सोच कर सिहर उठता हूँ कि उस रोज- उस 3 नवंबर 1947 को मेजर सोमनाथ शर्मा अगर अपनी बहादुर डॆल्टा कंपनी के पचास-एक जवानों के साथ श्रीनगर एयर-पोर्ट से सटे उस टीले पर वक्त से नहीं पहुँचे होते तो भारत का नक्शा कैसा होता...!
26 अक्टूबर 1947 को जब बड़ी जद्दोजहद और लौह-पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के अथक प्रयासों के बाद आखिरकार कश्मीर के तात्कालिन शासक महाराज हरी सिंह ने प्रस्ताव पर दस्तखत किये तो भारतीय सेना की पहली टुकड़ी कश्मीर रवाना होने के लिये तैयार हुई। भारतीय सेना की दो इंफैन्ट्री बटालियन 4 कुमाऊँ{FOUR KUMAON} और 1 सिख{ONE SIKH} को इस पहली टुकड़ी के तौर पर चुना गया। 27 अक्टूबर 1947- जब भारतीय सेना की पहली टुकड़ी ने श्रीनगर हवाई-अड्डॆ पर लैंड किया, इतिहास ने खुद को एक नये तेवर में सजते देखा और इस तारीख को तब से ही भारतीय सेना में इंफैन्ट्री-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मेजर सोमनाथ शर्मा इसी कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन{FOUR KUMAON} की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे और उन दिनों अपना बाँया हाथ टूट जाने की वजह से हास्पिटल में भर्ती थे। जब उन्हें पता चला कि 4 कुमाऊँ युद्ध के लिये कश्मीर जा रही है, वो हास्पिटल से भाग कर एयरपोर्ट आ गये और शामिल हो गये अपनी जाँबाज डेल्टा कंपनी के साथ। नीचे की तस्वीर में आप देख सकते हैं मेजर सोमनाथ को हाथ में प्लास्टर लगाये:-
उधर कबाईलियों का विशाल हुजूम कत्ले-आम मचाता हुआ बरामुला शहर तक पहुँच चुका था। उनकी बर्बरता की निशानियाँ और दर्द भरी कहानियाँ अभी भी इस शहर के गली-कुचों में देखी और सुनी जा सकती है। ...और जब दुश्मनों की फौज को पता चला कि भारतीय सेना की अतिरिक्त टुकड़ियाँ भी श्रीनगर हवाई-अड्डे पर लैंड करने वाली है, तो वो बढ़ चले उसे कब्जाने। उस वक्त मेजर सोमनाथ अपनी डेल्टा कंपनी के साथ करीब ही युद्ध लड़ रहे थे जब उन्हें हुक्म मिला श्रीनगर हवाई-अड्डे की रखवाली का...और फिर इतिहास साक्षी बना शौर्य, पराक्रम और कुर्बानी की एक अभूतपूर्व मिसाल का जिसमें पचपन जांबाजों ने पाँच सौ से ऊपर दुश्मन की फौज को छः घंटे से तक रोके रखा जब तक कि अपने सेना की अतिरिक्त मदद पहुँच नहीं गयी। मेजर सोमनाथ के साथ 4 कुमाऊँ की वो डेल्टा-कंपनी पूरी-की-पूरी बलिदान हो गयी। मृत्यु से कुछ क्षणों पहले मेजर सोमनाथ द्वारा भेजा गया रेडियो पर संदेश:-
“I SHALL NOT WITHDRAW AN INCH BUT WILL FIGHT TO THE LAST MAN & LAST ROUND"{मै एक इंच पीछे नहीं हटूंगा और तब तक लड़ता रहूँगा, जब तक कि मेरे पास आखिरी जवान और आखिरी गोली है}
मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत स्वतंत्र भारत के सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार "परमवीर चक्र" से नवाजा गया और वो इस पुरुस्कार को पाने वाले प्रथम भारतीय बने। संयोग की बात देखिये 4 कुमाऊँ की इसी डेल्टा-कंपनी के संग युद्ध के दौरान शहीद हुये पाकिस्तानी सेना के कैप्टेन मोहम्मद सरवर को भी मरणोपरांत पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार "निशान-ए-हैदर" से सम्मानित किया गया था और वो भी इस पुरुस्कार को पाने वाले प्रथम पाकिस्तानी थे।
आप सब में से कोई अगर कुमाऊँ की पहाड़ियाँ नैनिताल आदि घूमने जायें, तो रानीखेत अवस्थित कुमाऊँ रेजिमेंट के म्यूजियम में अवश्य जाईयेगा...शौर्य की इस अनूठी दास्तान को करीब से देखने-जानने का मौका मिलेगा। जो लोग कश्मीर-वादी की सैर को हवाई-रास्ते से आते हों तो श्रीनगर एयरपोर्ट से बाहर निकलने के बाद तनिक ठिठक कर दो पल को हमारे हीरो मेजर सोमनाथ की प्रतिमा को सलाम जरूर दीजियेगा।...और जिन लोगों को कभी मौका मिले हमारे 4 कुमाऊँ के आफिसर्स-मेस में आने का,तो उन्हें दिखाऊँगा वो पहला परमवीर चक्र का असली पदक जो मेजर सोमनाथ के परिजनों ने हमारे मेस को सौंप दिया है श्रद्धापूर्वक।
नमन है बहादुरी को. एक जामने में परम वीर चक्र सीरियल बना था, उसी में देखी थी शाहीद सोमनाथ जी की जांबाजी की कहानी. आज आप से सुनी. आप सबको सलाम!!
