आज की शाम तय थी वैसे तो एक बर्थ-डे बैश के लिये, किंतु नियती ने कुछ और ही तय कर रखा था।
वो इकतीस का होता आज। अभी उस 22 सितम्बर की सुबह तक तो हमने आज के इस शाम की बातें की थी...एक खास डांस-स्टेप की बात, जो उसे सिखना था...जो मुझे सिखाना था। मिलेट्री हास्पिटल के इस बेड पर लेटा अब सोच रहा हूँ कि जब मैं ठीक हो जाऊँगा तो क्या अपना वो सिगनेचर स्टेप फिर कभी कहीं डांस करते हुये कर पाऊँगा...? सोच तो ये भी रहा हूँ कि क्या सहज हो कर डांस भी कर पाऊँगा अब मैं कभी...??
मार्च की वो कोई शुरूआती तारीख थी। देहरादून की एक अलसायी दोपहर। एक दिन पहले ही मेरा पोस्टिंग-आर्डर आया था इधर कश्मीर वादी के लिये। मेरा मोबाईल बजा। एक अनजाना-सा नंबर स्क्रीन पर फ्लैश हो रहा था। मेरे हैलो कहते ही उधर से एक गर्मजोशी भरी आवाज आयी थी-" हाय सर! मेजर सुरेश सूरी दिस साइड..." और लगभग आधे घंटे की बातचीत के बाद मुझे इस अनदेखे यंगस्टर के प्रति एक त्वरित लगाव पैदा हो गया था। फिर अपने नये प्लेस आफ ड्यूटी पे रिपोर्ट करने तक सुरेश हर रोज मुझसे रिलिजियसली बात करता रहा और 25 मार्च को हम पहली बार मिले जब वो मुझे रिसिव करने के लिये आया था।
कितनी बातें, कितनी यादें इन विगत छः महीनों की... उसकी हँसी, वो हरेक बात पे उसका "बढ़िया है, सरssss" कहना और कहते हुये "सर" को लंबा खिंचना, उसकी गज़ब की सिंसियेरिटि, उसके वो हैरान कर देने वाले जुगाड़, वो जलन पैदा करने वाला डिवोशन, हर शुक्रवार को रखा जाने वाला उसका व्रत और इस व्रत को लेकर कितनी दफ़ा मेरे द्वारा उड़ाया गया उसका मजाक, वो साथ-साथ लंच करते हुये सैकड़ों बार चंद हैदराबादी रेसिपिज का उसका विस्तृत वर्णन, पार्टियों के दौरान उसके बनाये गये मौकटेल्स और कौकटेल्स, मेरी छुट्टी के दौरान हर रोज उसका वो फोन करके मुझे वैली का अपडेट्स देना और अभी-अभी तो आया था वो खुद ही एक महीने की छुट्टी से वापस पल्लवी को साथ लेकर...
...और इन सबके दरम्यान जाने कहाँ से आ टपकी ये तारीख बाइस सितम्बर वाली। ईद के ठीक बाद वाली तारीख। फिर उसकी तमाम स्मृतियों को भुलाती हुई उसकी वो आखिरी पलों वाली जिद याद आती है अब। बस वो जिद। सोचता हूँ, उन आखिरी क्षणों में उसने जो वो जिद न की होती तो क्या मैं ये पोस्ट लिख रहा होता...? सब कुछ तो प्लान के मुताबिक ही चला था। सब कुछ...??? हमारी ट्रेनिंग के दौरान राइफल की नली से निकलने वाली बुलेट की रफ़्तार, उसका प्रति मिनट कितने चक्कर लगाना, उसकी ट्रेजेक्टरी, उसका इमपैक्ट, उसका इफैक्ट ये सब तो विस्तार से बताया-सिखाया-पढ़ाया जाता है...किंतु प्रारब्ध की रफ़्तार और इसकी ट्रेजेक्टरी के बारे में तो कोई नहीं बताता, कोई नहीं सिखाता है। उसकी सिखलाई OJT होती है- on the job training...उसे वो सर्वशक्तिमान खुद अपने अंदाज़ में सिखाता है।
...बहुत कुछ सुना था, पढ़ा था जिंदगी के आखिरी क्षणों के बारे में कि ये होता है, वो होता है। कोई दिव्य-ग्यान जैसा कुछ होता है। सच कहूँ तो सितम्बर की इस बाइस तारीख को सीखा मैंने कि जिंदगी का कोई क्षण आखिरी नहीं होता। प्रारब्ध जब किसी के होने के लिये किसी और का न होना तय करता है, तो सारी जिंदगी बेमानी नजर आने लगती है...फिर क्या अव्वल, क्या दरम्यां और क्या आखिरी??? बस शेष रह जाते हैं कुछ पल्लवियों के आँसु और शेष रह जाती हैं चंद तस्वीरें :-
I salute you BOY for everything you were...!!!
