छुट्टियाँ कब बीत जाती हैं, पता भी नहीं चलता। ड्युटी पर आये हुये ये चौथा दिन और फिर से वही अहसास कि जैसे यहीं हूँ सदियों से। सतरह सालों बाद इस बार उपस्थित हो पाया था होली पर अपने गाँव में और क्या खूब होली जमी। अबके इधर कश्मीर में खूब-खूब बर्फ गिरी है...ग्लोबल वार्मिंग की तमाम धमकियों को धता बताते हुये। एक तरफ झेलम की हँसी छुपाये नहीं छुप रही तो दूसरी तरफ चिनारों के अट्टहास गुंजायमान हैं वादी के कोने-कोने में। यूं चंद सिरफिरों की उन्मादी हरकतें खलल डालती हैं बीच-बीच में वादी के इस हर्षोल्लास में, किंतु मुस्तैद हरी वर्दियाँ ज्यादा देर टिकने नहीं देती हैं इस खलल को।
...और इन समस्त व्यस्तताओं के मध्य मुझसे अपने प्रिय ब्लौगरों के कई पोस्ट छूट गये हैं। पकड़ता हूँ धीरे-धीरे सब "छूट गयों" को। फिलहाल आज की बात कि दिन खास है आज का। दिन बहुत खास है कि मेरे प्रिय शायर का जन्म-दिन है ये। कुमार विनोद का जन्म-दिन । वैसे पता तो ये भी चला है कि आज ही के दिन मैं भी पैदा हुआ था अहले सुबह करीब दस हजार साल पहले। लेकिन हम "पाल ले इक रोग नादां के..." के इस पन्ने पर मनायेंगे कुमार विनोद की सालगिरह उन्हीं की एक बेहतरीन ग़ज़ल गुनगुनाकर। आइये गुनगुनाते हैं उनकी लाजवाब बिम्बों और अनूठे अंदाज वाले शेरों से सजी इस ग़ज़ल को:-
कभी लिखता नहीं दरिया, फ़क़त कहता ज़बानी है
कि दूजा नाम जीवन का रवानी है, रवानी है
बड़ी हैरत में डूबी आजकल बच्चों की नानी है
कहानी की किताबों में न राजा है, न रानी है
कहीं जब आस्माँ से रात चुपके से उतर आये
परिंदा घर को चल देता, समझ लेता निशानी है
कहाँ जायें, किधर जायें, समझ में कुछ नहीं आता
कि ऐसे मोड़ पर लाती हमें क्यों जिंदगानी है
बहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
जो इसमें कैद है मछली,क्या वो भी जल की रानी है
घनेरे बाल, मूँछें और चेहरे पर चमक थोड़ी
यक़ीं कीजे, ये मैं ही हूँ, जरा फोटो पुरानी है
...अपने गाँव से पटना की ट्रेन यात्रा के दौरान "शुक्रवार" पत्रिका के नये अंक को पलट कर देख रहा था तो नजर पड़ी कुमार विनोद की ग़ज़ल-संग्रह "बेरंग हैं सब तितलियाँ" {जिसकी चर्चा मैं कुछ दिनों पहले यहाँ कर चुका था} की समीक्षा पर। अच्छा लगा देखकर...बहुत अच्छा लगा देखकर कि ग़ज़लों की बात हो रही है अच्छी पत्र-पत्रिकाओं में। कुमार विनोद जैसे शायर हों अपने आस-पास तो ग़ज़ल का भविष्य वैसे भी सुरक्षित दिखता है।
बड़ी हैरत में डूबी आजकल बच्चों की नानी है
ReplyDeleteकहानी की किताबों में न राजा है, न रानी है
वैसे तो पूरी ग़ज़ल बेहद पसंद आई। पर यह शे’र दिल को छू गया।
जन्म दिन की बधाई और शुभकामनाएं।
गौतम जी गाँव की माटी में ही कुछ जादू है जो सभी को आकर्षित करता है...कुमार विनोद जी की खूबसूरत ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद..और कुमार विनोद जो को जन्मदिन की बधाई
ReplyDeleteकिसी का जन्मदिन मनाने का यह शानदार तरीका है। गज़ल बहुत सुंदर है, ऐसी कि परात में भरे पानी में तैरती कागज की बत्तख।
ReplyDeleteउन्हे भी जन्मदिन की बधाई.....!!
