ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम
रस्मे-दुनिया भी है, मौका भी है, दस्तूर भी है
मुगलिया सल्तनत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के इस शेर को ईद के पावन मौके पर सुनाने से रोक नहीं पाता खुद को- विशेष कर अपनी चंद महिला-मित्रों को। फिलहाल चलिये एक ग़ज़ल सुनाता हूँ अपनी। ज़मीन अता की सुख़नवरी के पितामह मीर ने। "दिखाई दिये यूँ कि बेखुद किया, हमें आपसे ही जुदा कर चले" - इस एक ग़ज़ल के लिये शायद अब तक की सबसे महानतम जुगलबंदी हुई है। देखिये ना, अब जिस ग़ज़ल को लिखा हो मीर ने, संगीत पे ढ़ाला हो खय्याम ने और स्वर दिया हो लता जी ने...ऐसी बंदिश पे तो कुछ भी कहना हिमाकत ही होगी। ...और इस ग़ज़ल का ये शेर "परस्तिश की याँ तक कि ऐ बुत तुझे / नजर में सभू की खुदा कर चले" मुझे एक जमाने से पसंद रहा है। इसी शेर का मिस्रा दिया गया था तरही के लिये आज की ग़ज़ल पे एक बेमिसाल मुशायरे के लिये। तो पेश है मेरी ये ग़ज़ल:-
हुई राह मुश्किल तो क्या कर चले
कदम-दर-कदम हौसला कर चले
उबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
वो आये जो महफ़िल में मेरी, मुझे
नजर में सभी की खुदा कर चले
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
खड़ा हूँ हमेशा से बन के रदीफ़
वो खुद को मगर काफ़िया कर चले
उन्हें रूठने की है आदत पड़ी
हमारी भी जिद है, मना कर चले
जो कमबख्त होता था अपना कभी
उसी दिल को हम आपका कर चले
{भोपाल से निकलने वाली त्रैमासिक पत्रिका "सुख़नवर" के जुलाई-अगस्त 10 वाले अंक में प्रकाशित}
...इस ज़मीन से परे लेकिन इसी बहर पे एक ग़ज़ल जो याद आती है वो बशीर बद्र साब की लिखी और चंदन दास की गायी "न जी भर के देखा न कुछ बात की / बड़ी आरजू थी मुलाकात की" तो आप सब ने सुनी ही होगी। अरे हाँ, प्रिंस फिल्म में जब शम्मी कपूर महफ़िल में बैजन्ती माला को देखकर एक खास लटक-झटक के साथ गाते हैं बदन पे सितारे लपेटे हुए..., तो इसी बहर पे गाते हैं।
इधर ब्लौग-जगत अपना फिर से व्यर्थ के विवादों में पड़ा है। विवादों से परे हटकर जरा लता दी की "दिखाई दिये यूं..." को रफ़ी साब की मस्ती में "बदन पे सितारे..." की धुन पे गाईये, या उल्टा! बड़ा मजा आयेगा...!
चलते-चलते, मनु जी का ये बेमिसाल शेर सुन लीजिये इसी मुशायरे से:-
खुदाया रहेगी कि जायेगी जां
कसम मेरी जां की वो खा कर चले
बहादुर शाह ज़फ़र के शेर से लुटे हुए थे ही..आपकी गज़ल ने रोक कर लूटा और मनु..फिर लूट लिया...हम तो लुटे पिटे टिपिआ रहे हैं. :)
ReplyDeleteबहुत उम्दा!!
वाह आपने माहौल को रूमानी बना दिया -बड़ी जोरदार शायरी है !
ReplyDeleteबहुत लाजवाब जी.
ReplyDeleteरामराम.
मेजर साब
ReplyDeleteईद के दिन, बहादुर शाह ज़फर ने जो रास्ता दिखाया है कमबख्त खुद ब खुद पांवों में चला आता है ...
यार पोस्ट क्या लिखी है और क्या ग़ज़ल कही है बरबाद कर दिया है अब मैं कुछ काम का न रहा मुझे अभी घरवाली ने हिदायत दी है चिपको मत वरना सब काम हवा में डोलते रह जायेंगे. बाखुशी लौटता हूँ अभी. तब तक चाहने वाले और भी मिल जायेंगे यहाँ... जैसे समीर अंकल की हालात है वैसे सच मानो मैं भी लूटा जा चुका हूँ. हाय मेजर हम ना हुए, देखना आज तो बरबादों की लाइन लगेगी ...
