बहुत साल पहले एक कविता लिखी थी। तब ग़ज़ल के शास्त्र की जानकारी नहीं थी। अब जब थोड़ी-सी समझ आ गयी है इस जटिल शास्त्र की तो यूँ ही खाली क्षणों में बैठ उन पुरानी रचनाओं को कभी-कभी ग़ज़ल के छंद पर बिठाने की कोशिश करता रहता हूँ। ...तो आज पेश करता हूँ एक ऐसी ही पुरानी कविता को ग़ज़ल में ढ़ालकर।
एक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूं तो
चाँद के साथ ही रहते हैं सितारे, यूं तो
तू नहीं तो न शिकायत कोई, सच कहता हूं
बिन तेरे वक्त ये गुजरे न गुजारे यूं तो
राह में संग चलूँ ये न गवारा उसको
दूर रहकर वो करे खूब इशारे यूं तो
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
तुम हमें चाहो न चाहो, ये तुम्हारी मर्जी
हमने साँसों को किया नाम तुम्हारे यूं तो
ये अलग बात है तू हो नहीं पाया मेरा
हूँ युगों से तुझे आँखों में उतारे यूं तो
साथ लहरों के गया छोड़ के तू साहिल को
अब भी जपते हैं तेरा नाम किनारे यूं तो
...शायद कुछ हल्की-सी लगे आप सब प्रबुद्ध पाठकजनों को। लेकिन ये किशोरवय के इश्क में डूबी लेखनी की उपज थी। जिस बहर पे इस ग़ज़ल को बिठाया है, उस धुन पे कुछ बेहद ही खूबसूरत ग़ज़लें और गाने हैं। रफ़ी साब का वो कभी न भुलाये जाने वाला गीत "जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात" और रफ़ी साब का ही गाया "दूर रह कर न करो बात करीब आ जाओ" या फिर कतील शिफ़ाई साब का लिखा और जगजीत सिंह की मखमली आवाज में डूबी "अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको" और परवीन शाकिर का लिखा मेहदी हसन साब का गाया "कू-ब-कू फैल गयी बात शनासाई की" ...फिलहाल तो ये ही याद आते हैं। आप सबों को कुछ और याद आता हो इस धुन पर तो बताइयेगा।
देहरादुन से निकलने वाली त्रैमासिक पत्रिका "सरस्वती सुमन" के जनवरी-मार्च १० अंक और भोपाल से निकलने वाली त्रैमासिक पत्रिका "अर्बाबे-क़लम" के अक्टूबर-दिसम्बर १० अंक में प्रकाशित)
Kanchan bitiya ,
ReplyDeleteJiyo hazaro saal,
Saal ke din hon
Pachas - hazaar !!
Bahut sneh sahit,
- Lavanya
हमे तो कतापि हल्की नहीं लगी..बल्कि अब जो लिख रहे हो..उसके समकक्ष याने बेहतरीन लगी...
ReplyDeleteकंचन को जन्म दिन की बहुत बधाई और शुभकामनाऐं...
कंचन को तुम्हारे मंच से शुभकामना प्रषित करने का मौका देने के लिए जरुर तुम्हारा आभार!!!
कंचन को मेरी तरफ़ से भी जन्मदिन मुबारक!
ReplyDeleteसुश्री कंचन को जन्मदिन की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसाथ लहरों के गया छोड़ के तू साहिल को
ReplyDeleteअब भी जपते हैं तेरा नाम किनारे यूं तो
बहुत उम्दा..
कंचन जी को हमारी भी बहुत बहुत शुभकामनाएं जन्मदिन की।
कंचन गुडिया को जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद .....
ReplyDeleteपता नहीं क्यों आप इसे हलकी रचना कह रहे हैं....और कौन से रदीफ़ मिसरे के लिए क्षमा याचना कर रहे हैं...
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
एक एक शे'र अपने दिन याद दिला रहा है....
लाजवाब...
कंचन को एक बार फिर से जन्मदिन मुबारक...
इश्वर उसे हमेशा हमेशा खुश रखे...बहुत खुश...
कुछ बाते अच्छी या बुरी नहीं होती.. खासकर तब जब वो अपनों के लिए लिखी गयी हो.. कंचन जी को बहुत बहुत बधाई..
ReplyDeleteकंचन को जन्मदिन की बधाई
ReplyDeleteआपको ग़ज़ल की.
आपने क्या हुनर पाया है कि हम दीवाने हुए जाते हैं ग़ज़ल उम्दा है चुप चाप सी भीतर चली आती है.