ReplyDeleteऔर आपके लिये दुआएं लंबी उम्र की, लोगों के दिलों पर राज़ करने की, हर दिल अज़ीज बने रहने की... ब्लॉग जगत और अखिल जगत के हीरो बने रहने की... एक अच्छा शायर बने रहने की... एक सच्चा फौजी बने रहने की और इन सबसे ज्यादा मेरा वीर बने रहने की......!
MANY MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY
कभी लिखता नहीं दरिया, फ़क़त कहता ज़बानी है
ReplyDeleteकि दूजा नाम जीवन का रवानी है, रवानी है
...अच्छी गज़ल का बेहतरीन शेर.
जन्म दिन की ढेर सारी बधाईयाँ..आपको भी और आपके प्रिय शायर को भी.
...आपकी पोस्ट का वाकई इंतजार था.
बड़ी हैरत में डूबी आजकल बच्चों की नानी है
ReplyDeleteकहानी की किताबों में न राजा है, न रानी है
कहीं जब आस्माँ से रात चुपके से उतर आये
परिंदा घर को चल देता, समझ लेता निशानी है
शेर दिल को छू गये।
गज़ल बेहद पसंद आयी कुमार विनोद जी को ाउर आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और पुस्तक प्रकाशन की भी। आपका ये जज़्बा और लिखने का अन्दाज़ यूँ ही बना रहे। खुशहाल जिन्दगी और लम्बी उम्र के लिये दुआयें। बहुत बहुत आशीर्वाद।
कुमार विनोद जी से बेरंग हैं सब तितलियाँ प्राप्त हुई थी...बेमिसाल संग्रह है गज़लों का...
ReplyDeleteकुमार विनोद जी को जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ...
आपको भी अनेक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ...१०००० बीते हैं और १०००००० और जन्म दिवस ऐसे ही आयें..
बड़ी हैरत में डूबी आजकल बच्चों की नानी है
ReplyDeleteकहानी की किताबों में न राजा है, न रानी है
कहाँ जायें, किधर जायें, समझ में कुछ नहीं आता
कि ऐसे मोड़ पर लाती हमें क्यों जिंदगानी है
घनेरे बाल, मूँछें और चेहरे पर चमक थोड़ी
यक़ीं कीजे, ये मैं ही हूँ, जरा फोटो पुरानी है
गौतम जी, लाजवाब कलाम, खूबसूरत अंदाज
कुमार विनोद साहिब और आपको बधाई
जन्मदिन ढेर सारी शुभकामनाएं...
आपको जन्मदिन पर ढेरों बधाइयां। बेहतरीन गजल पढ़ाने के लिए भी बधाई। आपका लिखा हम रोज पढ़ते रहे बस यही कामना है।
ReplyDeletegautam ji
ReplyDeletejanamdin ki aapko aur vinod ji ko hardik shubhkamnayein.
ti kavi ho ya sainik
dhar banaye rakhna
hosle buland rakhna
aage hi badhte rahna
तारीफ करने का आपका हौसला बना रहे
ReplyDeleteदोनों को जन्म दिन की शुभकामनाएं .
आपको और कुमार विनोद जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteजय हिंद...
गौतम जी ग़ज़ल तो कमाल की है ... कितने दिलकश अंदाज़ में शेर कहे हैं ....
ReplyDeleteआप विनोद जी के बहाने अपना जनम दिन छुपाए हुवे हो ... ये ग़लत बात है .... आपको बहुत बहुत बधाई ... मुझे तो आज भी आपका हंसता हुवा चेहरा ... खुला व्यक्तित्व ... सादपन याद आता है .... देहरादून की छोटी सी मुलाकात लंबी यादगार बन गई है ...... भगवान से प्रार्थना है उनको लंबी आयु और सदा खुश रखे ....
आपको और कुमार विनोद जी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteगजल अच्छी लगी । पढ़वाने के लिये धन्यवाद ।
ReplyDeleteआप दोनो को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें ।
आभार..!
के आप भी मार्च में उतरे
ReplyDeleteहजूर की मेहरबानी है ......
जर्रानवाजी ..मेरी जान ....गोया के सुबह सुबह कम्पयूटर खोला तो पता लगा के एक पार्टी ओर ड्यू हो गयी.....लो जी..... कसम उस इंडेक्स फिंगर की जिसे आजकल मुड़ने में थोडा आलस आता है .....जरा जोर आज़माइश करो भाई.....वर्ना अंग्रेज उससे कुछ गलत इशारा समझ लेगे .........