ReplyDeleteनमन इस जांबाज को। सोमनाथ शर्मा के बारे में पढ़्कर शिराओं में रक्त-प्रवाह तेजी से होने लगा है। अप्रतिम शौर्य के इस मिसाल को पुनः नमन।
ReplyDeleteपरम वीर चक्र से मेजर सोमनाथ शर्मा का एक और विचित्र सा संयोग है?
ReplyDeleteशायद, इसपर भी कुछ प्रकाश डालिए.
मेजर सोमनाथ के बलिदान के बारे में कई बार पढ़ा ..और दूरदर्शन के धारावाहिक परमवीर चक्र में देखा भी ...हर बार ही इन शूरवीरों की देशभक्ति और बलिदान को देखकर नतमस्तक होते रहे हैं ...एक बार फिर इनसे परिचय के करने के लिए बहुत आभार ...!!
ReplyDelete4 कुमाऊँ का एक हिस्सा होने के कारण फक्र महसूस करने की आपकी भावना को सलाम ...!!
ऐसे भारतमाता के बहादुर अमर सपूत को मेरा शत शत नमन...
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका आभार बड़े भाई..
जय हिंद...
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ReplyDeleteजांबाज को सलाम...
ReplyDeleteआखिरी जवान और आखिरी गोली वाली बात बचपन में सुनी थी ...आज भी याद है...
हाँ, वजह का आज पता चला है...
हाथ में पलास्टर लगे मेजर की तस्वीर को काफी देर तक देखने का मन पता नहीं क्यूँ हो रहा है...
पता लगा आपका आपकी ४ कुमाऊँ के बारे में इतना गहरा जुडाव.. इअसा जज्बा...ऐसी रेजिमेंट का हिस्सा हैं आप ...
और हम आपका एक छोटा सा हिस्सा...
हमारे लिए भी गर्व की बात है....
हाँ ,
मेजर प्रवीन शाह वाली बात पर गौर कीजियेगा...
या बेहतर हो के मेजर शाह खुद ही बता दें उस संयोग के बारे मैं...
उत्सुकता बहुत बढ़ गयी है...
ब्लॉग बार बार खोलना पडेगा
"अपनी आज़ादी को हम
ReplyDeleteहरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन ,
सर झुका सकते नहीं "
क्या जज्बा है -
क्या वीरता है
क्या साहस , क्या दीलेरी है
आफरीन ...आफरीन ...
गौतम भाई ,
अब पता चला
आप एक बहादुर परम्परा के वाहक हैं -
भारत माता को अपने परमवीर बेटे पर
नाज़ है -
हम हिन्दोस्तानीयों को,
आप जैसे बहादुर रक्षकों को पाकर ,
ही अमनो चैन हासिल है
ये भी जानती हूँ
ईश्वर आपको दीर्घायु करें
- मेजर सोमनाथ शर्मा को
बारम्बार , नमन --
जय हिंद - जय हिंद की सेना
- लावण्या
मेजर सोमनाथ शर्मा को श्रद्धांजली ! आपका आभार !
ReplyDeleteमेरा मेजर सोमनाथ शर्मा जी को नमन
ReplyDeleteनमन हर उस फौजी को जो देश के लिए डटे हुए हैं
और सलाम करता हूँ इस बहादुरी को
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ReplyDeleteदेश के लिये जान लुटा देने वाले सच्चे सपूत को शत शत नमन।सच कहा आपने अगर मेजर शर्मा और उन जैसे सपूत नही होते तो पता नही देश का नक्शा कैसा होता?और शायद हम चैन से जी भी नही पाते।अमर जवानो को मेरा सलाम्।
ReplyDeleteइस वीर को मेरा नमन !मगर क्या इस देश ने, इसके भरष्ट राजनीति ने उन वीरो की कुर्वानियों का महत्व समझा ? न जाने क्यों कभी कभी लगता है कि सब बेकार गया !