जो कमबख्त होता था अपना कभी
ReplyDeleteउसी दिल को हम आपका कर चले.nice
bahut hee acchee gazal .
ReplyDeletebahut hee acchee gazal .
ReplyDeleteगौतम जी आपकी बात ही कुछ और है। क्या नही है आपकी इस पोस्ट में। शुरु से लेकर आखिर तक बहते चले गए। और बात की जाए आपकी गज़ल की तो साहब एक एक शेर पर हम कुर्बान हुए चले।
ReplyDeleteहुई राह मुश्किल तो क्या कर चले
कदम-दर-कदम हौसला कर चले
उबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
ये शेर हमारा हौंसला बढाते हुए चले। वाह .....
उबरते रहे हादसों से सदा
ReplyDeleteगिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
खड़ा हूँ हमेशा से बन के रदीफ़
वो खुद को मगर काफ़िया कर चले
लाजवाब
समझ नहीं आता कि पहले गज़ल की तारीफ करूँ या आपकी ज़िन्दादिली की
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
बहुत कमाल की गज़ल है और बाकी शेर भी लाजवाब हैं । मनु जी का शेर तो होता ही लाजवाब है उसके लिये भी धन्यवाद और आशीर्वाद भगवान आपकी ये ज़िन्दादिली यँ ही बनाये रखे परिवार के लिये भी शुभकामनायें
लाजवाब रचना , आपको भी ईद मुबारक हो
ReplyDeleteगौतम जी,
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत गज़ल कही है। दिल में उतरे हुये अशआरों के लिये आपको सलाम के सिवाय कुछ और नही कह सकता।
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
जो कमबख्त होता था अपना कभी
उसी दिल को हम आपका कर चले
और अंत में मनु जी का शे’र तो कुछ सोने में सुगंध या पेट भर खाने के बाद पान की गिलौरी की तरह आया।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
हुई राह मुश्किल तो क्या कर चले
ReplyDeleteकदम-दर-कदम हौसला कर चले
वाह.. मतला ही ज़ोरदार...!
और फिर
उबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
क्या खूब फौज़ी शेर...! जो अनुजा को हमेशा पसंद आते हैं।
वो आये जो महफ़िल में मेरी, मुझे
नजर में सभी की खुदा कर चले
ये शेर अकेला सुनने पर उतना नही असर नही डाल रहा था जितना अब पूरी गज़ल के साथ
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
खड़ा हूँ हमेशा से बन के रदीफ़
वो खुद को मगर काफ़िया कर चले
उन्हें रूठने की है आदत पड़ी
हमारी भी जिद है, मना कर चले
जो कमबख्त होता था अपना कभी
उसी दिल को हम आपका कर चले
सभी खूबसूरत... सभी लाजवाब...!
और हाँ आरंभ के ज़िक्र की बात भौजाई तक पहुँचा दी जायेगी...!
ReplyDeleteऔर अंत में लिखा गया मनु जी का शेर बहुत उम्दा..!
आपको ईद की शुभकामनाएं और बहुत ही सुंदर पोस्ट की है एक एक शब्द चुन कर लिखा है आपने...
ReplyDeleteमीत
लाजवाब तरीके से पेश किया आपने.. ईद मुबारक
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
ReplyDeleteकभी मौत पर गुनगुना कर चले
bahut badhiyaa
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
khuub
गौतम जी मेरी हिम्मत वैसे भी आपकी ग़ज़लों पर टिप्पणी करने की नही है
ReplyDeleteलिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
बस इस शेर से छलकते हौसले की रवानी को सलाम करना चाहता हूँ.
..पता नही क्यों नासिर साहब सुबह से इतना याद आ रहे हैं
कोई हो फ़स्ल मगर ज़ख़्म खिल ही आते हैं
सदाबहार दिल-ए-दागदार अपना है
आभार
मुझे शेरो-शायरी समझने में वक़्त लगता है। वक़्त लगाकर पढ़ा और समझा इन्हें। बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteगौतम जि,
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह गज़ल---।
पूनम
समीर जी, किशोर जी,
ReplyDeleteसिर्फ आप लोग नहीं हैं लुटे-पिटों का लाइन में..हमहूँ ज्वाइन कर रहे हैं आपका क्लब.....
और टिपिया रहे हैं :-)
बहुत ही खूबसूरत.... हर एक शेर लाजवाब...