पुनःश्च :-
आप सब के स्नेह, चिंता, दुआओं, शुभकामनाओं से अभिभूत हूँ। फिलहाल एक सुदूर मिलेट्री हास्पिटल के सफेद-नीले लिबास में लिपटा आप सब के असीम प्यार में डूबा अपनी कर्म-भूमि में वापस लौट जाने के दिन गिन रहा हूँ। जल्द ही ठीक हो जाऊँगा। कभी सोचा भी नहीं था कि अपने इस अभासी दुनिया के रिश्तों से इतना प्यार और स्नेह मिलेगा। ’शुक्रिया’ जैसे किसी शब्द से इसका अपमान नहीं कर सकता...
कल शाम की वागर्थ के अक्टूबर अंक में आपकी गजलें देखीं। अभी सुबह-सुबह पहली पोस्ट ये।
ReplyDeleteदोस्तों का जाना तो बहुत खलता है। अफ़सोस रहता है हमेशा ही।
जल्दी स्वस्थ होने की शुभकामनायें।
अपनों की स्मृति ही जीवन का आधार है वरना प्रारब्ध से कौन लड़ सका है |
ReplyDeleteशीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें इसके लिए शुभकामनाएं |
Hi Gautam sir...
ReplyDelete..Missed u alot !!
Pehli baar kisi post ko padh ke aisi laga ki bahut choti thi....
aur kuch aur....
...kuch aur !!
It was indeed a long month !!
Very long...
...Get Well Soon !!
Mentally too !!
Aur ye 'Ravish ji' kya keh rahe hain suna aapne?
ReplyDeletesheeghr swasth labh kee shubhkamnae
ReplyDeletePallavi ko himmat bandhaiyega.........hum civilians kee shaddhanjalee sweekare .
एक कृतघ्न राष्ट्र का नागरिक होने के नाते किन शब्दों में श्रद्धांजलि दूं समझ में नहीं आता । क्योंकि जब मेजर सूरी जिस देश के लिये शहीद हो रहे थे वो देश उस समय किसी निहायत बददिमाग के स्वयंवर के समाचार का स्पेशल कवरेज देख रहा था । कही कोई समाचार नहीं आया कि मेजर सूरी नाम का कोई वीर शहीद हो गया है । अपने पर शर्मिंदा हूं कि मैं भी उस भीड़ का हिस्सा हूं ।
ReplyDeleteजल्दी पूर्ण स्वस्थ हो जाएँ फिर बाते होगीं !
ReplyDeletekyee baar kuchh cheezo pe moun hi raha jaye to behater hota hai..ya kuchh kaha hi nahi ja sakta...aisa hi es post ko padh ke laga tha..aap se prichiye abhi kuchh din pahle hi hua tha..kuchh ek post padne ke baad aapke liye dua karti huee post padh ke...aap sahi kahte hai..zindgee ka koee shan bhi aakhri nahi hota...aap jaldi theek ho jayenge...may god bless u...
ReplyDeleteदिल तोडने वाला समाचार है कि हमारा एक जांबाज़ सैनिक हमारे बीच नहीं है. मैं मेज़र सूरी को पूरी श्रद्धा के साथ प्रणाम करता हूं. आपकी जीवटता को भी नमन है. जल्द स्वस्थ होइए ऐसी कामना है.
ReplyDeleteWords fall short to express how it feels to see you back on your blog.
ReplyDeleteWelcome back!
God bless
RC
गौतम जी, दुनिया के लिए आप का एक और पुनर्जन्म है यह। सुरेश ने खुद को न्योछावर कर दिया मातृभूमि पर या उस की संतानों पर। पल्लवी उन के साथ ही पल्लवी का भी पुराना जीवन समाप्त हो गया। उन का भी पुनर्जन्म है। दोनों पुनर्जन्म में खास बात है कि दोनों अपनों के बीच लौटे हैं। दोनों के ये जन्म भी उल्लेखनीय रहें।
ReplyDeleteआपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाये. आपके प्रिय सुरेश जी के बारे मे पढ़ कर मन कुछ नम हो गया है......सलाम ऐसे वीर योधा को.....
ReplyDeleteregards
अल्लाह मियाँ का शुक्रिया करूँ एक भाई के लिए और एक भाई के लिए उसके अमर होने की बात , आँखें खुद-बा-खुद डबडबा गयी , अमर शहीद सूरी के लिए कुछ भी कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है सलाम इस नवजवान को ... सच में जब ये खबर मिली तो पांव टेल जमीं ही निकल गयी थी मेरी टी वि से चिपका बैठा मगर मगर बददिमाग के स्वयाम्बर की खबर सभी चैनेल्स पे चल रही थी परेशान था... क्या यही उनका वास्तविक काम है इसी बात से स्तब्ध हूँ और शोकाकुल भी .... सोचता हूँ क्या मैं एक सच्चा नागरिक हूँ देश का ...