खैर हम तो यही दुआ करते है के ...कितने साल गुजरे आपके भीतर के इंसान में मौजूद ज़ज्बे ...ये मिजाजी .....ये हंसी ......किसी बच्चे सी मासूमियत की तरह कभी बड़े न हो ....
कुछ कोमीक्स ढूँढने निकलता हूँ.......आखिर पार्टी के वक़्त गिफ्ट भी देना होता है ...
इतनी बढ़िया ग़ज़ल पढ़वाने के लिए आभार. एक एक शेर बेमिसाल है. घाटी का हाल सुन कर भी अच्छा लगा श्रद्धेय विनोद जी और आप दोनों को जन्मदिवस की अनगिनत बधईयाँ और हमारा सन्देश उन तक पहुंचा भी दीजियेगा.
ReplyDeleteआभार
बहुत खूब लिखी है आपने गजल .....जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteमुबारक... तीन जन्मदिन हैं आज मेरे गिरफ्त में, एक हमारे पटना में, कुणाल (पूजा) का और आपका... हम पार्टी के लिए कहाँ - कहाँ जाएँ !!!!!!
ReplyDeleteजन्म दिन की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteकुमार विनोद साहब और आपको सुबह एक साथ याद किया...
ReplyDeleteशुक्र है के मेरे पास कुमार साहब की "बेरंग है सब तितलियाँ.." है वहीँ से जन्मतिथि देखकर आप दोनों शायर को विश कर पाया...
ग़ज़ल तो लाजवाब है. आपकी नयी ग़ज़ल का क्या हुआ...? उम्मीद है अगले पोस्ट में...
कहाँ जायें, किधर जायें, समझ में कुछ नहीं आता
ReplyDeleteकि ऐसे मोड़ पर लाती हमें क्यों जिंदगानी है
......yahi hai zindgani
बहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
ReplyDeleteजो इसमें कैद है मछली, वो भी क्या जल की रानी है
इतनी खूबसूरत ग़ज़ल पढवाने का बहुत बहुत शुक्रिया....
आप दोनों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं...
जनम दिन मनाने का बेहतरीन तरीका अपनाया है आपने ...आप दोनों को अनगिनत शुभकामनाये..ग़ज़ल बेमिसाल है बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत खूब. जन्म दिन की बधाई.
ReplyDeleteगौतम जी वाह...क्या ग़ज़ल पढवाई है...कुमार जी की इस किताब के बारे में मैंने भी लिखा है जिसे आप इस महीने के आखिर में पढ़ पाएंगे...यकीनन वो कमाल के शायर है...होली पर आप घर गए थे जान कर बहुत ख़ुशी हुई...अपनों को रंगने का लुत्फ़ ही कुछ और होता है...आप और विनोद जी को जनम दिन की ढेरों शुभ कामनाएं...
ReplyDeleteनीरज
आपको और कुमार विनोद जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteवाह इस बार होली अपने गाँव। वाह जी वाह। बिल्कुल जी आज का दिन खास है। इसलिए कुमार विनोद और आपको जन्मदिन की मुबारकबाद। इस खास दिन खास गजल पढवाई है।
ReplyDeleteकहाँ जायें, किधर जायें, समझ में कुछ नहीं आता
कि ऐसे मोड़ पर लाती हमें क्यों जिंदगानी है
खूबसूरत शेर। वैसे शीर्षक देखकर पुरानी फोटो देखने की ललक हो गई है। कभी मौका मिला तो दिखाईएगा।
कुमार विनोद जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें.
ReplyDeleteग़ज़ल का हर शेर उम्दा है,
क्या कहा आज आपका भी जन्मदिन है..........चलिए आपको भी जन्मदिन की बधाई हो (हा हा हा)
आप सदैव खुश रहें और चमकते दांतों की चमक कभी फीकी ना पड़ने पाए.
एक्वेरियम देखते ही अब विनोदजी और गौतमजी नज़र आयेंगे...:-)
ReplyDeleteबहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
जो इसमें कैद है मछली, वो भी क्या जल की रानी है...
shukravaae, kaa shukraguzaar hoo, aapko gazal sambandhit thodi sa sukh milaa ki patrikaao me gazal ko nazar kiya jaa rahaa he..kher../ holi par apne gaanv ki mahaq..aour kumarji ki gazalo kaa sanidhya..behatreen he../ aapke aanand ko anubhav kar rahaa hu, aour aapke saath fir se holi bhi khel rahaa hu.
