01 July 2017

हीरो

साल 92 का अक्टूबर महीना था वो... हिमाचल की पहाड़ियाँ ठंढ से कुनमुनाने लगी थीं । उन्हीं पहाड़ियों पर बसे परवानू के ख्यात रिसौर्ट टिम्बर ट्रेल की केबल कार दो परिवारों के ग्यारह सदस्यों को लेकर बीच रस्ते में अटक गई, सवार लोगों की साँसें भी जस की तस अटकाती हुयी । एक सदस्य के नीचे घाटी में गिर जाने के बाद उस केबल कार में पसरा हुआ भय जाने कितना कम हुआ दूर से सेना के हेलिकाॅप्टर को आते देखकर, ये शोध का विषय हो सकता है ! सेना का हैलिकाॅप्टर आया रेसक्यू आॅपरेशन के लिये और साथ लेकर आया डेयर डेविल मेजर इवान क्रैस्टो को । उसके बाद की कहानी शौर्य व धीरता की मिसाल ही तो बन गई है !

हेलिकाॅप्टर के तेज़ गति से घूमते पंखों से हिलता हुआ केबल पूरे रेसक्यू
आॅपरेशन को दुश्वार कर रहा था और सर्द रात को ज़िद पड़ी थी एकदम से आने की । फैल रहे अँधेरे ने विवश कर दिया हेलिकाॅप्टर को वापस जाने के लिये । अभी तक बस पाँच लोग ही सकुशन निकाले गये थे । बचे हुये पाँच लोगों की मानसिक स्थिति की कल्पना ही की जा सकती है कि उस लटके हुये केबल कार में पूरी रात गुज़ारना और हेलिकाॅप्टर के वापस आने का सुबह तक इंतज़ार करना...स्वंय सृष्टि निर्माता भी साक्षात प्रगट होते तो उन पाँचों को ढाढस के दो बोल ना कह पाते !

किंतु मेजर ने आश्वस्ति के शब्दों को उकेरने के बजाय उन पाँचों के साथ उसी केबल कार में रात गुज़ारने का फैसला किया । मेजर का लाॅजिक बड़ा ही क्रिस्प और प्रिसाइज था कि ख़ुद दो बच्चों का पिता होकर उस केबल कार में फँसे लोगों के साथ रात गुज़ारने से बड़ा संबल और क्या हो सकता उनके लिये !

रात भारी थी । डरे लोगों की उल्टियाँ और अन्य विसर्जित अवशेषों की ख़ुश्बू केबल कार के नीेचे गिर जाने की सोच से कहीं ज़्यादा भयंकर थी । सुबह की पहली किरण जब हेलिकाॅप्टर लेकर आयी थी, ये जानना दिलचस्प होगा कि मौत के भय से आतंकित उन पाँच लोगों की ख़ुशी ज़्यादा बड़ी थी या नैसर्गिक ख़ुश्बू से मेजर को निजात पाने का सकून ज़्यादा बड़ा था । फेंकी हुई रस्सी से एक-एक कर उन पाँच लोगों को बाँध कर वापस हेलिकाॅप्टर में भेजने के बाद जब मेजर सबसे आख़िर में सवार हुआ, रात भर हनुमान चालीसा का जाप करने वाली प्रौढा ने मेजर को देर तक भींचे रखा हेलीकाॅप्टर में कि जैसे घनघोर तपस्या के बाद उनका बजरंग बली ही साकार रूप लेकर आ गया हो सेना की वर्दी में !

[ जो पढे आँखें मेरी मुझको वो दीवाना कहे / तू भी तो इनको कभी फ़ुरसत से पढ कर, ग़ौर कर ]

6 comments:

  1. कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता किन परिस्थितियों में हमारी सेना survive करती है .......जय हिन्द

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  2. हरी वर्दी वाले जादुई करिश्मा होते हैं - भय को हल्का बनाकर चलते हैं

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  3. भारतीय सेना के लोग विकट परिस्थितियों में भी धैर्यपूर्वक कार्य कर मिसाल पेश करते रहे हैं.

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  4. एक डॉक्टर और एक फौजी... पास हों तो एक अजीब सी सुरक्षा का एहसास रहता है. बाकि तो जो है सो है ही :)

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  5. मेरे रोयें सिहर रहे थे और मैं आँख बंद कर उस स्थिति की कल्पना से झुरझुरी में भर गया | हरी वर्दी से मेरा बहुत पुराना और गहरा नाता रहा है

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