ReplyDeleteअर्श
मेजर सूरी को नमन, आपकी पूरी पोस्ट पढकर कभी आंखे नम, कभी गुस्सा आया. गुरुदेव की टिप्पणि को पढ कर खुद पर शर्म भी आती है, पर क्या करें? हम भी उसी भीड का हिस्सा हैं.
ReplyDeleteआपके जल्द होने की शुभकामनाएं और इंतजार कर रहे हैं कि आपकी अगली पोस्टिंग अब महू मे हो जिससे काफ़ी समय आपके साथ बिता पायेंगे.
शुभकामनाओं सहित.
रामराम.
सुरेश सूरी जी को मेरा सलाम !!
ReplyDeleteसलाम करता हूं मेजर सुरेश सूरी को।आप भी ज़ल्द स्वस्थ हों ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं।
ReplyDeleteशब्द नही मिल रहे. आप शीघ्र स्वास्थ्य हो जाएँ ऐसी कामना है. मन बेझिल सा हो जाता है ..यह सब पढ़/सुन कर.
ReplyDeleteमेजर सूरी को विनम्र श्रद्धांजलि, और नमन!
ReplyDeleteवीरों की बात करके हम गौरवान्वित होते हैं।
प्रभु से प्रार्थना करती हूँ वीरों को हम जैसे आम आदमी की जिंदगी मिल जाए पर देश की रक्षा में लगे सपूतों की दीर्घायु हो।
शुभकामनाएँ!
'किंतु प्रारब्ध की रफ़्तार और इसकी ट्रेजेक्टरी के बारे में तो कोई नहीं बताता, कोई नहीं सिखाता है। उसकी सिखलाई OJT होती है- on the job training...उसे वो सर्वशक्तिमान खुद अपने अंदाज़ में सिखाता है।'
ReplyDelete-बहुत बड़ा सच है यह!..
लेकिन फिर भी सर्वशक्तिमान के इस तरह के अजीब से फैसले कभी समझ नहीं आते.बहुत गुस्सा भी आता है..
Maj.Suresh के लिए ईश्वर का यह निर्णय सही नहीं था.
हम बस ashrupurit आँखों से बस shradhanjali के pushp arpit कर सकते हैं और dua करते हैं फिर aisee खबर न आये.shanti jald bahaal हो.
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आप के shighr swasthy labh के लिए भी shubhkamnyen.
मेजर सूरी को सलाम .कई बार सही में लफ्ज़ मूक हो जाते हैं ..कुछ कहना बेकार लगता है ..बस आप जल्दी से स्वस्थ हो यही दुआ है अब ..शुभकामनाएं
ReplyDeleteमेजर सूरी को सलाम ...
ReplyDeleteआप शीघ्र स्वस्थ हो ..शुभकामनायें ..!!
बस यादें शेष रह जाती हैं.
ReplyDeleteशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं |
अब यहाँ कमेन्ट देना या कुछ लिखना बेकार लगता है....
ReplyDeleteपंकज जी ने ठीक कहा है...."कृतघ्न राष्ट्र "...कभी कभी मै सोचता हूँ वो कौन से हौसले है वो कौन से जज्बात है तुम लोगो के जो मरने मिटने के ज़ज्बे को जिन्दा रखते है ..इतना सब कुछ देख सुन कर भी.....वो कौन से कारण है के संसद पर हमला करने वाले अपराधियों की फांसियों पे लम्बी लम्बी बहसे चलती है ...मानवधिकार वालो के बड़े बड़े झंडे हवा में उठते है ..अमूमन कोने में दुबके कुछ बुद्धिजीवी जाग उठते है .ओर उसी हमले में शहीद जवानो के परिवार कतार बद होकर इस देश के राष्टपति से गुहार लगाते है की हमला करने वालो को फांसी दो....तभी एक हमले में अपनी एक टांग गवां चुके मेरे मेजर कजिन के पिता कभी कभी गुस्से में कहते है अपने बेटे को आर्मी में मत भेजना...
ReplyDeleteकभी कभी तो ऐसा लगता है देश के दुःख भी बंटे हुए है ...कश्मीर के दुःख ...कश्मीर की मौत की खबर पे अब लोग ठहरते नहीं ....या तो रिमोट बदल कर कुछ ओर देखते है या पन्ना पलटकर कुछ ओर ....मेजर सूरी को देखता हूँ ओर उम्र का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहा हूं ....क्या कारण होगे इस इंसान के इस तरह से जाने के .किसी सरफिरे की गोली....अगर आज से दस साल पहले सूरी किसी ओर ब्राच को ज्वाईन करते तो....तो क्या वाकई इश्वर का भी ऊपर कोई रजिस्टर है जो नोट करता होगा ..किसने कैसे अपनी जिंदगी कुरबान की ..एक कृतघ्न राष्ट्र वासियों के लिए ...
