कुछ रंग अनदेखे-से...
होली की खुमारी चेहरे पे लगे रंगों के गीलेपन के साथ ही धीरे-धीरे सूखती हुई...उतरती हुई। रंगों की ये धमाचौकड़ी पूरे मौसम को ताजगी देती हुई-सी, जिसकी आगे आने वाले पतझड़ के वास्ते डटे रहने के लिये दरकार है। हर रंग अपनी कहानी कहता हुआ...और ऐसे में अचानक से मुझे कुछ ऐसे रंगों की याद आती है जिन्हें सिर्फ कविताओं में, ग़ज़ल के शेरों में, कहानियों में , गीतों में...अपने प्रिय साहित्यकारों द्वारा बिम्बों, प्रतिकों के तौर पे इस्तेमाल करते हुये पढ़ा जाता है। ये रंग जिन्हें हम सिर्फ पढ़ते हैं शब्दों में, देख कभी नहीं पाते हैं हकीकतन। कम-से-कम मैं तो नहीं ही देख पाया हूँ अब तलक। किंतु इन रंगों की खुमारी कम नहीं है कहीं से भी, अभी-अभी चेहरे पे पुते इन गीले रंगों के मुकाबले। आइये देखते हैं शब्दों वाले ये अजीब नशीले रंग जो आपलोगों की निगाहों के समक्ष से भी गुजरते होंगे यदा-कदा :-
नीला चाँद
कत्थई आँखें
हरी तबीयत
पीली बारिश
बैंगनी अँधेरा
सब्ज़ रूहें
इंद्रधनुषी सपने
मटमैले हर्फ
लाल प्रश्न
सुर्ख हवा
चितकबरी यादें
रंगों का ये नशा हमपे, आपसब पे सर्वदा-सर्वदा छाया रहे...!
ये ऐसा नशा है... जो अब उम्र भर (अंतिम सांस तक) के लिए चढ़ चूका है...
ReplyDeleteलागी छूटे न :)
इंतज़ार है अगली पोस्ट का.
नीला चाँद
ReplyDeleteकत्थई आँखें
पीली बारिश
बैंगनी अँधेरा
सब्ज़ रूहें
इंद्रधनुषी सपने
मटमैले हर्फ लाल प्रश्न
सुर्ख हवा
चितकबरी यादें
वाह,गौतम भाई.. क्या रंगीन लेख है!होली का आनंद शब्दों में उतर आया है..
होली की शुभकामनाएं!
वैसे रंग़ो का नशा गजब का होता है। इंद्रधनुषी सपने, चितकबरी यादों के रंग हमें अपने रंग़ में डुबोये रहते है जी। हमेशा की तरह एक अलग सी पोस्ट।
ReplyDeleteमुझे पसंद आया
ReplyDeleteचितकबरी यादें...
एक नए अंदाज़ की पोस्ट
ReplyDeleteबहुत खूब हा हा हा ................
आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें
शब्दों का रंग और नशा वास्तव में अनुभूति की चीज है!
ReplyDeletekya baat hai naya andaaj ,behtareen khayal.
ReplyDeleteरंग तो अभी तक उतरे नहीं है, आपकी इस रंग-बिरंगी प्रस्तुति का जवाब नहीं.
ReplyDeleteलाजवाब विशेषण...एक दम नए और अछूते...वाह...
ReplyDeleteनीरज
शतरंगी शब्दों को पढ़कर तबियत 'हरी' हो गई.
ReplyDeleteआपने लिखा है... "ये रंग जिन्हें हम सिर्फ पढ़ते हैं शब्दों में, देख कभी नहीं पाते हैं हकीकतन।"....आपको कैसे पता.."कत्थई आँखें नहीं होतीं??.....कितनी लड़कियों की आँखों में झाँक कर देखा है??.हा हा हा
ReplyDeleteगौतम जी आदाब
ReplyDeleteजिनका जिक्र आपने किया......
इन सभी रंगीनियों से सजे होली के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.
waah
ReplyDeleteलाल प्रश्न
ReplyDeleteचितकबरी याद -
पर अटका मन ।
पोस्ट अच्छी लगी । आभार ।
Interestingly intelligent!
ReplyDeleteand
Intelligently interesting!
:-)
चितकबरी यादें
ReplyDeleteजरूर "उसी" का असर है .....
वैसे बड़ा हसीं असर है ...
होली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteज़िन्दगी का कारवां गुजरता है और चितकबरी यादें उडती रहती है देर तक दूर तक..
ReplyDeleteखुशबू और पहचान वाले..सारे रंग एक साथ!
ReplyDeleteनीला चाँद , कतई आँखें ,पीली बारिश , बैगनी अँधेरा , सब्ज रूहें , इन्द्रधनुषी सपने और बाकी सारे रंग ये तो आपकी और हमारी कल्पनाओं को हकीकत की जमीन देने वाले रंग हैं ... शायद इन रंगों का भी कोई सपना होगा ,,,, मसलन नीले रंग की तमन्ना होगी चाँद को अपने रंग में रंगने की या पीले रंग का ख्वाब होगा बारिश को अपने रंग में रंगने का ,,, और सपने तो फिर .... सपने हैं .....