ReplyDelete"परमवीर चक्र" विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा जी को और उनके शौर्य को शत शत नमन .
ReplyDelete'4 कुमाऊँ' का हिस्सा होने पर बधाई.
हर जगह पर अपनी कविता नहीं पढ़नी चाहिये लेकिन आज यहां पर अपने को रोक नहीं पा रहा हूं । मेरी एक कविता है कश्मीर उसका छंद है कुछ इस प्रकार
ReplyDeleteसैंतालिस में जिन्ना भी ये खेल खेलने निकला था
चंद कबाइलियों के दम कश्मीर हड़पने निकला था
सोचा था उसने धरती का नंदन वन ले लेगा वो
घाटी का हरियाला बर्फीला तन मन ले लेगा वो
वो कश्मीर हड़पने निकला था बिल्कुल ही सस्ते में
लेकिन कोई सोमनाथ सा वीर खड़ा था रस्ते में
उसने भारत से घांटी की टूटी कडि़यां जोड़ी थीं
काश्मीर का खवाब देखने वाली आंखें फोड़ी थीं
पाकिस्तानी मच्छर जब पैदा होते ही उछला था
सत्ताइस अक्टूबर सन सैंतालिस को ही मसला था
वादी में सेना ने जिन्ना का सपना दफनाया था
लाल चौक में तीन रंग का परचम तब लहराया था
ये कविता मेरी तरफ से एक श्रद्धा सुमन स्वर्गीय श्री सोमनाथ जी तथा उनके जैसे कई सारे शहीदों को जो भारत को भारत बना कर चले गये । मेरा कोटि कोटि प्रणाम वंदन
मेरी थाली में ना कोई अक्षत है ना चंदन है
मेरी थाली तो अपनी ही कायारता पर गुमसुम है
परमवीर को याद करने एवं याद कराने के लिये साधुवाद।
ReplyDeleteमैने इस लेख का लिंक "मेजर सोमनाथ शर्मा" नामक हिन्दी विकि के लेख में दे दिया है। यदि आप इस लेख को और आगे बढ़ा सकें तो हिन्दी दो कदम आगे चली जाय।
दूरदर्शन पर काफी साल पहले विंग कमांडर अनूप सिंह बेदी का बनाया एक सीरियल आता था- परमवीर चक्र...उसमें सभी पीवीसी विजेताओं की एपिसोड वार कहानी सुनाई जाती थी...सभी एपिसोड दिल को छूने वाले बने थे...सेना खुद ही अब इस सिलसिले को आगे क्यों नहीं बढ़ाती...लाख विज्ञापनों से युवा सेना को करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं होंगे, जितना कि परमवीर चक्र विजेताओं की गाथाएं युवाओं के दिलों पर असर डालेंगी...
ReplyDeleteजय हिंद...
AAJ KA DIVAS ANKALP DIVAS KE ROOP MEIN MANAYA JANA CHAHIYE. KISI BHI VISHESH DIVAS KO MANANA EK OPCHARIKTA BANTI JA RAHI HAI AUR SAB NISHINT HO JATE HAIN KI AAB KARNE KO KUCHH HAI HI NAHIN.
ReplyDeleteSAVADHAN! ESI SOCH KO LAGAM DENE KI AAVASHYAKTA HAI KUNKI MAJOR SOMNATH NE TO DUSHMAN SE LOHA LENE KE LIYE APNE PRAN GANVA DIYE PARANTU APNON SE HI KAISE LADENGE, VICHARNIYA PRASHNA HAI?
AAJ AAJAD BHARAT MEIN PRANON KE BALIDAN SE BHI MUSHKIL BALIDAN KI AVASHYAKTA HAI AUR VAH HAI JITE JI APNE MAAN AUR SWARTH KO DESH PAR BALIDAN KARKE JEENA AUR GAHR MEIN CHHUPE DOST DUSHMAN KO BHI AISA SABAK SIKHANA KI LOG DESH KE SWABHIMAN SE KHELNE KA PRAYAS KARNE KI HIMMAT NAHIN KAREN.
AVASHYAKTA HAI EISE BALIDAN KI JO EK SANDESH SAMAJ MEIN DE SAKE USKE LIYE TAN, MAN, DHAN, PARIVAR KA BALIDAN DENE VALE SAMAJ KI ATHVA APNE BAUDHIK KAUSHAL SE DESH KA VISHVA MEIN MAAN BADHANE VALE PRAYAS KI.