मुझे मालूम है के बिस्तर पे लेते एक फौजी को ऐसी तल्ख़ बाते नहीं लिखनी चाहिए ...अंत में पंकज जी के शब्द उधार ले रहा हूं.....
अपने पर शर्मिंदा हूं कि मैं भी उस भीड़ का हिस्सा हूं ।
मुझे माफ़ करना अगर दिल दुखा हो तो....
आप बिलकुल चिंता ना करो...
ReplyDeleteसुरेश जी की कमी तो हम नहीं पूरी कर सकते, लेकिन उन्हें हमारा सलाम है...
आपकी पोस्ट पढ़ कर जो हमारी आँख से जो पानी निकला है... वो आपके लिए प्यार है....
इश्वर से कामना है की आप जल्दी ठीक हो जाएँ...
मीत
....
ReplyDeleteगौतम,
ReplyDeleteआप शायद मुझे नहीं जानते,पर जब से आप के घायल होने की खबर किसी ब्लॉग पर देखी थी तब से आप की अगली पोस्ट का इंतज़ार था, आज पूरा हुआ |
यह सच है, कोई भी आप को वो सब कुछ नहीं सीखा सकता जो आप को ज़िन्दगी सीखती है, आपकी भाषा में OJT ....
मेजर सूरी के परिवार के साथ साथ हम सब भी है, प्रभु उनको शक्ति दे इस दुःख को सहने की|
सलाम करता हूं मेजर सुरेश सूरी को। आप भी ज़ल्द स्वस्थ हों ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं।
पंकज जी की बात से पूर्ण सहमत हूँ !
Gautam bhaai...!!
ReplyDeletekuchh soojh hi nahi rahaa hai
kayaa kahooN aur kahaaN se shuru karooN....
mn meiN aseem prarthnaaeiN haiN
us Pita Parmeshwar se
Major Suri ke liye shraddhaanjlee
ka farz hi nibha paa rahaa hooN
Honee ko koi nahi taal sakta...
yahi satya hai...atal satya...
Usi ki razaa meiN raazi rehnaa padtaa hai...bs
aapke swasthya-laabh ki kaamna
kartaa hooN...
aap jald..bahut jald achhe ho jaaenge...sb kuchh phir se normal ho jaaegaa...aisa hm sb ka vishwaas hai...aur hm sb ki Prabhu se yahi vin`ti hai...
BHAGWAAN SACHCHE LOGO KE SAATH HI REHTE HAIN...HAMESHAA...!!
dheroN duaaeiN
---MUFLIS---
शहीद सुरेश को नमन. आपके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ की शुभकामना.
ReplyDeleteगौतम जी
ReplyDeleteपहले उस सपूत को सलाम करता हूँ ..........
आपके पोस्ट को पढकर यह महसूस हो रह है कि आप मेरे आस पास है .........और मै कुछ नही लिख पाउंगा..........................
यही एक अंतिम और कटु सत्य है, जिसके आगे सबके सब लाचार हैं ! भगवान् पल्लवी को इस जख्म को सहने की हिम्मत दे ( जोकि हर सैनिक के परिवार वाले को कही न कही ढूंढकर लाना ही पड़ता है ) और आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामनाओं सहित !
ReplyDeleteRula diya..rote , rote padha...aisahee ek azeez jo achanak doosaree duniyame nikal ke chal diya....shaheed hua...saindon aasoon aur yaaden chhod gaya...
ReplyDeleteHam chahe jo kar len....maut ke aage kuchh nahee kar sakte...
'simte lamhen'
'bikhare sitare'
नमस्ते भैय्या,
ReplyDeleteमेजर सूरी को नमन उनकी वीरता के लिए, उनके जज़्बे के लिए, उनके समर्पण के लिए ...............
आपके बोल्ड किये हुए लफ्ज़ मन को झकझोर रहे हैं, और कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं.
आपकी सलामती की दुआ करता हूँ.
wah kahin nahi gaya....aapki kalam ne use hamare kareeb bhi kar diya,jane kyun.....aankhen dhundhli ho gayin.....meri dua, mere aansu sabke liye hain......
ReplyDeleteशोक और शुभकामनाओं के अलावा कर भी क्या सकता हूँ. आखिर मैं भी उसी कृतघ्न भीड़ का हिस्सा ही तो हूँ !
ReplyDeleteगौतम जी...उस दिन आपके घायल होने के समाचार ने थोडी देर के लिये स्तब्ध सा कर दिया था...फ़िर पंकज जी बात करने के बाद ..थोडी राहत मिली...मगर अब ये पोस्ट पढने के बाद दोबारा उसी स्तब्धता ने घेर लिया है...मेजर सूरी...