ReplyDelete* shukravaar
ReplyDelete*thoda sa
in shbdo ko sudhar kar padhhe
बहुत नाइंसाफी है सीधे सीधे हमें दस हज़ार छः साल का बता रहे हैं:)
ReplyDeleteभरपूर-अनाप शनाप-ढेरों शुभकामनाएं.बधाइयां.
कुमार जी को भी सादर शुभकामनाएं.
waah bahut sunder gazal padhwaayi hai aapne ....
ReplyDeleteJanamdin par hardik shubhkamana
मुबारक हो तुम्हे ये दिन
ReplyDeleteहज़ारो साल तक महको
जिसे हम रूप कहते है
वो तो आन्खो का पानी है
यार मेजर मुझे तो लगता है तुम दिल से इत्ते शायराना हो चुके हो कि दुशमन को शहीद करके उस पर भी कोई शेर गजल कह डालोगे ....हा हा हा ..शुभकामनाएं भाई हमारी तरफ़ से ......
ReplyDeleteअजय कुमार झा
बहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
ReplyDeleteजो इसमें कैद है मछली, वो भी क्या जल की रानी है
जन्म दिन की ढेर सारी बधाईयाँ..आपको भी और शायर को भी.
आप दोनों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं...
घनेरे बाल, मूँछें और चेहरे पर चमक थोड़ी
ReplyDeleteयक़ीं कीजे, ये मैं ही हूँ, जरा फोटो पुरानी है
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं ।
@वैसे पता तो ये भी चला है कि आज ही के दिन मैं भी पैदा हुआ था अहले सुबह करीब दस हजार साल पहले
ReplyDeleteअब ये सूत्र क्या है मेजर साब, कस्सम से अगर ये पुरानी फोटो है, तो दस हजार साल पहले गोया जवानी में क्या कहर लगते होंगे..! अल्हम्दुलिल्लाह
आपकी बंदूक और कलम, दोनों में ऐसा ही बेसाख्ता दम बना रहे.. शुभकामनायें, जियो हजारों साल और..!
आपके प्रिय कवि को भी जन्मदिन की शुभकामनायें
अगर ग़ज़ल की तारीफ में कुछ कहने को बचा हो, तो मेरी तारीफ भी शामिल कर ली जाये
ReplyDeleteलाजवाब !!! मज़ा आ गया गौतम सर !!
ReplyDeleteकभी लिखता नहीं दरिया, फ़क़त कहता ज़बानी है
कि दूजा नाम जीवन का रवानी है, रवानी है
इस शेर ने मन को छू लिया...
जन्मदिन कि हार्दिक शुभकामनाएँ...ईश्वर आप को दीर्घायु करें...
janmdin kee shbhkaamnae.....
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई।
ReplyDeleteदोनों ग़ज़लकारों को दिल से बधाई...
ReplyDeleteअर्श
आप दोनों को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
वाह भाई विनोद जी की बड़ी प्यारी ग़ज़ल पढ़ाई आपने अपने जन्म दिन पर। कमाल के शेर थे सारे के सारे।
ReplyDeleteमेजर गौतम को माइनर 'मशाल' की तरफ से वर्षगाँठ मुबारक हो..
ReplyDeleteGazal ke bare me mat poochhna.. kya karoon main jhooth bolta nahin aur aap hamesha gazab dhaate hain..
जय हिंद...
जन्म दिन की बधाई और शुभकामनाएं!
ReplyDeleteगौतम जी जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
जो इसमें कैद है मछली, वो भी क्या जल की रानी है
घनेरे बाल, मूँछें और चेहरे पर चमक थोड़ी
यक़ीं कीजे, ये मैं ही हूँ, जरा फोटो पुरानी है
मूछो वाले गौतम जी से मिलाने की ईच्छा है.. मिलावाईयेगा ना ?
आपका वीनस केशरी
पोस्ट तो पूरी करनी थी न ,एक फोटो भी पुरानी कॉलेज के जमाने की चस्पा कर देते मूंछों वाली
ReplyDeleteanyway जन्मदिन की मुबारकवाद आप दोनों को
इतनी सुंदर ग़ज़ल पढ़वाने के लिए आपका धन्यवाद.