KYA EISE BALIDAN KO HAIN TAIYR?
SANDESH BHEJEN SWIKRUTI KA.
ER. RAJENDRA SHARMA, ALWAR
salaam karta hun main bharatmata ke us veer saput ko...
ReplyDeleteaap 4 kumaanyun se hain!!! fir to mulakat ka chance banta hai.. bahut kareeb hain ham to.. intazar rahega mujhe officers' mess tak pahunchne ke ek mauke ka...
चाहे 62 साल पहले हो या आज का दिन हो...... सरहद पर जब मेजर शर्मा या आप जैसे जांबाज जागते है तब हम जैसे लोग अपने अपने घरो में चैन की नीद ले रहे होते है .... क्या कहे .... बस इतना कि हम सब शत शत नमन करते है आपको और भारत के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा को !
ReplyDeleteजय हिंद !
बचपन में वाद-विवाद प्रतियोगिता के उपरांत एक पुस्तक पुरस्कार स्वरुप मिली थी - "अमर शहीद जवानों की स्म्रतियां" ! उसमें मेजर सोमनाथ शर्मा जी के बारे में विस्तार से वर्णन था ! बहुत पहले टेलीविजन पर भी सीरियल "परमवीर चक्र" को देखकर इनकी शौर्य गाथा को अनुभव किया था !
ReplyDeleteभारत माँ के इन वीर सपूतों के हम ऋणी हैं !
ऐसे महान बलिदान का महत्त्व देश कब समझेगा ?
उनकी स्मृति को ..उनके परम साहस-शौर्य को नमन है !
कुमायूं रेजिमेंट का नाम सदैव ही बहादुरी का पर्याय रहा है ! यह जानकार रोमांच और गर्व का अनुभव हुआ की आप भी 4 कुमाऊँ रेजिमेंट से जुड़े हैं !
सैल्यूट करता हूँ आपको
slaam hai....
ReplyDeleteaise hi na jane kitni kurbaniyon ke baad ham itni ajaadi se jee rahe hain...
meet
मैने इनकी वीरता की कहानी 80 मे "सैनिक समाचार" मे पढी थी, उससे नये लोगों को बहुत प्रेरणा मिलती है-और वो कबाईली तो नाम भर के थे-कबाइलियों के भेष मे पाकिस्तानी सैनिक थे जिनसे मेजर सोमदत्त शर्मा ने बहादुरी से युद्ध लड़ा था, एक भारतीय नागरिक एव सैनिक परिवार से भी होने के नाते मेरा शत-शत नमन
ReplyDeleteसोमनाथ शर्मा की शहादत को लोग अगर हम वाकई सम्मान देना चाहते है ..तो हमें स्वंय के भीतर ये प्रण लेना चाहिए की भले हमारे पास अपने सीमित दायरे हो .पर यदि हम अपना काम ईमानदारी ओर नेक निष्ठा से करेगे तो ये सच्ची श्रन्दाजली होगी ....गौतम मैंने ४७ के समय किसी चरवाहे या किसी असैनिक की बहुदरी के बारे में भी कही पढ़ा है ,,जिसने पाकिस्तानी सेना को जान बूझ कर गलत रास्ते में भटकाया था ताकि इंडियन आर्मी को वहां पहुंचने का वक़्त मिल सके .उसके बारे में कुछ जानकारी है ?
ReplyDeleteउम्मीद है हमारे राजनेता वर्तमान कश्मीर पर कोई भी निर्णय लेते वक़्त सोमनाथ जैसे शहीदों को याद रखेगे
मेजर सोमनाथ के बारे में बताने का शुक्रिया। मेजर सोमनाथ को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteपढ़ते हुए कई बार सिहरन हुई और रोंगटे खड़े रहे अंत तक ! ईमानदार और बेबाक टिप्पणी लिख रहा हूँ और क्या कहूं. नमन है मेजर साब को !
ReplyDeleteजै हिन्द ...
ReplyDeleteआपने आज फिर एक जांबाज से हमें मिलाया , श्रध्दा सुमन अर्पित करती हूँ
ReplyDeleteउस शहीद को शत शत नमन,जिनके बलिदान ने भारत का नक्शा और विखण्डित होने से बचा लिया....और आपका भी शुक्रिया, हमारी जेहन में उनकी याद फिर से जगाने के लिए...ऐसे ही समय समय पर इन सपूतों कि शौर्यगाथा से परिचित कराते रहें...हर बार ही पढ़कर गर्व से सर ऊँचा हो जाता है.