ReplyDeleteसोचता हू आखिर क्यूं हो रहा है ऐसा...आज भी अभी भी...मेरे परिवार के दर्जनों फ़ौजी और देश का एक एक सिपाही ...अभी भी क्षण मात्र में अपने देश के लिये अपना जीवन त्याग देता है....जबकि उस एक एक फ़ौजी और उसके परिवार को पता है कि ...आज उसके बलिदान की कद्र कहां और कितनी रह गयी है...शायद ये दोनों का चरित्र है...
एक का कुर्बानी, शहादत, वीरता, वीरगति..
दूसरे का क्रघ्न्ता, बेशर्मी, एहसानफ़रामोशी...
छोडिये मन दुखा हुआ है..क्या कहूं....आप जल्दी स्वस्थ हों..इश्वर से दुआ करेंगे..
प्रारब्ध जब किसी के होने के लिये किसी और का न होना तय करता है, तो सारी जिंदगी बेमानी नजर आने लगती है...फिर क्या अव्वल, क्या दरम्यां और क्या आखिरी???
ReplyDeletegotamji, jeevan ko jaanane ke liye kounsa gyaan....., yahi to he..jo aap kah rahe he.../jindadil mere bharat ki yahi shaan he.../
jaldi thik hokar fir apane dharm ke prati dat jao, ishvar se prathanaa he/
आपकी प्रविष्टि ढाढ़स दे रही है । मन कंपित हो उठा था चिट्ठा-चर्चा पर खबर सुनकर ।
ReplyDeleteयहाँ फिर संवेदना के कोरों से छलका एक कतरा गिरा दिया आपने ! निर्विकल्प हो जाता है मनुष्य इन क्षणॊं में । देश के रत्न को सलाम !
क्या कहूँ गौतम जी कभी कभी आदमी मुँह से कुछ बोल नही पाता है। बस एकटक देखता रहता है। और देखते देखते एक अलग ही दुनिया में खो जाता है। कहीं पढा था कि " यादें कैसी भी हो हमेशा रुलाती है।" मेजर सुरेश सूरी को मेरा भी सेल्यूट। और देखिए अफसोस की बात की हम सबको ये भी नही पता कि मेजर सूरी जी शहीद हो गए। पता नही कितने अफसोस लेकर जिदंगी जी रहे है हम..... आप जल्दी से ठीक हो जाईए।
ReplyDeleteसलाम मेजर सुरेश को . आप जैसे भारत माँ के अस्ल सपूतो के कारण ही हम जैसे अपनों घरो में बैठ कर गाल बजाते है . आप जांबाजों को एक बार फिर से सलाम
ReplyDeleteएक अदना सा सलाम है किन्तु गहरे दिल से
ReplyDeleteइस देश की किताब में ये नाम सदा लिखा रहेगा, हसरत जयपुरी का एक शेर है शायद मेजर के सामने छोटा पड़े फिर भी...
हर एक वर्क में तुम ही तुम हो जान-ए-महबूबी
हम अपने दिल की कुछ ऐसी किताब रखते हैं !
मेजर सुरेश अमर रहेंगे !
gautam ji , kuchch santi ho gaya hun , likha nahin ja raha, suresh ko naman, ishwar unhen apni god den, aur aap sheeghra se sheeghra swasth hon yahi ishwar se hardik prarthna hai.
ReplyDeleteसब से पहले मेज़र सूरी को पूरी श्रद्धा के साथ प्रणाम,गोतम जी आप के बारे पढ कर एक बारगी तो स्तब्ध ही रह गया, लेकिन मन मै कही एक विशवास था की हमारा मेजर ठीक है, फ़िर कई दिनो से आप के बारे कोई लेख नही पढा, ओर आज सोच रहा था आप के बारे कुछ लिखू, दो चार कुत्तो को मार देते तो , लगता है जरुर मारे होगे.. अब बताईये केसे है आप, जल्द से अच्छे हो जायेआप के घर परिवार वाले भी इंतजार कर रहे है, तो लिजिये हमारा सलाम.हम सब की शुभकामनाये.
ReplyDeleteधन्यवाद
ऐ प्यारे गौतम भाई। अरे ऐसा लगता है के ऊकाब से पर उधार लेकर आप तक उड़ कर पहुँचू। अरे मियाँ जल्द लौट पड़ो यार। हमारे ब्लॉगिस्ताँ का जाँबाज़ फ़ौजी बैड पर। ना ना ! ये हो ही नहीं सकता। अमाँ जब से पता चला है बहुत याद सता रही है भाई। मालिक से दुआ है के हमारे हरदिल अज़ीज़ दोस्त को ताज़िंदगी की सेहत बख्श दे।
ReplyDeleteप्रिय गौतम जी !
ReplyDeleteअमर शहीद मेजर सुरेश सूरी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि और ' शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ' गाने वाले इस देश में किसी भी चैनल पर कोई समाचार तक नहीं ,क्या हो गया है ये ..... ?