ये अलग बात है तू हो नहीं पाया मेरा
ReplyDeleteहूँ युगों से तुझे आँखों में उतारे यूं तो
कंचन जी को हमारी भी बहुत बहुत शुभकामनाएं जन्मदिन की।
regards
थोडी हल्की थी .. मेरी समझ में जो आ गयी .. गुजारिश है कुछ हल्का ही लिखा करें !!
ReplyDeleteachhi rachna
ReplyDeleteachha prasang
______________achhi badhaai kanchanji ko
आपका लिखा हमेशा दिल को छू जाता है और यह तो आज के दिन के लिए बहुत ख़ास है ..कंचन जी को बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteदोनों ही को जन्मदिन मुबारक हो ...
ReplyDeleteऔर आपकी रचना भाई मुझे बहुत पसंद आई
कंचन जी को बधाई !
ReplyDeleteकंचन जी को बधाई !
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया ग़ज़ल!
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
kanachan ji ko unke blog pe jaakar badhai de aaya hoon...
ReplyDeleteunki 100th post bhi padhi.
aap dono ka prem dekh ke bahut khushi hoti hai.
laakhon duaon ke saath apna ek bahut umda sher prastut kar raha hoon....
"तू नहीं तो न शिकायत कोई, सच कहता हूं
बिन तेरे वक्त ये गुजरे न गुजारे यूं तो"
(ab sa'ab chori ki aadat to jaate jaate jaiyegi na...)
बेहद खुबसूरत शेर है .......आपकी लेखनी ऐसे ही चलती रहे .......बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteहल्की??????????? बहुत सहज लगी, हमारी भी शुभकामनायें
ReplyDeleteकंचन जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई. आपकी भावनावों को सलाम.
ReplyDeleteरामराम.
सबसे पहले बहन कंचन को उनकी जन्मदिन पे ढेरो बधाईयाँ और शुभकामनाएं ... अल्लाह मियाँ से यही गुजारिश करूँगा के हमेशा ही इन्हें सारी खुशियाँ दे दुःख का नामोनिशान ना हो कहीं पे ...
ReplyDeleteऔर आपके शे'र के क्या कहने... अभी अभी आश्रम से आरहा है हूँ तरही से आपकी ग़ज़ल पढ़ के शहीद ऋषि को मेरा सलाम .... आपने जी शे'र इस वीर को समर्पित किये है नमन ऐसी लेखनी को ... और अब आपके ब्लॉग के ग़ज़ल की बात ... क्या खूब शे'र कहे हो मियाँ आप वाह मजा आगया ऐसा लगा कभी के कहीं कोई एक शे'र मैंने तो नहीं लिखी हा हा हा मजाक कर रहा था मेरी क्या औकात ...
बहोत बहोत बधाई आपको भाभी जी को नमस्कार कहें.. और तनया बिटिया को ढेरो प्यार... इंतज़ार एम् आपके आगमन पे ..
अर्श
Bilkul bhi halki si nahi lagi.
ReplyDeleteAap yun hi likhte rahe, dua karti hun.
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
ReplyDeleteहाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
Bilkul sahi likha hai
bahut khoob
-Sheena
http://sheena-life-through-my-eyes.blogspot.com
http://hasya-cum-vayang.blogspot.com/
http://mind-bulb.blogspot.com/
ये हल्की है ????? आपके बन्दूक और पीठ पर लादे बसते से भी ज्यादा भारी है.....क्योंकि इसमें दुआओं और प्यार की भरमार जो है......
ReplyDeleteचलिए इसी बहाने पता चला कि आप शायर किशोरावस्था से ही हैं.....
खास दिन पर खास ग़ज़ल। कंचन जी को जन्मदिन मुबारक। मै भी कहूँ सुबह से केक की खूशबू क्यों आ रही थी।
ReplyDeleteये अलग बात है तू हो नहीं पाया मेरा
हूँ युगों से तुझे आँखों में उतारे यूं तो
वाह क्या बात है। ये ज्यादा ही पसंद आया।
आज कई और भी पोस्टें नजरों में उतारी यूँ तो,,
ReplyDeleteकिसी पर भी नजर इतनी नहीं टिकी हमारी यूँ तो..
कमाल का लिखा है आपने..अनुजा कंचन को हमारा भी स्नेहाशीष और शुभकामना
lembreta, nanhi pari aour thithaki shaam....jesi behtreen rachna ke baad ab 'hna, tere jikra....
ReplyDeletegoutamji, gazal likhane ke 'us' zamane me bhi aapki kalam itani behtreen thi/ sach me aapaka javaab nahi ji.
maza aaya...
bahan kanchanji ko meri shubhakaamanaye..badhaai.
ReplyDeleteनाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
ReplyDeleteहाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
भई वाह !!
तो......
ऐसी शानदार ग़ज़ल को
हल्की रचना कहा करते हैं ...
हुज़ूर ये तो बचपन की मेहरबानियाँ हैं '''
"जवां होने लगे जब वो तो ........"
खैर अच्छी ग़ज़ल है .....
अच्छी ही ....
और हाँ . . . .
कंचन जी को जनम दिन की शुभकामनाएं
और गौतम की अच्छी ग़ज़ल के लिए ...
"खुद को दुनिया के झमेलों में छिपा रक्खा है ,
एक आवाज़-सी हर पल है पुकारे, यूं तो ..."
खुश रहो ...
---मुफलिस---
jis gjal me sbne apne aapko paya vo halki kaise ho skti hai .bhut khubsurt kshoravstha ke ahsas .
ReplyDeletebadhai
shubhkamnaye
आप कंचन जी का जन्मदिन तो हमारे लिए यादगार हो गया
ReplyDeleteसबसे पहले गुरु जी के ब्लॉग पर तरही का नया अंक जिसमे आपकी और कंचन जी की गजल
फिर कंचन जी के ब्लॉग पर आनन्द आनन्द आनन्द करती पोस्ट फिर आपके ब्लॉग पर ये पोस्ट और सुन्दर गजल
वाह क्या बात है
अभी देखना है और क्या क्या मिलता है ब्लॉग जगत से आज के दिन ............
venus kesari
एक पुराना गीत है मुकेश जी का । मुझे नहीं पूछनीं तुमसे बीती बातें, कैसे भी गुजारी हों तुमने अपनी रातें, जैसी भी हो तुम आज से बस मेरी हो' कभी मिले तो इस गीत को पूरा सुनना ।
ReplyDelete[:)]
ReplyDeletebahut...achhi gajal...
naina
aur behtariiin gift ...
ReplyDeletebirthday ki ,
jiske liye likhi hai aapne !
naina
इतना कुछ तो सब ने कह दिया मेरे लिये बचा ही क्या है मैम तो पहले दोनो भाई बहन को शुभकामनायें देना चाहती हूँ आपका ये प्यार यूँ ही बना रहे हाँ गज़ल के बारे मे तो कुछ भी नहीं जानती मगर इस गज़ल को पढ कर और कुछ भी आज पढने का मन नहीं बार बार इसे ही दोहराये जा रही हूँ लाजवाब अद्भुत सुन्दर कमाल है
ReplyDeleteनाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद तनया और अपनी बहु को भी आशीर्वाद्
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
ReplyDeleteहाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
बन्दूक के साथ साथ कलम से भी वार शूरु से ही करते आ रहे हैं आप...
मीत
ये अलग बात है तू हो नहीं पाया मेरा
ReplyDeleteहूँ युगों से तुझे आँखों में उतारे यूं तो
गौतम जी....... किसी भी तरीके से ये हल्की नही है ...... लाजवाबल लिखा है ........ एक बार दुबारा से आपके माध्यम से कंचन जी को हमारी बहुत बहुत शुभकामनाएं..........
Der se hi sahi Kanchanji ko janamdin ki dher sari shubkamnayen.Aur haan is gazal ko aapne halka kaise kah diya?
ReplyDeleteबहुत ही शानदार शेर कहे हैं आपने।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
भाई विलम्ब से हाज़िर हुआ हूं इसलिये माफ़ी चाहता हू. ग़ज़ल भले ही किशोर वय की हो लेकिन पूरी तरह जवान है अपनी पूरी सुन्दरता के साथ और इस शेर पर तो जितनी दाद दी जाय कम है-
ReplyDeleteनाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
क्या बात है !बहुत ख़ूब! बहुत ख़ूब!!!!
तरही मुशायरे वाली ग़ज़ल भी बहुत अच्छी हुई है. पहले चार शेरों का कोई जवाब नहीं और मक्ता क्या खूब है जो सिर्फ़ आप ही कह सकते हो. आज मुफ़लिस जी से बात हुई तो पता चला कि 1 अगस्त को वापस ड्यूटी पर जा रहे हो. क्या कभी रास्ता आगरा होकर भी गुज़रेगा? आदरणीय दुष्यंत जी के बेटे कर्नल अपूर्व त्यागी आगरा में हैं कई वर्षों से. बडे भाई अशोक रावत जी के साथ कई बार उनसे भेंट हुई है. उनकी यूनिट आदि के विषय ज़्यादा जानकारी नहीं है. बेटी तनया को दुलार और आदरणीया भाभीजी को मेरी तरफ़ से आदाब कहियेगा. कंचन जी को मेरी तरफ़ से भी जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं...
गजल पढी ,बहुत अच्छी लगी |उतार ली है | पुराने गाने याद तो हैं पर इस उम्र में उन पर गुनगुना नहीं सकूंगा |हां मंहदी हसन साहब की गजल जरूर मेरे पास है _ उसने खुशबू की तरह मेरी ..वह सीडी लगाकर और आपकी यह ग़ज़ल याद कर या पढ़ कर उस धुन में गुनगुनाऊंगा जरूर
ReplyDeleteतुम हमें चाहो न चाहो, ये तुम्हारी मर्जी
ReplyDeleteहमने साँसों को किया नाम तुम्हारे यूं तो
वल्लाह ....बड़े बेदर्द थे वो .......आ ...हा .....कहीं ये वो तो नहीं ....जिसे बताना चाहते थे .....असली नाम ..... दिखाना चाहते थे ....मेजर का रैंक ....?????
ये अलग बात है तू हो नहीं पाया मेरा
हूँ युगों से तुझे आँखों में उतारे यूं तो
च...च...च...ओये - होए......!!
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के....चल दिए..........
Har She'r ke saath koi tippani zehen mein aa rahi thi .. magar is Sher ne saari bhuladi
ReplyDeleteनाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
Awessome!!
'kuchh' ke bajaye 'kaii' ho to achcha hai ... ab bahar aap sambhaalte rahiye !
God bless !!
RC
आप दोनों का स्नेह-
ReplyDeleteईश्वर दृढ करे -
कंचन बिटिया को स स्नेह आशीष व सालगिरह पर बहुत सारा आशीर्वाद -
- लावण्या
कंचन को हमारी तरफ से भी ढेर सारी शुभकामनाएं। दिल छू लेती है गजल आपकी।
ReplyDeleteगौतम भाई,
ReplyDeleteहमने आपकी गजल पढ़ी..अब इसको हलकी कहकर आपने हमारे ऊपर तो बहुत वजन रख दिया.हमने सोचा है कि हम खुद को ही एक पायदान नीचे ले आयें तो ठीक रहेगा...सो अब हम गुणीजन बुद्धिजीवी को एक तरफ रखकर इस गजल का आनंद ले सकते है..
भाईसाहब हमारे जैसे मुरीदों के लिए गजल लिखा करें..तो ये गजल सबसे बढ़िया रहेगी.
"तू नहीं तो न शिकायत कोई, सच कहता हूं
बिन तेरे वक्त ये गुजरे न गुजारे यूं तो"
अब इसमें कितनी शानदार गिरह लगाईं है आपने इस पर तो हम लाख दाद देते है...
ये अलग बात है तू हो नहीं पाया मेरा
हूँ युगों से तुझे आँखों में उतारे यूं तो
इस मिसरे पर दिलो जान कुर्बान करने को जी चाहता है..
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
वाह वाह....
गजल पूरी हमारी जिंदगानी थी गौतम
सब कह गया करके हर शेर ईशारे यूँ तो
देरी से आने के लिए माफ़ी...
कंचन अनुजा को शुभकामनाएं पहले ही दे चूका हूँ...
प्रकाश पाखी
ये पंक्तियाँ विशेष पसंद आयीं-
ReplyDelete'साथ लहरों के गया छोड़ के तू साहिल को
अब भी जपते हैं तेरा नाम किनारे यूं तो'
pahla hi sher sabse jyada pasand aaya....
ReplyDeleteएक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूं तो
चाँद के साथ ही रहते हैं सितारे, यूं तो
bahut khoob....
ओह तो ये बात है...हमारे जन्म के अंक वालों से आपकी हमेशा से पटती है। तभी तो कहूँ कि ये वीर जी इतना मन को भाते क्यूँ थे।
ReplyDeleteवैसे सुना कि संजीता भाभी भी लिओ हैं। तो खुद तो जल की रानी रहे मगर जंगल के राजाओं का इम्प्रेशन बना रहा आप पर..! क्यों ना हो होते ही ऐसे है....! हा हा हा...!