ReplyDeleteये सौभाग्य ही है कि मैं उस छोटे से कस्बे रानीखेत का रहने वाला हूँ जहां पर अक्सर आते जाते हम सोमनाथ ग्राउंड से होते हुए गुजरते हैं ! होश सम्हालने से लेकर आज तक मुझे रानीखेत निवासी होने का उतना ही घमंड है जितना कि आपको ४ कुमाऊँ के मेजर होने का !
ReplyDeleteआर्मी को जितनी नजदीकी से मैं समझ सकता हूँ समझा ! चाहे चाचा जी के "सियाचन " का अनुभव हो या ताऊ जी के सिक्किम का !
एक चचरे भाई के फिरोजपुर का अनुभव हो या दूसरे चचेरे भाई के राष्ट्रपति भवन का अनुभव !
कभी कभी अपने भाई (15 कुमाऊं रेजिमेंट का जवान ) से इस बात पर लडाई हो जाती है कि तुम आर्मी में जवान देश के लिए कुछ भी उत्पादन नहीं करते सिर्फ देश का पैसा खाते हो (मेरा इस बात को कहने का सिर्फ ये अभिप्राय होता है ताकि किसी भी बात से उसे नीचा दिखाया जाय ,जबकि दिल से इस बात को मैं खुद भी समझ रहा होता हूँ कि मेरे लिए,मेरे राष्ट्र के लिए "सेना" क्या कर रही है और किस स्तर के त्याग और बलिदान का प्रदर्शन करती आ रही है )
थोड़ी देर ठहर के वो बोलता है " बेटा दिल्ली में कंप्यूटर के आगे बैठ के तुम तभी काम कर पाते हो जब मैं बार्डर पर रात भर ए.के.47 लिए जागता रहता हूँ ! और स्वाभाविक है मेरा उसे शब्दों में भी हरा पाना मुश्किल होता जाता है !
इस लेख को पढने के पश्चात रौंगटे खड़े होना नैचुरल है !
"जय हिंद "
सोमनाथजी को विनम्र शर्द्धांजलि, और आपका बहुत आभार इसको बताने के लिएय.
ReplyDeleteरामराम.
shaheed ko naman , ashrupurna shradhanjali.
ReplyDeleteहम तो परमवीरचक्र के प्रथम विजेता, मेजर सोमनाथ शर्मा को यहीं से खड़े होकर आधी रात को सैलूट कर रहे हैं.....और पूरा विश्वास है उन्होंने श्रद्धा से भरे हमारे नयन....और कृतज्ञता से झुकी हमारी गर्दन जरूर देखी है.....
ReplyDeleteजीवन ने साथ दिया तो उनकी प्रतिमा के आगे शीश झुकाने ज़रूर आवेंगे......और आपकी मेस में भी हाजिरी लगावेंगे.......हम भी तो देखें करोडों लोगों को चैन की नींद सुलाने वाले हाथ, आँखें वो चेहरे आखिर कैसे होते हैं......जिनके बारे में सोच कर ही लगता है कोई प्रार्थना पूरी हो गई .....!!
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ReplyDeleteरोम रोम में रोमांच भर आया !!!
ReplyDeleteशत शत नमन !! शत शत नमन !! शत शत नमन !!
मेजर सोमनाथ को विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDelete'4 कुमाऊँ' का हिस्सा होने पर बधाई
मेजर सोमनाथ के बलिदान के बारे में पढ़ कर सच much rakt doudne लगा है ......... और आपने भी इस andaaz से लिखा है की garv होता है अपने देश के इन amar sapooton पर .........देश के ऐसे mahaan sainaani के बलिदान को naman है .........आपका भी शुक्रिया है परिचय karvaane की लिया ..........
ReplyDeleteगौतम जी सोमनाथ जी के बलिदान को आपके जरिए फिर से याद किया। कई बार पढा इनके बलिदान के बारें में। पर सोचता हूँ कि हम बस उनके बलिदान को याद करके रह जाते है। अनुराग जी ने सच कहा। उनकी कही बात से सहमत हूँ। और सोमनाथ जी को मेरा कड़क सा सेल्यूट।
ReplyDeleteगौतम जी
ReplyDeleteमन गद गद हो उठा ..इस लेख को पढ़ कर
मेज़र सोमनाथ...इनके नाम पर रानीखेत के उस ग्राउंड पर बचपन में उत्सव मानते ..इन वीर पुरुष को श्रद्धा सुमन अर्पित करते बड़े हुवे...आज भी वहां से गुजरते हुवे सर खुद बा खुद झुक जाता है उन महापुरुषों के आदर में .!!