आपके स्वास्थ्य समाचार खोज खोज कर लेता रहा हूँ , ईश्वर आपको जल्दी स्वस्थ करे और आप शीघ्र ही सामान्य जीवन की और लौटें यही प्रार्थना है !
आज ही इस घटना की जानकारी मुझे मिली। एक सहयोगी का इस तरह चला जाना बेहद दुखद है। आप जल्द पूरी तरह स्वस्थ होंगे ऍसी मनोकामना है।
ReplyDeleteगौतम भाई,
ReplyDeleteगुरुदेव पंकज जी,और अनुराग जी ने बहुत कुछ कह दिया है.शब्दों का सामर्थ्य नहीं है कि वह भावों को अभिव्यक्त कर पाए.
बस मौन रहकर बहुत कुछ महसूस कर रहा हूँ.आप जल्दी ठीक हो जाएँ मेरी शुभ कामनाएं!
गौतम,आप हमारी इस आभासी दुनिया में लौट आए, बहुत अच्छा लगा। अपनों का यूँ अचानक जाना तो दुखदायी तो होता ही है। मैजर सुरेश सूरी को हमारी श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
Aise amar senani ko mera shat shat naman........
ReplyDeleteमेजर साहिब,
ReplyDeleteहम शब्दों की श्रद्धांजलि भी अर्पित करते डरने लगे हैं क्यूँकी हम अच्छी तरह जानते हैं वो कम हो ही जायेंगे....
इसलिए हमारा सर झुका है ....सम्मान में ....
हमारा सर झुका है .....पश्चात्ताप में और
हम शर्म से भी सर झुका रहे हैं क्यूँकी न चाहते हुए भी उसी भीड़ का हिस्सा हो जाते हैं जिसे कृतघ्न कहा गया है....
फिर भी मन के किसी कोने में अभिमान ने अब भी सर उठाया हुआ है ...जिसका हौसला आपने और मेजर सूरी, मेजर आकाशदीप ने दे रखा है...
हम सैलूट करते हैं हर उस माँ को जिन्होंने मेजर सूरी, मेजर आकाशदीप, और आप जैसे लाल को जन्म दिया...
सैलूट करते हैं पल्लवी जी को.....और न जाने कितनी पल्ल्वियों को ....
और हम सैलूट करते हैं मेजर सूरी, मेजर आकाशदीप और आपको..
जय हिंद !!
मेजर सूरी को सलाम और फ़ौजियों की जाँबाजी को सलाम, आपको शीघ्र स्वस्थ्य होने के लिये शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteकुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हूँ.. एक साथ कही सारे भाव आ रहे है..कुछ समझ नहीं आ रहा.. मेजर सूरी की फोटोस को बार बार देख रहा हूँ.. सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ आई एम् सॉरी फॉर बीइंग एन इंडियन
ReplyDeleteसब से पहले आपको सवस्थ होने की बधाई । ये जीवन के रंग भी कितने अजीब हैं किसी को बधाई और किसी के लिये दो आँसू एक ही समय और एक ही स्थान पर । आज अपकी पोस्ट पढ कर शब्द ही नहीम हैं जो इस अन्त्र्वेदना को दिलासा दे सकें और पल्लवी के दुख को कम कर सकें उस शहीद को विनम्र श्रद्धाँजली कहते हुये आँखें नम हैं । आपकी जिन्दादोली को सलाम ढेरों आशीर्वाद आपके और आपके परिवार के लिये निस्संदेह पल्लवी और सुरेश जी के परिवार के लिये भी
ReplyDeleteमेजर सूरी को सलाम और फ़ौजियों की जाँबाजी को सलाम, आपको शीघ्र स्वस्थ्य होने के लिये शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteमेजर सूरी को नमन, आप जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाइए...
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
गौतम जी आपकी पोस्ट पढ़ कर नि:शब्द हूँ कुछ लिख नही पा रही सिवाय शहीद सुरेश के लिए श्रद्धांजलि के.
ReplyDeleteकेवल नमन नमन नमन......और कुछ कहाँ शेष है कहने को...
ReplyDeletegautam ji ,
ReplyDeletemajor suri ko salaam,
aap jaldi se theek ho jaayiye ...
aap mere desh ki fauz me hai , yahi hum sab ke liye garv ki baat hai ..
regards
vijay
आंधियों में जलता दीप ,
ReplyDeleteएक , अकम्पित
लड़ता अंधियारे से ,
नन्हा सा जीव अकेला
बोलो जलता रहता ,
किसके सहारे ?
वही जीव ,
जीवित रहता
जिस बल से ,
आत्म - दीप, प्रकाशित ,
जिस का वरदान
वही महा तेज पुंज ,
जो सब का प्राण !
******************************
श्रधा सुमन अर्पित हैं
इस अकंप जलते दीप रूपी
मेजर सूरी नाम के एक वीर , को !
जो ,
भारत माता की
शाश्वत ज्योति में
अपने प्राणोत्सर्ग कर
ज्योति को
प्रखर कर गया --
आपका ब्लॉग ,
२१ वी सदी की
वीरता की गाथाओं की
बिरदावली बनता जा रहा है
मेजर गौतम भाई -
आप सदा स्वस्थ व प्रसन्न रहे --
ये प्रविष्टी
देहली के वरिष्ठ राजनेताओं को
पढ़वाई जाए
तथा दुश्मनों की हार का प्रण
पुन: दृढ किया जाए -
आमीन --
आर्शीवाद के साथ,
भारत माँ की एक परदेसी बिटिया -
- लावण्या
प्रारब्ध जब किसी के होने के लिये किसी और का न होना तय करता है, तो सारी जिंदगी बेमानी नजर आने लगती है...फिर क्या अव्वल, क्या दरम्यां और क्या आखिरी,,,
ReplyDeleteक्या कहूँ ...आप मौत के इतनी करीब से गुजर के आये हैं तो सब कुछ बेमानी लगेगा ही .....!!
उन तमाम साथियों को श्रद्धा सुमन ....!!
आपका आना सुकून दे गया ......!!
{Yugeen kabya mein prakashit hone ki BDHAI ]
सुरेश जी की स्म्रति को नमन ।
ReplyDeleteमेजर सुरेश को नमन और तुम्हें जल्द ठीक हो जाने की खूब सारी दुआयें।
ReplyDeleteपहली बार कलम बिलकुल खामोश हो गयी है....मेजर सूरी का हँसता चेहरा आँखों के सामने से नहीं हट रहा....देश के लिए, खुद के लिए,कितने सपने देखे होंगे उन आँखों ने और हमारी आँखों को चैन की नींद देने के लिए...अपनी ज़िन्दगी न्योछावर कर दी...उस जाबांज को शत शत नमन
ReplyDeleteआपको भी जल्दी स्वस्थ होने की अनेकों शुभकामनाएं
Pehle padha aur laut gaya..fir padhne aaya aur laut gaya...ab shayad chauthi ya paanchvin baar padhne aaya hoon aapki ye post aur laut hi raha tha ki socha ye batata cghalun ki main aaya tha...kya comment karun...shabdon ki apni seema hai...aur jo main mehsoos kar raha hoon use shabd nahin bata sakte...
ReplyDeleteNeeraj
मेजर सूरी सहित तमाम जाने अन्जाने वीरों को नमन।
ReplyDeleteआपके शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना
और कुछ लिख पाने के काबिल नहीं पा रहा अपने आप को, इस राष्ट्र का एक स्तब्ध नागरिक।
बी एस पाबला
प्रारब्ध,,,नियति,,,सर्वशक्तिमान का अस्तित्व ,,,,
ReplyDeleteऔर ,,
इन सबके सामने इन्सां की अपनी क्षमता ....??
कितने ही सवाल एक साथ उठे थे हमारे और आपके दिल में.....
और नियति ने भी कैसा जल्दी जवाब दिया...
कैसा जवाब दिया....
बहुत सी बातें सचमुच.. वो सर्वशक्तिमान खुद अपने अंदाज़ में सिखाता है।
बहुत सी बातें ...
वरना आपका फूल सा
गरमी की एक उदास शाम
ReplyDeleteसड़क के दोनों ओर दू ss र तक खड़े अशोक के पेंड़
..चुपचाप अकेले चल रहा हूँ - बहुत उदास, जाने कितने दर्द लिए!
..
आप के इस लेख ने उस शाम की याद दिला दी। इतनी गहरी अनुभूति ! एक योद्धा भी इतना ..?
नहीं, मैं कृतघ्नों की सूची में अपने को नहीं रख पाऊँगा। मेजर सूरी का अपमान होगा...वह निश्छ्ल हँसी, जिसकी फोटो लगा रखी है आप ने, बताती है कि अच्छे लोग बहुत दिन तक इस दुनिया में नहीं रहते ...
OJT उनको रोक नहीं पाती। शीघ्र स्वस्थ होइए। ...सड़क के किनारे उदास शामें आप की प्रतीक्षा कर रही हैं। अकेले जाइएगा ..मेजर सूरी मिल जाँएगें - सन्ध्या बाला के साथ ठिठोली करते हुए। ..
nishabd hoo kintu ankhe bhri hai .
ReplyDeleteapki post dekhkar jo apar shanti mili hai uska vrnn nhi .ankhe bhri hai un veermejar suri ke liye ,unhe sht shat nmn .
aaj aap ham sbke beech hai yh bhi chmtkar hi hai nhi aapka ye hosla hai......
मेजर सूरी को श्रद्धांजलि और नमन!
ReplyDeleteMajor Soorie ko naman...
ReplyDeleteAap ko padhne aana hi padha...jaane kitne bloggers aapki kushalata ki kaamna kar rahe the aur m janna chahti thi ki kaun h jo itne dilo me basta h...