ReplyDeleteबड़ी हैरत में डूबी आजकल बच्चों की नानी है
ReplyDeleteकहानी की किताबों में न राजा है, न रानी है
bahut hi umda gazal padhwayee!
***aap ko aur Kumar vinod ji ko Janamdin ki bahut bahut badhayee....
[Title padh kar laga tha ki sach mein aap ke bachpan ki photo dekhne ko milengee yahan.]
कुमार विनाद जी की सरलता मार डालती है । किस सरलता से सब कुछ कह जाते हैं । बधाई ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
जो इसमें कैद है मछली, वो भी क्या जल की रानी है
कुमार विनोद की गज़ल की क्या तारीफ़ करूं? और उससे भी ज़्यादा , आपके तारीफ़ करने के अन्दाज़ की? खुले दिल से किसी और की तारीफ़ कितने लोग कर पाते हैं?
ReplyDeleteजन्मदिन पर बहुत-बहुत शुभकामनायें.
पार्टी चालू आहे...!! वैसे शीर्षक देख कर पहले यही लगा कि जिंदगी के किसी ताख पर रखे एक पुराने श्वेत-श्याम एल्बम की धूल झाड़ी गयी है..मगर पता चला कि गज़ल के बहाने सालगिरह के सेलेब्रेशन चल रहा है..कुमार विनोद साहब को बहुत बहुत मुबारकबाद..वैसे अगर बात कन्फ़र्म हो गयी हो तो हम भी आपको मुबारकबाद दे दें..वैसे भी दस हजार साल पुराने एविडेंसेज् तो म्यूजियम मे सहेजने लायक चीज होते हैं ;-)
ReplyDeleteखैर सालगिरह के मुबारक मौके पर आपको बहुत-बहुत ढेर सारी मुबारकबाद..और ऊपरवाले को भी शुक्रिया जिसने एक अजीम शख्सियत से हमारा भी तअर्रुफ़ कराया...
उम्मीद है छुट्टियाँ मजेदार रही होंगी..
केक भेजे जाने का इंतजाम हो..;-)
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं आपको और आपके हमारे पूज्य प्रिय शायर को....
ReplyDeleteनायाब चीज पढवाई आपने....बहुत बहुत आभार....
पीडी से आपकी मुलाकात के बारे में पता चला था. अच्छा वक्त तो जल्दी निकल ही जाता है. मैंने एक बार पोस्ट लिखी हती पुण्य ख़त्म हुआ और ऑफिस वापस आना पड़ा :)
ReplyDeleteकुमार विनोद जी को जन्मदिन की शुभकामनायें. लगता है एक बार एक सम्मलेन में सुना है उन्हें ! डाउट है थोडा.
sundar gazal
ReplyDeleteघनेरे बाल, मूँछें और चेहरे पर चमक थोड़ी
ReplyDeleteयक़ीं कीजे, ये मैं ही हूँ, जरा फोटो पुरानी है
"वक्त के हाथों में सबकी तकदीरें हैं,
आइना झूठा है सच्ची तस्वीरें हैं."
आपके यकीन पे हमें (यकीन कीजये) यकीन है...
..इसलिए तो 'हमउम्र' वाला आरक्षण हट गया.
वैसे
वो कौन है जो बूढ़ा होना चाहते हैं?
यहाँ तो बचपन के कई खेल अभी बाकी हैं.
(Original copyright:Gautam Rajrishi/ wo kaun hai jinhein tauba...)
कहीं जब आस्माँ से रात चुपके से उतर आये
परिंदा घर को चल देता, समझ लेता निशानी है
क्या कुछ चीजें स्कूल से इतर भी सीखी जा सकती हैं?
क्या जीने के लिए जानना ज़रूरी है?
बहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
जो इसमें कैद है मछली, वो भी क्या जल की रानी है.
शेर अगर पिंजरे में भी रहे तो वो रहता तो शेर ही है पर राजा कि पदवी छिन जाती है, शायर बन जाता है, बांग्लादेश रहता है.
Happy Birthday To You Gautam Dajyu.
ReplyDeleteबहाना आज ऐसा है कि साक़ी(बीवी) मान जाएगी,
कि गौतम आज हमको भी तेरी बड्डे मनानी है.
(ह्म्म्मम्म... लगता है नज़्म उलझी है फ़िर relaunch करना पड़ेगा.)