गौतम जी आपका सत सत आभार जो आपने मेजर सोमनाथ के जाँबाजी और शहादत की ये कहानी हमें सुनाई । इसी तरह १९६५ और १९७१ और कारगिल युध्द में हमारे जवानों ने जान की बाजी लगा कर दुष्मनों को खदेडा और आप तो अभी अभी.....
ReplyDeleteसारे ऐसे वीरों को शतबार प्रणाम ।
मेजर सोमनाथ शर्मा जी के बलिदान को नमन। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और परिवार को इस आघात को सहने की शक्ति।
ReplyDeleteमेजर सोमनाथ की शोर्य गाथा पढ़कर आखें भर आयीं पर दिल फक्र महसूस कर रहा है सोमनाथ जैसे वीरों पर ...नैनीताल तो दो बार गए हैं पर म्यूजियम नहीं देखा ... अब किस्मत ने मौका दिया तो हाथ से जाने नहीं देंगे ...
ReplyDeleteमेरे शब्द बहुत छोटे हैं इन वीरों के सम्मान मैं कुछ कहने के लिए,
ReplyDeleteसेल्यूट करता हूँ इन वीरों को.
एवं आभारी हूँ गौतम जी का इतनी अच्छी बात बताने के लिए.
अमर शहीद मेजर सोमनाथ जी को मेरा कोटि कोटि प्रणाम... आगे कुछ भी लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के जैसा है ... कुमायूं रेजिमेंट और वर्दी से प्यार की बात को समझ सकता हूँ ...आज मेरा एक चचेरा भाई मेरे पास आया है और वो कल कश्मीर जाने वाला है वहीँ पर पोस्टेड है मन में क्या हलचल हो रही है मैं समझ सकता हूँ और दूर बैठे आप ... सलाम..
ReplyDeleteअर्श
True hero ... A unique role model for us and the next generation...
ReplyDeleteमेजर साहब, इतने बड़े शहीद को याद करती आपकी लेखनी को सलाम !!!! कभी-कभी इतिहास कुछ लम्हों मे सिमट आता है..तो कभी-कभी कुछ लम्हे फ़ैल कर खुद पूरा इतिहास बन जाते हैं...३ नवं ४७ का वह लम्हा भी कुछ ऐसा ही रहा होगा..मुल्क के इतिहास के लिये..सच है कि उन जान दे कर मिट्टी का कर्ज चुकाने वालों का कर्ज सिर्फ़ जिंदगी को मुल्क के नाम कर के ही चुकाया जा सकता है..और हम ऐसा करेंगे भी..
ReplyDelete..बचपन मे एक किताब मिली थी ’युद्ध के मोर्चे से’ वृंदावन लाल वर्मा की..इस मुल्क के आधुनिक युग के अजीम युद्धवीरों की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तानों की..डूब कर पढ़ा..कई-कई बार..बुखार सा रहा..कई दिन तक..ए एफ़ एस बी देने गया...उसी बुखार मे...मगर चूँकि हमारा मुस्तकबिल हमारी पेशानी पर ऊपरवाले की फ़ैक्ट्री से ही लिख कर आता है..सो जिंदगी के तयशुदा फ़ार्मेट मे सारी ख्वाहिशें फ़िट नही बैठतीं... मगर आज आपकी पोस्ट पढ़ कर वही फ़ीलिंग ताजा हो जाती है..आपको सलाम..उत्तम स्वास्थ्य की कामना के साथ..
परमवीर चक्र सीरियल पे एक बात याद आयी..उसका मदहोश कर देने वाला साउंडट्रैक.”शान तेरी कभी कम न हो..ऐ वतन’ वाला..सो होश सम्हालने से ले कर अभी तक दीवानों की तरह ढूँढा उसे..मगर नही मिला कहीं..आपको कोई आइडिया????
ReplyDeleteमेजर सोमनाथ शर्मा जी को विनम्र श्रद्धांजलि। ऎसे जवानो की वजह से हम आजाद है काश हमात्रे नेता भाई चारे का राग छॊड कर इन के जजबतो की कदर करे, जिस देश के लिये यह जवान अपनी जान तक दे देते है उन् की कुछ तो कदर करे.
ReplyDeleteआप का धन्यवाद
For me word 'Kashmir' has a deep association with him and his B&W snap always lurks before my eyes when people blame or defend the Kashmir policy of India. They do not know that had he and his paltan not sacrificed themselves we wouldn't be discussing Kashmir today. I have read whatever i could about him . On the day he attained martyrdom , his one hand was already badly injured ,but he still faced the enemy bravely.