Get well soon...
कितने और निर्दोष बलि चढेंगे इस व्यवस्था की वेदी पर!
ReplyDeleteउस मासूम को श्रद्धांजलि
आप कैसे हैं? ठीक होते ही संपर्क कीजिये
उन सभी को नमन जो अपना जीवन दे देते हैं. उनके परिवार को नमन जो अपनों को हमारे लिये खो देते हैं.
ReplyDeleteआपकी ये श्रद्धांजली मन को छू गयी.
काश .. आपके सहकारी का जाना न होता ...या आपका अस्पतालमे रहना न होता !!श्वेत धवल चादरें दिलमे एक खौफ-सा पैदा कर गयीं...
ReplyDeleteतहे दिलसे शुक्रिया की आप ',बिखरे सितारे ' के सफ़र में शामिल हुए ...2 सवालों के जवाब ...वो महिला विक्षिप्त थी ...पूजाको इतना ही याद है ..उस महिला को लेके बाद में कभी किसी ने चर्चा नही की ...उसके अपने पतीने तक माना की , वो विक्षिप्त ही रही ..हमेशा ..
पूजाकी माँ के साथ दादा दादी का बर्ताव -चराग तले अँधेरा ( ख़ास कर दादा का)...इतनाही पूजा समझ पाई ..और इसी कारण असुरक्षित महसूस करती रही ...ये एक सत्य कथा होने के कारण कुछ सवाल अनुत्तरित रह जायेंगे...जैसा की, जीवन कई बार होता है...
शायद और एकाध दो कड़ियों के बाद कथा नायिका अपने हाथों में कथा सूत्र ले ले...इंतज़ार करें...और सच तो ये है की, आपने मुझे हैरान कर दिया...सुखद हैरानी है,की, इतनी रुची लेके आप ये कथा से जुड़े हुए हैं....!!
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ReplyDeleteMy mind is blacked out :(
Bhagwaan divangat sad-aatma ko shanti pradan kare aur aaj jaldi se sahi hokar wapas aayein.
AFSOS है हमारा एक BANDHOO एक VEER सैनिक हमारे बीच नहीं है. मेज़र सूरी के HONSLE को प्रणाम ...........आपकी इस पोस्ट को भी नमन है............ जल्द NAYEE NAYEE ग़ज़ल ले कर AAYEN ऐसी कामना है.
ReplyDeleteचलो 'गौतम', वहीं पर जो चमन वीरान है तुम बिन
ReplyDeleteअभी भी चाह वादी को है खूं की सुर्खियों वाली
गौतम साहब
ReplyDeleteसोच रहा था कि अपने लोगों पर ऐसा कुछ लिखना कितना मुश्किल होता होगा...यह पोस्ट लिखते वक्त मौत को चुनौती देने वाले हांथ भी क्या काँपे होंगे.और फिर वक्त की ट्रेजे्क्टरी हमारी बरसों लम्बी जिन्दगी को कितना क्षणभंगुर, कितना फ़ालतू बना देती है..सोचना चाहता था इस दीवाली पर पल्लवी मैम के मनोस्थिति के बारे मे..मगर कम्बख्त दिल ऐसी सारी सोचें जो सुविधाजनक नही होतीं, उनको सेंसर करते जाता है..इसको हिज्र, दर्द, रात सब शायरी मे ही पढ़ना अच्छा जो लगता है..एक समूचा पाखण्ड..जो हमारी नस-नस मे दौड़ता है....
खैर उम्मीद है आपकी कलम जादू बिखेरती रहेगी..अनवरत..
और नीले-सफ़ेद लिहाफ़ आप पर नही फ़बते हैं..एक बार हरी वर्दी पहन लेने के बाद..
ब्लॉग पर आपकी वापसी से दिल को आस जागी है की आप अब स्वस्थ हो रहे हैं ....यही प्रार्थना है की आप जल्दी ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाएँ ...
ReplyDeleteतिरंगे की शान बनाये रखने की खातिर दी गयी कुर्बानी यूँ ही दास्तान बन कर कागज़ भारती रहेंगी ...पर हमरे देश के ठेकेदार उन्हें पढने की हिमाकत भी शायद ही करेंगे ...आखिर ये सिलसिला कब तक चलेगा ...
मेजर सुरेश सूरी को हमारा नमन ....ये छोटी सी उम्र और और ये ज़ज्बा ....
जल्दी स्वस्थ होने की शुभकामनायें।
ReplyDeleteअद्भुत निशब्द करती सी सरहदों की गाथा ,सच उद्घाटित तस्वीरें ,बहुत सुन्दर किसी भी साहित्यिक कृति से कम नहीं रहा पढना .अपने अभूतपूर्व अनुभव प्रकाशित कीजिये ,साधुवाद .
ReplyDeleteमंजुल भटनागर