ReplyDeleteयूँ तो आपने सही कहा ...पर इन रंगों में नशा कहाँ से आया ये भी कोई बताये
नीला चाँद
ReplyDeleteकत्थई आँखें
पीली बारिश
बैंगनी अँधेरा
सब्ज़ रूहें
इंद्रधनुषी सपने
मटमैले हर्फ लाल प्रश्न
सुर्ख हवा
चितकबरी यादें
अगर जीवन मे इन शब्दों का तिल्लिसम न छाया रहे तो शायद कोई कवि, शायर न बने। शब्दों के साथ जीने की कला एक नशा है, जिसे अकसर लोग पी कर जीवन गुजार देते हैं। क्या फर्क पडता है-- अब हमने होली नही खेली मगर ब्लाग जगत की खुशियों मे रंगे रहे शायद ऐसे ही बहुत से लोग भी। ये कलपनायें हमे जीने का सन्देश देती हैं बस शायद इन्ही के सहारे आप जैसे लोग बीहडों मे भी एक जिन्दगी तलाश लेते हैं। बहुत बहुत शुभकामनायें और आशीर्वाद्
वाह यूं भी सोचा जा सकता है मैंने कभी सोचा न था
ReplyDelete:)
क्या रंग जमाया है आज ! मामला riot of colours का हो गया है.
ReplyDeleteरंग हर अमूर्त को चाक्षुष संवेदना के दायरे में ले आते है.
Arre waah alag lekindilkash andaaz.....pad kar accha laga!!
ReplyDeleteDhanywaad
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
आपकी रचनाओं से कुछ अलग सा रंग है ये.....!
ReplyDeleteआपने अंधेरे को खूब जोड़ा बैंगनी से,इस समय बी टी ब्रिन्जल का हल्ला है और सब अंधेरे में हैं कि भाई ये क्या बला है। न मानो तो सर्वेक्षण करालो, इसपर लंबे-लंबे वक्तव्य देने वाले भी अंधेरे में हैं।
ReplyDeleteवाह!!..और मुझे लगा कि होली पर कलरफ़ुल गुझिया बनाने के सामान की कोई लिस्ट है ;-)
ReplyDeleteखैर सारी चीजें नोट कर ली गयी हैं..और उनको खोज कर इकट्ठा करने का काम जारी किया जायेगा..कुछ नशीली सी डिश तैयार करने के लिये..बाकी तो ठीक है लाइब्रेरीज् मे मिल जायेगा हाँ सब्ज रूहें और चितकबरी यादें थोड़ा खोजनी पड़ेगी..’ई-बे’ वाले शायद डिस्काउंट भी दे दें..;-)
होली के बाद की ( i.e. चिरस्थाई) मुबारकबाद!!
आमीन. अगली पोस्ट का इन्तज़ार कर रहे हैं.
ReplyDeleteनीला चाँद
ReplyDeleteकत्थई आँखें
पीली बारिश
बैंगनी अँधेरा
सब्ज़ रूहें
इंद्रधनुषी सपने
मटमैले हर्फ
लाल प्रश्न
सुर्ख हवा
चितकबरी यादें
इनमे किसी गजल से ज्यादा नशा भरा हुआ है
GAJAB KA NASHA HEI.....LAGA JO EK BAR KABHI CHUTEGA NAHI
ReplyDeleteअटकी हूँ रंगों की इस घालमेल में ...
ReplyDeleteये उपमा अलंकार है या अतिश्योक्ति ....
मगर सच ...अनुभूतियों के रंग ऐसे ही होते हैं ....
खड़े रहे ....हाथ बान्धे ....सर झुकाए ....कतारबद्ध
रंग सारे आबनूसी ...दुआओं में उसकी असर तो है ....!!
रंग में डूबी हुई एक सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteरंग अच्छे हैं
ReplyDeleteडरा दिया आपने ईश्वर न करे कभी पीली वारिश देखने को मिले ! अच्छा है पीली के बाद वारिश को देखना आसान नहीं नहीं तो कमज़ोर दिल के लोग घबरा जाते ...!
ReplyDeleteशुभकामनायें !
गौतम ,
ReplyDeleteतुम्हारे जीवन में सदा सभी रंग खुशियाँ ही खुशियाँ दें . बहुत बहुत आशीर्वाद !!
- दीदी -
rang aur bhi hain..
ReplyDeleteज़र्द चेहरा ,gulabi aankhen ,sunhari zulfen,chandi sa rang ,surmayee shaam.....etc etc...
होली की शुभकामनाएं!
मेजर......