आपको और कुमार विनोद जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteवाह! वाह!जी। हैप्पी बड्डे हो लिया। बधाई! गजल शानदार है।
ReplyDeletebelated happy b;day.may god bless u..
ReplyDeleteप्रिय गौतम ,
ReplyDeleteतुमको और श्री विनोद जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं और बधाई !!
जन्मदिवस की शुभकामनाओं एवं ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका सभी का हार्दिक धन्यवाद . गौतम राजरिशी जी का विशेष आभार मेरी रचनाओं को आप सभी तक पहुँचाने के लिए . जन्मदिवस की बधाई मैं उनको फोन पर पहले ही दे चुका हूँ . कुमार विनोद
ReplyDeleteजन्मदिवस की शुभकामनाओं एवं ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका सभी का हार्दिक धन्यवाद . गौतम राजरिशी जी का विशेष आभार मेरी रचनाओं को आप सभी तक पहुँचाने के लिए . जन्मदिवस की बधाई मैं उनको फोन पर पहले ही दे चुका हूँ . कुमार विनोद
ReplyDeleteफ़िर तो दस मार्च का दिन स्पेशल हो गया शायरों के लिये! दोनों गुणीजनों को जन्मदिन की अनंत शुभकामनायें।
ReplyDeleteअरे! गज़ल सिर्फ़ एक शायर की ही क्यों लगी है?? माना कि केक खाने में बिजी होंगे लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ही है कि हमें सस्ते में निबटा दें!!!
गौतम जी बहुत सुंदर रचना पढ़्वाई आपने ,धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
जो इसमें कैद है मछली, वो भी क्या जल की रानी है
कुमार साहब को और आप को बहुत बहुत बधाई
गौतम भाई दो दिन दूर रहा नेट से इसलिये देर से इधार आया।आपको और विनोद जी को जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई।ईश्वर आपको शतायू करे चिरायू करे,हर बुरी नज़र से बचाये और हर बला से भी।एक बार फ़िर बहुत बहुत बधाई।आज रात आपके नाम रोज़ का जश्न मना लेंगे हम्।
ReplyDeleteबधाई तो फेंकी दी थी आपके फोन पर.. इधर वादियों की मुस्तैदी अच्छी लगी.. और झेलम की मुस्कराहट ने अनायास लबो पर हसी ला दी.. कुमार साहब की ये ग़ज़ल तो दिल ले गयी.. कोई एक शेर पकड़ नहीं सकता.. सारे ही क़यामत.. "रवानी है, रवानी है" ने तो तबियत बना दी.. बस मज्जा ही आ गया..
ReplyDeleteहम तो फोटो देखने आये थे...दिखी नहीं, लगाइए न प्लीज. :)
ReplyDeleteऔर आपका जन्मदिन तो मैं अब किसी साल भूलने से रही, अगले दस हजारों टाइप सालों तक :)
सौ साल देर से ही सही आपको दस हज़ारवी सालगिरह की बधाई । आज इस अवसर पर आपकी छुट्टियों से वापसी की खुशखबरी के साथ कुमार विनोद की यह गज़ल पढ़ ली
ReplyDeleteऔर पत्रिकाओं में गज़लें भेज रहे हैं या नहीं ? वहाँ भी आपके बहुत से पाठक हैं जो आपके नहीं हमारे सम्पर्क में हैं ।
हमीं करें कोई सूरत
ReplyDeleteउन्हें बुलाने की
सुना है उनको तो आदत है
भूल जाने की.....
जन्म दिन मुबारक हो मेजर साहब !!
:)
ReplyDelete:):)
:)))
ReplyDelete:))))
ReplyDelete:)
'
ReplyDeleteआपको और कुमार विनोद जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई...
कुमार साहिब के प्रशंषक तो हम पहले दिन से ही हो गए थे...
ReplyDeleteपहले ही दिन उनसे बात भी हो गयी थी....
बस हैप्पी बर्थडे न उनसे कह पाए..
ना ही ढंग से आपसे...
उस दिन सब कुछ इतना व्यस्त था..आपका भी हमारा भी और उन साहब का भी..जिन्होंने पूछा था...
कोई मैसेज देना है...?
बस मुस्कुरा कर इतना ही कहे थे..
के मेज़र को हैप्पी बर्थडे कह दीजिएगा..
प्यार से...
