. ताज्जुब नहीं अगर फिल्मों के प्लाट वहां से हैं , ये तो रीति ही है :)
    लेखन और फिल्म से रू-ब-रू नहीं हुआ क्योंकि ज्ञान ही नहीं था एरिक सिगल के बारे में
    और फिल्म देखने का संयोग जीवन में कम ही बना है ...
    .
    श्रद्धांजलि ,,,

    ReplyDelete
  51. दो साल पहले यहीं पुणे में एक दोस्त के फ़्लैट पर एक वीकेंड इस बुक के नाम किया था... कई फिल्में कॉपी लगती हैं इसकी.
    श्रद्धांजलि !

    ReplyDelete
  52. मेजर साब
    नेट में तकनीकी खराबी होने के कारण आपकी ये दिल को छू जाने वाली पोस्ट देर से पढ़ी. भाई क्या कमाल लिखा है एरिक सिगल को हमारी भी भावभीनी श्रद्धांजलि...........!

    ReplyDelete
  53. मेजर साब
    नेट में तकनीकी खराबी होने के कारण आपकी ये दिल को छू जाने वाली पोस्ट देर से पढ़ी. भाई क्या कमाल लिखा है एरिक सिगल को हमारी भी भावभीनी श्रद्धांजलि...........!

    ReplyDelete
  54. राजऋषिजी,
    किसी प्रिय का जाना दुखदायी होता है, फिर किसी ऐसे रचनाकार का जाना, जिसने हमारी भावनाओं को सहलाया-दुलराया हो, माथे पर शीतल छाया दी हो कभी, लम्बे समय तक सालता रहता है ! इस पोस्ट में आपकी वही पीड़ा मुखरित हुई है.
    एरिक सिगल को पढ़ा तो नहीं है, लेकिन आपकी इन पंक्तियों से और जिस शिद्दत से ये बयान लिखा गया है, उससे जान सका हूँ कि उन्होंने संसार के लोगों पर अपनी लेखनी का कैसा जादू बिखेरा है ! सिगल कि आत्मा को शांति मिले--यही कामना ! मेरी श्रद्धांजलि भी !
    --आ.

    ReplyDelete
  55. हमारी भी श्रृद्धांजलि!

    ReplyDelete
  56. pehli bar apke blog par aaya hoon
    behtreen laga sir ji........

    ReplyDelete
  57. इन्हें पढ़ा तो हमने भी नहीं मेज़र साब...
    लेकिन सोच रहे हैं ..इन्होने आखिर ऐसा क्या लिखा होगा...
    के इन के लिखे पर आपने इतनी शिद्दत से लिखी है पोस्ट...

    मल्लिका कि फिल्में तो यूं भी नहीं देखते हम..और ये भी आपने एकदम सही कहा है..कि फिल्में किताबों के साथ न्याय नहीं कर पातीं...

    शायद हम पढ़ते समय हर चीज को अपने ढंग से देखते सोचते हैं.....
    पढ़ते वक़्त हमारी खुद कि कल्पनाएँ होती हैं...

    जब कि फिल्म में निर्देशक कि नज़र से सब देखा जाता है..


    खूब कही आपने..के ये साहब अब ऊपर वाले को सुना रहे होंगे दास्ताने-इश्क...
    ऊपर वाला उनकी आत्मा को शान्ति दे........


    पर क्या आशिक कि रूह को शान्ति दे सकता है वो....???

    ReplyDelete
  58. किताब पढ़ने मे आपको फिल्म से ज़्यादा मज़ा आया .. मै इस बात को रेखांकित करना चाहता हूँ ।

    ReplyDelete

ईमानदार और बेबाक टिप्पणी दें...शुक्रिया !