ReplyDeleteहजारों मर्तबा सोच है कि रंगों की कोई दुनिया है, जहाँ वे हम सबसे खेलते हैं.........रंगों से खूबसूरत कोई चीज होती ही नहीं.......चाहे वो कत्थई आँखें हों.......या नीला चाँद.........एक पाकीज़ा एहसास की तरह सब्ज़ रूहें हों या इंद्रधनुषी सपने...........वाकई ये रंग ही तो हैं जो जीने की वजहों को खूबसूरत और बदसूरत बनाते हैं.........इस पोस्ट को पढने के बाद लगा कि कायनात को देखने का जो चश्मा आपने लगा रखा है उसका नंबर मुझसे भी मुतास्सिर है...........क्या कहूं ...................बस इतना समझ लीजे कि काईया आँखों से दुनिया देखने का जो हुनर आपमें है वो लाजवाब है..........आमीन.......फिर जा रहा हूँ आपकी पोस्ट को दुबारा पढने...........!
very differnt..very honest.liked the style very much sir
ReplyDeleteसाहित्य मे रंगों को लेकर बहुत सारे बिम्ब रचे गये हैं । कुछ कुछ मुझे भी याद आ रहे हैं ---
ReplyDeleteकेदारनाथ सिंह - सबसे सरल शब्द वे होते हैं / जो होते हैं सबसे काले और कत्थई /सबसे जोखिम भरे वे जो हल्के पीले/और गुलाबी होते हैं (शब्द)
ये कविओं की आँखें हीं कुछ अलग होती है, पता नहीं कहाँ-कहाँ क्या रंग देख लेती हैं..
ReplyDeleteनीला चाँद
ReplyDeleteकत्थई आँखें
पीली बारिश
बैंगनी अँधेरा
.........
.........
सुर्ख हवा
चितकबरी यादें
वाह वाह गौतम जी !!एकदम नए अंदाज़ की रचना ...होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
शब्दों में रंगों का सैलाब मिला ! क्या बात हैं ! और चितकबरी यादें तो मन की हरी दरी पर उछलने लगीं !! ये अलग कमाल हुआ आपकी कलाम का !!
ReplyDeleteज़रा देर से आया, चाहता हूँ क्षमार्घ माना जाऊं !
सप्रीत--आ.
Oho kam shabdon main rache satrangi bhav!ahaa!
ReplyDeletewaah kya upma di hai
ReplyDeletehar shabad sateek
Holi par shubhkamnaayen
deri ke liye kashma parrthi hun
aap khud is post ma ajib rang me range dikhe
ReplyDeletebeshak pasand aayaa.
arsh
Wah! Kya khoob rang yaad dila diye!
ReplyDeleteJinhen bhool chale the ham,dikha diye!
socha padh to liya hai .....chalo laut chalu...par shabdo ke rang ne jaane hi na diya....Der se hi sahi...baigni andhera, matmaile harf aur chitkabri yaadein mubarak!
ReplyDeleteदो को छोड़कर मेरे लिए तो सभी शब्द नए और अनोखे हैं - धन्यवाद् - होली की (belated) हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteअब इन सब रंगों से भरी एक ग़ज़ल कह दीजिये भैय्या..............
ReplyDeleteइंतज़ार रहेगा उस ग़ज़ल का
रंगीन अनुभूति
ReplyDeleteकल आफिस में लंच करते समय उन्होंने कहा था....
ReplyDelete"मनु यार कम से कम हाथ तो धो ले।"
"धुले तो हैं " मैंने कहा पर उँगलियों पर हल्का गुलाबी रंग, और कहीं एक शोख आसमानी रंग नज़र आ रहा था
"तो ये क्या है....?"
"ये तो रंग हैं ,हाथ तो धो चुका हूँ पर ये नहीं छूट रहे.....आप ही बताओ क्या करुँ "
"दुबारा हाथ गीले कर के स्लैब के उलटी तरफ़ खुरदरी जगह पर जोर से रगड़ ले, सब छूट जाएगा "
मैंने उनके कहे पर अमल करना शुरू किया........पर जाने क्यूं इन शोख रंगों को जोर से रगड़ने की हिम्मत हाथों को ना हुई, कुछ देर वो मेरा इंतज़ार देख के बोले " एक मिनट का काम है, बस,, पर तू ही नहीं चाहता...."
""जी शायद मैं ही नहीं चाहता, आप चाहें तो मेरे बिना अकेले लंच कर सकते हैं ......."
अब रंगों का नशा उतरने भी दीजिये मेजर साहब...
ReplyDeleteबहुत अच्छे!
ReplyDeleteयह रंगीन पोस्ट दिल को रंग गई...
ReplyDeleteमीत
सही पकड़ा आपने बिम्ब में घुले रंगों को.......
ReplyDeleteचितकबरी यादें! मतलब यादें भी फ़ौजी हैं।डिस्रप्टिव ड्रेस में? जय हो!
ReplyDeleteबेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ ,
ReplyDeleteयाद आता है चौका-बासन, चिमटा फुँकनी जैसी माँ ।
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में ,
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां
बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ ,
ReplyDeleteयाद आता है चौका-बासन, चिमटा फुँकनी जैसी माँ ।
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में ,
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां