नव वर्ष की आप सब को शुभकामनायें.प्रस्तुत है पिछले साल वाली पूरी गज़ल.श्रद्धेय गुरू पंकज सुबीर जी के सतत स्नेह और आदरणीय सतपाल जी के सुझावों से कहने लायक हो सकी है.२२२२-२२२२-२२२२-२२२ के मीटर पर बाँधी गयी,पेश है :-
दूर क्षितिज पर सूरज चमका,सुब्ह खड़ी है आने को
धुंध हटेगी,धूप खिलेगी,साल नया है छाने को
प्रत्यंचा की टंकारों से सारी दुनिया गुंजेगी
देश खड़ा अर्जुन बन कर गांडिव पे बाण चढ़ाने को
साहिल पर यूं सहमे-सहमे वक्त गंवाना क्या यारों
लहरों से टकराना होगा पार समन्दर जाने को
हुस्नो-इश्क पुरानी बातें,कैसे इनसे शेर सजे
आज गज़ल तो तेवर लायी सोती रूह जगाने को
पेड़ों की फुनगी पर आकर बैठ गयी जो धूप जरा
आँगन में ठिठकी सर्दी भी आये तो गरमाने को
टेढ़ी भौंहों से तो कोई बात नहीं बनने वाली
मुट्ठी कब तक भींचेंगे हम,हाथ मिले याराने को
साल गुजरता सिखलाता है,भूल पुरानी बातें अब
साज नया हो,गीत नया हो,छेड़ नये अफ़साने को
अपने हाथों की रेखायें कर ले तू अपने वश में
तेरी रूठी किस्मत ’गौतम’,आये कौन मनाने को
(त्रैमासिक पत्रिका "लफ़्ज़" के सितम्बर-नवंबर 09 अंक में प्रकाशित)
साल गुजरता सिखलाता है,भूल पुरानी बातें अब
ReplyDeleteसाज नया हो,गीत नया हो,छेड़ नये अफ़साने को
वाह, वाह, क्या बात है साहब छा गये!
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विनय प्रजापति/तख़लीक़-ए-नज़र
http://vinayaprajapati.wordpress.com
"अपने हाथों की रेखाएं कर ले तू अपने वश में,
ReplyDeleteतेरी रूठी किस्मत 'गौतम', आए कौन मानाने को"
इस शेर से मैदान मार लिया आपने| बहुत खूब|
गौतम जी बहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई स्वीकारें ...
ReplyDeleteअर्श
बहुत सुंदर रचना है।
ReplyDeleteनए साल की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ।
भाई राजरिशी जी,
ReplyDeleteप्रणाम आप यकीन नहीं करेंगे कि मैने आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं देने के लिए अपना ब्लॉक क्लिक किया ही था कि अचानक पाया कि एक कमैंट बढ़ा हुआ है देखा तो आपका ही संदेश था। आपके स्नेह और सुझाव पाकर मैं ख़ुश होता हूं लेकिन भाई ये मीटर न बाबा न। मुझे अपनी धुन मैं बहने दो और अपना स्नेह मेरे साथ रहने दो। आपकी ग़ज़ल भी पढी वाह वाह वाह।
वाह गौतम! आख़िरी शेर तो ग़ज़ब है।
ReplyDeleteBeautiful !!
ReplyDeletePehli baar aapke blogpe aayi hun...rachna damdaar hai..mera naye saalka ekhi sandesh hai,
ReplyDelete"Aao ham sab milke Bharatko shaanteeka samrajya banaye, naki aatank ka dera. Aatank hameren dilo dimaagse door chala jaye, yahi pran karen...sabke manme yahee jazba ho...yahi kaamna karti hun
Mere blogpe aaneka shehil nimantran !
अच्छा तो अब अब मीटर लगाकर गज़ल लिखी जारही है ! इसी लिए हृदय में कई मीटर तक असर हुआ ! वैसे आपके हाथ में परमाणु बम का बटन होता तो पाकिस्तान तो गया था काम से ! छोडते तो हम भी नहीं !
ReplyDeleteगौतम जी बधाईयाँ। गजल का तेवर तो देखते बनता है। क्या खूब लिखा है। नये साल की धमाकेदार शुरुआत की है आपने।
ReplyDeleteधुंध हटेगी ,धूप खिलेगी एक आश्वाशन /देश खड़ा अर्जुन बनकर एक हौसला एक अरमान /समंदर के पार जाने का एक दृढ निश्चय /आज की ग़ज़ल को हुश्न ,इश्क, शराब ,शबाब ,नैनो (कार नहीं बल्कि नयनों का कटीलापन, जुल्फों के बादल की ज़रूरत भी नहीं है /नया गीत गाना ,नए साज छेड़ना और पुराने अफ़साने भूल जाना ही उचित है /रेखाओं की बात बहुत अच्छी कही ""अपने हाथों की लकीरें तो दिखादू लेकिन ,क्या पढेगा कोई किस्मत में लिखा ही क्या है ""इसलिए न बश में करता न किसी को दिखाता
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteगौतम भाई गुरु पंकज जी का कहना है की पहले आपने आपसे प्रतिस्पर्धा करो उसके बाद दूसरों की और देखो...देख रहा हूँ की आप की लेखनी में लगातार सुधार हो रहा है और आप अपनी हर ताज़ा रचना में पिछली से बेहतर नजर आते हैं...ये बहुत खुशी की बात है...आपके शेरों में बहुत दम दिखाई दे रहा है... बहुत बहुत बधाई...कुछ शेर तो भाई वास्तव में उस्तादों जैसे हैं...