ReplyDelete4 Kumaon --I salute thee !
ReplyDeleteमेजर सोमनाथ को मेरा सलाम । इतिहास की किताब को पलटकर आपने यह महत्वपूर्ण पन्ना हम लोगों के सामने रखा है ।
ReplyDelete- शरद कोकास "पुरातत्ववेत्ता "
http://sharadkokas.blogspot.com
देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ मेजर...अब जो सजा देना चाहो दे सकते हो. मन भर आया आपकी पोस्ट पढ़ कर . सच कहता हूँ जब भी सोमनाथ शर्मा जी की शहादत याद आती है सर फक्र से ऊंचा हो जाता है...ऐसे रण बाँकुरे ही इस देश की लाज अभी तक रक्खे हुए हैं वर्ना गद्दारों ने अपनी तरफ से इसे लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी हुई है...धन्य हैं मेजर और उनका ज़ज्बा...
ReplyDeleteजी रहे उनकी बदौलत ही सभी हम शान से
जो वतन के वास्ते यारों गए हैं जान से
नीरज
बहुत पहले इनके बारे में सुना था आज आपके द्वारा इन्हें और जाना .शुक्रिया नमन है ऐसे वीरों को ..
ReplyDeleteमेजर सोमनाथ शर्मा के बारे में जानकर बहुत गर्व हुआ कि ऐसे जांबाज ने हमारी इस धरती पर जन्म लिया है।
ReplyDeleteमेजर सोमनाथ शर्मा को सबसे पहला परमवीर चक्र दिया गया था। इस पदक की डिजाईन के बारे में मैने दो-तीन साल पहले एक लेख लिखा था जिसे पढ़ना आपको अच्छा लगेगा।
सावित्री बाई खानोलकर
मेजर सोमनाथ शर्मा को शत शत नमन और ऐसे महानतम देश भक्त से रूबरू करवाने के लिए आपका कोटि कोटि आभार |
ReplyDeleteकुछ मिनटों तक आपके इस आलेख ने निशब्द ही कर दिया |
पुनः कोटि कोटि प्रणाम भारत माता के वीरो को |
मेजर सोमनाथ शर्मा को शत शत नमन और ऐसे महानतम देश भक्त से रूबरू करवाने के लिए आपका कोटि कोटि आभार |
ReplyDeleteकुछ मिनटों तक आपके इस आलेख ने निशब्द ही कर दिया |
पुनः कोटि कोटि प्रणाम भारत माता के वीरो को |
महान सेनानी सोमनाथ शर्मा को हमारा नमन......आप भी उसी रेजिमेंट का हिस्सा हैं जानकर अच्छा लगा....पिछले बरस मैं श्रीनगर बारामूला उडी......कमान पोस्ट....गोरखा रेजिमेंट के साथ अटैच था तो बहुत कुछ सीखने देखने का अवसर मिला...आपके बारे में तब पता नहीं था वर्ना जरूर मिलता ...बहरहाल शानदार पोस्ट लिखने के लिए
ReplyDeleteसैल्यूट ...........
जैसा आपने कहा जरूर करूँगा... इतिहास जानकर ही घूमने जाना चाहिए... इस प्रेरक गौरव गाथा के लिए शुक्रिया...
ReplyDeleteअनोखा ब्लॉग है जो देश को समर्पित है .....इतनी बारीकी से सारे तथ्यों को जुटाना और उस पर लिखना कम गर्व की बात नहीं .....!!
ReplyDeleteपरमवीर विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा जी को नमन ....!!
हाँ 'क्रियेटिव मंच' ब्लॉग पर एक वीरांगना की दुश्मनों को ललकारती हुई आवाज़ सुनी आप भी सुनियेगा .....!!
saheji jaane vali etihasik jaankari..apne dil me apne dimaag me..hostory ka student raha hu, so somnathji sahit kai shaheedo ke sandarbh me padhh kar desh ke prati prem, bhakti bhavna se otprot hue bager kabhi nahi rah payaa. bachpan se army me shaamil hone ki ichcha aour jab padhhne likhane lagaa to kuchh jyada ichcha balvati hoti rahi thi..kintu..
ReplyDelete"hoi vahi jo raam rachi raakhaa..."
aapke saath yaani aapko padhhte rahne par mujhe kesi aatmaanubhuti hoti he..yah vyakt nahi kar sakta.