पोस्ट जिसके लिये भी लिखी शुरुआत मुझसे की, इस बात का बहुत बहुत शुक्रिया वीर जी...! I'm, really unable to say any word..to pay you thank or even to say that it made my eyes moist bro..!
वो शख्स जहाँ बी हो उस शख्स को बधाई...!
गज़ल तो आपको पता ही है कि मुझे कितनी पसंद आई थी। असल में शायद हम लोग अभी पूरी तरह टीन एज से निकल ही नहीं पाए है। जो भी मिलता है सब अच्छा लग जाता है। वाक़ई बहुत अच्छे लगे मुझे सारे शेर
लावण्या दी, समीर जी, अनूप जी, अरविंद जी, विवेक जी, मनु जी, कुश, किशोर जी, सीमा जी, अलबेला जी, रंजना जी,अनिल जी, विवेक जी, ताऊ जी, अर्श, सुशील जी, अजय जी, अमिताभ जी, मुफलिस जी,वीनस, निर्मला जी, दिगंबर जी, संध्या जी, संजीव जी,प्रवीण जी आप सब लोग जो शभकामनाए यहाँ बिखेर गये थे हमने बटो ली है और बदले में यहाँ अपना धन्यवाद छोड़े जा रहे हैं। :) :)
नमस्कार गौतम भैय्या,
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल कही है आपने, जो दो शेर मुझे बेहद पसंद आया वो है.........
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो.
तुम हमें चाहो न चाहो, ये तुम्हारी मर्जी
हमने साँसों को किया नाम तुम्हारे यूं तो.
ये आपकी नींव के पत्थर हैं(किशोरवय में लिखे हुए) जिन्होंने आज एक मजबूत ईमारत अपने ऊपर ले राखी है.............आगे भी कुछ पुराणी ग़ज़लों से मिलवायेगा.
कंचन को जन्म दिन की बहुत बधाई और शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteFrom: RC thatcoffie@gmail.com
ReplyDeleteSubject: हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
To: "gautam rajrishi" gautam_rajrishi@yahoo.co.in
Date: Monday, 27 July, 2009, 5:17 PM
तू नहीं तो न शिकायत कोई, सच कहता हूं
बिन तेरे वक्त ये गुजरे न गुजारे यूं तो
- I can assume what this couplet is trying to say. However, the couplet doesnt say it obviously.
राह में संग चलूँ ये न गवारा उसको
दूर रहकर वो करे खूब इशारे यूं तो
- Beautiful.
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
- Jewel of the crown.
साथ लहरों के गया छोड़ के तू साहिल को
अब भी जपते हैं तेरा नाम किनारे यूं तो
--- hmmmm
हाँ हलकी तो थी !!!
ReplyDeleteबचपन की तरह.
प्रेम की तरह,
प्रीत की तरह...
सुख की तरह..
आशिकी की तरह
दीवानगी की तरह
इश्क की तरह...
जब भी ये सब पास होते हैं तो सब कुछ हल्का होजाता है...दिल, दीमाग, मन, आत्मा...
यहाँ तक के वक्त भी उड़ने लगता हैं..भागने लगता है पता ही नहीं चलता क्या हुआ..
अब आपको भी पता चल ही गया होगा कितने हलके थे आपके शेर.....मैं भी तो उड़ने लगी हूँ !!!
हाँ देर हो गयी मुझे, लेकिन जन्मदिन की बधाई देने के लिए...
दुआओं के लिए लेट नहीं हुई हूँ मैं..
मेरी दुआएँ आपके साथ हैं और कंचन जी के साथ भी.....
Wah....kya baat hai..achhi rachna..एकदम अवसरानुकूल
ReplyDeleteबढ़िया रचना
कंचन को उसके ब्लाग पर बधाई दे चुका हूं पर अभी भी काफी स्टाक है लो संभालो बधाई का एक और टोकरा
तुम्हारा फोन प्रेरणास्पद रहा गौतम
मैं आज फैक्ट्री जाकर सोनू का नंबर भेजता हूं
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
ReplyDeleteहाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूं तो
ek bahad khubsoorat rachana ........jisake bhaaw aise hi man ko door le kar chala gaya yu to ......ek behatrin rachana ke liye bahut bahut badhaaee
Kuchh log baaton ko thoonste hain, kuchh log kahte hain aur kuchh log dil men utaar dete hain. Meri nazar men Aap teesree sreni min hain.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
राह में संग चलूँ ये न गवारा उसको
ReplyDeleteदूर रहकर वो करे खूब इशारे यूं तो
... प्रभावशाली गजल !!!