ReplyDeleteनीरज
pedo ki fungi par aakar baith gayi jo dhoop jara
ReplyDeleteaanagan me thithki sardi bhi aaye to garmaane ko...
kya baat kahi hai dost....tumme ek gajab ka hunar hai ,is duniya se maslo ko uthane ka aor unhe alfaaz me dene ka..kabhi kabhi mujhe aisa lagta hai agar kuch aor vaqt do ..ek bemisaal gajal khadi kar sakte ho....
साल गुजरता सिखलाता है,भूल पुरानी बातें अब
ReplyDeleteसाज नया हो,गीत नया हो,छेड़ नये अफ़साने को
बहुत शानदार ...नव वर्ष की शुभ कामनाएं !!!!!!!!!!
पहले भी आया था ..पर प्रोफाइल खुलते ही भीतर आने के बजाय आपकी फोटो देखने में ज्यादा समय लगा देता हूँ ...........और दिल्ली की बिजली इतना वक्त कहाँ देती है कमेन्ट छोड़ कर पहले ख़ुद को समेटना पड़ता है............चलिए आज मुबारक हो आपको नया साल ...इस वीर रस की ग़ज़ल के साथ.............मज़ा आ गया.........
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteसाल गुजरता सिखलाता है,भूल पुरानी बातें अब
ReplyDeleteसाज नया हो,गीत नया हो,छेड़ नये अफ़साने को
बहुत सुंदर ग़ज़ल.
नव वर्ष की शुभ कामनाएं !
'साल गुजरता सिखलाता है,भूल पुरानी बातें अब
ReplyDeleteसाज नया हो, गीत नया हो,छेड़ नए अफ़साने को'.
- नए साल का दृढ़ संकल्प. .
साल गुजरता सिखलाता है,भूल पुरानी बातें अब
ReplyDeleteसाज नया हो,गीत नया हो,छेड़ नये अफ़साने को
नए साल का अभिनन्दन करती बहुत ही सुंदर गजल कही आपने ..बहुत बढ़िया
क्या बात है... बढ़िया रचना है भई... बधाई स्वीकारें...वैसे मोबाइल भी ठीक-ठाक था...khair....
ReplyDeleteदेहरादून से छपने वाली पत्रिका "सरस्वती-सुमन" का ग़ज़ल विशेषांक आया है .
ReplyDeleteआपकी पारखी नजरों से गुज़र जाए तो उसके वक़ार में इज़ाफा हो..
पता है : डॉ आनंद सुमन सिंह, मुख्या सम्पादक ,
सरस्वती सुमन , १-छिबर मार्ग , आर्य नगर , देहरादून .
फ़ोन : ०९४१२० ०९००० .
नव वर्ष पर आपकी प्रस्तुति पढ़ी. अच्छी लगी. रचना का सकारात्मक उल्लेख मैंने अपने ब्लॉग की नयी पोस्ट में किया है. कृपया देखियेगा.
ReplyDeletebahut hi pyari gajal
ReplyDeleteनए साल में जोश से भरी हुयी ग़ज़ल. पढ़ कर दिल खुश हो गया. भाई वाह वाह वाह!!!
ReplyDeleteमुबारक हो आपको नया साल
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति पढ़ी. अच्छी लगी.
भई... बधाई स्वीकारें...
गौतम भाई, यह ग़ज़ल तो बहुत सुंदर है! बधाई!
ReplyDeleteसाहिल पर यूँ सहमे सहमे वक्त गंवाना क्या यारो
ReplyDeleteलहरों से टकराना होगा पार समन्दर जाने को...
वाह....! ये है एक फौजी की गजल....
बहोत- बहोत बधाई शे'रदिल गजल के लिए...
behtareen gazal ji , maza aa gaya padhkar ..
ReplyDeletebadhai ..
maine kuch nayi nazmen likhi hai , padhiyenga..
vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/
सीख भी लेते आपसे लिखना,होता गर अपने वश में
ReplyDeleteइसी तरह से लिखते रहिये ,सम्मोहन बिखराने को
aapki nazm padh kar kasam se 'man karta hai gane ko !! (dekhiye radif aur kafiya taarif karte wqut bhi chura liya :) )'
ReplyDeletethe best line:
हुस्नो-इश्क पुरानी बातें,कैसे इनसे शेर सजे
आज गज़ल तो तेवर लायी सोती रूह जगाने को
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ab sada ki tarah kuch meri taraf se:
chidya sa wo pyaara bachapn,shakhon main ab bhi rehta hai,
panchi ki is khamoshi ko, geet naya do gaane ko.
teri himmat,unki fitrat,tera hosla unki himakat,
maan gaye hum 'gautam' tujhko, man gaye zamane ko.
(This is dedicated to gautam rajrishi 'The army man').....