ये देश हर उस वीर जवान का ऋणी है जिन्हों ने अपनी जाने कुर्बान कर देश को दुशनम से बचाये रखा और हर उस वीर जवान का भी जो अपने सुख आराम अपने प्रियजनो से दूर देश की सुरक्षा ने दिन रात मुस्तैद हैं। मेजर सोमनाथ शर्मा जी की शहादत को शत शत नमन है। हम तो केवल नमन कह कर अपने कर्तव्य से फारिग हो जाते हैं मगर धन्य हैं वो परिवार जो इस शहादत के बाद के दुख को झेलते हैं बेशक देश के लिये और शहादत की मर्यादा के लिये वो आँख से आँसू न भी बहायें मगर उनके दिल हर पल रोते हैं। हमारे पडोसी शहीद कैप्टन अमोल कालिया की माँ जो मेरी सहेली है उसे पल पल तिल तिल तडपते देखती हूँ तो कलेजा मुँह को आता है। फिर भी दूसरे बेटे को एयर फोर्स मे भेजा है। नमन है ऐसी मॉओं को । एक बार फिर मेजर सोमनाथ शर्मा जी को विनम्र शरद्धाँजली। आपके जज़्वे को भी नमन और आशीर्वाद्
ReplyDeleteनमस्ते भैय्या,
ReplyDeleteदेरी के लिए माफ़ी, मेजर सोमनाथ को शत शत नमन
इनकी शौर्यगाथा बचपन से सुनता आ रहा हूँ, मेरा गाँव रानीखेत में ही आता है और ये जानकार गर्व महसूस हो रहा है की आप ४ कुमाओं से जुड़े हैं, बिरलों को ही ये अवसर मिल पता है.
सोमनाथ शर्मा को नमन और तुम्हें बधाई उनसे जुड़ पाने के लिए।
ReplyDeleteSomnath shamra ko meri nam shrddhanjali......
ReplyDeleteअभी-अभी डाक्टर अनुराग जी के ब्लॉग पे आपके लिए दो पंक्तियाँ छोड़ कर आई थी और इधर आप आ गए ....
ReplyDeleteहम लिखते रहेंगे वतन का नाम तेरे ज़ख्मों पे
तुम मुस्कुरा के यूँ ही सीना ताने रखना .....!!
आप सब में से कोई अगर कुमाऊँ की पहाड़ियाँ नैनिताल आदि घूमने जायें, तो रानीखेत अवस्थित कुमाऊँ रेजिमेंट के म्यूजियम में अवश्य जाईयेगा ...
ReplyDeleteAur agar aap main se koi 14 saal wahan rahe to Ishq zarror kijiyega...
(Personal Experience se bata raha hoon)
To ya to Param veer Chakra Ya Oscar ya Sahitya Akadmi Puraskaar ....
ReplyDeleteKuch aise baat hai Myour Randkhet main...
(dekho bilkul hi alag context main comment kiya hai with due apologies). Par aap samajh sakte hai ki ye veer gaatha to kumaon ka baccha baccha jaanta hai, to mere liye kaise nayi ho sakti hai??
भारतमाता के बहादुर अमर सपूत को मेरा शत शत नमन...
ReplyDeletebharatr mata ki jai..........
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ReplyDeleteअतुलनीय साहस और वीरता के प्रतीक , परमवीर चक्र और निशान-ए-हैदर के बीच का सम्बन्ध नयी जानकारी था |
ReplyDeleteसादर
मैं जानना चाहता था कि which all people got the paramveer chakra award
ReplyDeleteक्या आप लिख सकते हैं
शत शत नमन!!!
ReplyDeletekaash mai bhi us team ka hissa hota ......
ReplyDeleteये वो आत्माएं हैं जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर हमारी रक्षा तो की ही ओर आज तक हमें रास्ता दिखा रहें हैं।
ReplyDeleteEk fauzi hone ke wajah se dil bar bar in veeron Ki nishwarth kurvani ko aaj ke yuva pidhi ko batane ko machalta hai aur batata hun Ki kaise aaj ye Hindustan mein bahut sare rehne wale chain Ki nind sote hain aur bad bole muh se kuch bhi hamare janbaj fauziyon ke bhala bura bole jaate hain, main unse request karta hun Ki har fauzi ko kya shahid hone ke bad Hi samman doge aur jite Ji beijatti. Plz respect our sena
ReplyDeleteJab desh Ka phla pramveer chakra desh ke mahan sapoot ek brahmin ke naam hai to brahmin regiment kyo nhi banayi jati ye dawe ke sath kh Sakta hu ....poora world janta hai ki brahmin saurya Mai Kisi se km nhi hai sabse jyada yogdan Bharat ki independent Mai brahmino Ka hai....brahmin pakistaniyo ka saaarad na kr de to....to mahakal ke hum bhakt nhi .....
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