:)
लाजवाब मतले के बाद..
हुस्ने-मतला...
बड़ी हैरानी में डूब कर पढ़ रहे हैं...
कहीं जब आस्माँ से रात चुपके से उतर आये
परिंदा घर को चल देता, समझ लेता निशानी है
एक अजीब कैफियत दे रहा है...
बहुत प्यारी ग़ज़ल...
और हाँ...
ReplyDeleteये हमारा सातवाँ कमेन्ट है ...
पहले चार सुन्दर सी मुस्काने भी हमारी ही हैं......
उस वक़्त सिर्फ मुस्कुराने का मन था....
कुछ लिखने पढने का नहीं....
प्रिय गौतम, जीवन का नया साल बहुत-बहुत शुभ हो! आपसे बात हुई लम्बी सी, उसी की खुशी मन को भिगोती रही. आपकी नयी पोस्ट आयी है, ये देख तो उसी दिन लिया था, पर वो लम्हा नहीं मिल पाया वक्त से कि इसके साथ justice कर सकूँ , सो आज तक इंतज़ार किया... पढ़ने और लिखने के लिए. आप बहुत ही बहता हुआ सा, मीठा सा लिखते हैं प्यारेलाल! बहते दरिया की तरह मन को भिगाते जाते हैं आपके शब्द!
ReplyDelete... सोच रही हूँ कि जब आप इतने खुश हुए होली पे गाम में, तो माँ कितना खुश हुई होंगीं !! ओह!
... गौतम, ये चिनार के हरे पेड़ भी हरी वर्दी डाले, तने हुए, तैनात से सिपाही दीखते हैं क्या ?
... ये दस हज़ार साल पहले वाली बात आपने फोन पे भी कही थी, आज यहाँ भी पढ़ रही हूँ :) जानते हैं आज से 10,000 years ago would be around 7990 B.C. Man was a hunter gatherer nomad then. Can imagine you coming out of a cave with a song (rather just a beat...no words:) in your heart and skip in your step :) :) जियो!!
... आ. विनोद जी को जन्मदिवस की belated शुभकामनाएं. उनकी गहरी-गहरी सी इस ग़ज़ल के लिए भी उन्हें बधाई. परिंदे वाली बात बहुत ही प्यारी लगी...
हर शेर में एक objective सा observation है, हल्का सा दर्द है... शायद खूबसूरती इसमें है कि कुछ भी overdo नहीं किया है...
... प्यारेलाल अब अंत में फ़िर से आपको ढेर सी आशीष, आप सुन्दर जियें, सुन्दर रचें.
विजयी भव:
शार्दुला दीदी
aabhaar.
ReplyDeleteराजऋषिजी,
ReplyDeleteदेर से ही सही, जन्मदिन की शुभ-कामनाएं आपको और शायर विनोदजी को भेजता हूँ ! स्वीकार करें ! बेहतरीन ग़ज़ल है, खूब पसंद आयी. 'हैरत में नानी' और 'जल की रानी' जैसे बिम्ब अचम्भित करते हैं, मुतासिर करते हैं ! वैसे तो पूरी ग़ज़ल बहुत प्रभावित करती है, किन्तु इस शेर पर झूम जाता हूँ :
'कहाँ जायें, किधर जायें, समझ में कुछ नहीं आता
कि ऐसे मोड़ पर लाती हमें क्यों जिंदगानी है
!'
गाँव से कुछ अच्छी चीजें भी खाने को लाये हैं क्या ? दिल्ली में बैठा-बैठा उन परम शुद्ध सामग्रियों की कल्पना करके प्रसन्न हो लूंगा बन्धु !
सप्रीत--आ.
बहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
ReplyDeleteजो इसमें कैद है मछली,क्या वो भी जल की रानी है
What a juxtaposition! Qaidme hai rani...
घनेरे बाल, मूँछें और चेहरे पर चमक थोड़ी
ReplyDeleteयक़ीं कीजे, ये मैं ही हूँ, जरा फोटो पुरानी है
kya baat hai sir.......bahut khoob!!
कहाँ जायें, किधर जायें, समझ में कुछ नहीं आता
ReplyDeleteकि ऐसे मोड़ पर लाती हमें क्यों जिंदगानी है
bahut khoosurat ,hame bhi samajh nahi aa raha kya kahe ?
mardin
ReplyDeleteerzincan
kars
antep
çorum
KL7X