क्या कहूं, इस गज़ल पर । सबने तो कह ही दिया है, मैं तो कुंवर जावेद जी की तरह सोच में पड़ गया हूं-
ReplyDeleteकौन सा रखूं नाम, मैं तेरा कौन सा रखूं नाम
सुबहे-बनारस रखूं या फ़िर रखूं अवध की शाम
********************************
नाम तेरा रख देता रूबाई होता गर खय्याम
कौन सा रखूं नाम, मैं तेरा कौन सा रखूं नाम
सच पूछिये तो आपकी गज़ल ने ईद के आनंद को कई गुना बढ़ा दिया है।
पाल लिया इक रोग नादां इस जिंदगी के वास्ते,
ReplyDeleteहाय अब तो दुरूस्त होने का जी नहीं करता....
क्या कहूं गौतम जी...बस सब कुछ दिल को छूने वाला ...और छू गया है..
हम तो एक शेर के सामने ही कुछ भी नहीं...यहाँ तो इतने सारे बड़े बड़े शेरों ने मिलकर छीन झपट पूरा का पूरा ही गड़प लिया.....
ReplyDeleteक्या लाजवाब ग़ज़ल है ..... क्या लिखा है आपने......वाह !!!
समीरा किशोरा लुटे है सभी
ReplyDeleteसहारे हमें उनके बिठाकर चले
तुझे लूटने की है आदत पड़ी
हमारी भी जिद सब लुटा कर चले
तिने खूब गौतम कही ईद की
मुझे तुम जफ़र अब बनाकर चले
गौतम भाई,
बेहद खूबसूरत अशआर कहे है.मन आनंदित होगया.आदरणीय समीर जी और किशोरजी ने सही कहा है लेखनी की इस सुन्दरता पर सबकुछ लुटाने की इच्छा होती है.
(@समीर जी,@किशोरजी..टिप्पणी में कही कविता को बहर में कहने के लिए वज्न को सही करने के लिए किशोरा समीरा शब्दों को आप मुझे इसकी इजाजत देंगे इस अधिकार भाव से प्रयोग में लिया है...राजस्थानी कविता में जेठवा राजिया आदि शब्दों का प्रयोग भी इस तरह से किया गया है..आप दोनों मेरे लिए आदरणीय है आशा करता हूँ अन्यथा नहीं लेंगे.)
'जो कमबख्त होता था अपना कभी
ReplyDeleteउसी दिल को हम आपका कर चले'
- जितनी भी दाद दी जाए कम है.
aapke sheroon main koi comment kar sakoon itna bad bhi nahi hua gautam sir abhi...
ReplyDelete...haan magar ek baat zarror kehna chahoonga ki aapke following sher par maine aur muflis ji ne itni baar wah wah ki hai phone par ki zayad karte to ke ramayan ban jaati (tulsidaas ji ki yaad hai na)
उबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
ye sher nahi sacchai hai adam jaat ki....
mukammil !! mukamill !! Zillion times !!!
treveni ka bukhaar chal raha hai to aapko kaise baksh sakta hoon:
खड़ा हूँ हमेशा से बन के रदीफ़
वो खुद को मगर काफ़िया कर चले
'ruk' kisi mod pe 'rukn' mile to ghazal ho !!
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
ek sheshey ki umr hai apni bus !!
'badaa' galti se 'bad' type ho gaya !!
ReplyDeleteek aur (sorry but can't stop):
ReplyDeleteखुदाया रहेगी कि जायेगी जां
कसम मेरी जां की वो खा कर चले
kal 'khuda' ka bhi aise hi qutal hua tha !!
आज जो लूट मचाई थी वो आगे चल कर कत्लो गारत में बदल गयी है समीर अंकल के साथ मैं लूटा गया तो सुशील जी स्वेच्छा से कुर्बान हो गए. हम लुट चुकों को थोडा आसरा तब मिला जब अदा जी भी हमारी ही पंक्ति में आ खड़ी हुई, रंजना जी को को तो शेरों ने घेर कर लूटा और फिर जिंदा ही गड़प कर गए. ओह्ह जालिम तुझ पे और गिरें कुछ हुस्न की बिजलियाँ.... प्रकाश जी अब चाहे समीरा कहो किशोरा कहो हम बर्बादों के पास बचा ही क्या है .बस बची रही कंचन जो खुद शेर पालती है और गौतम जी के शेर इस रिश्तेदारी को जानते हैं, बहन होने का भी फायदा है भाई. मैं फिर लौटूंगा कमेन्ट करने, जैसा बन पडेगा वैसा बदला लूंगा.
ReplyDeleteउबरते रहे हादसों से सदा
ReplyDeleteगिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
इन पंक्तियो पर हम आपना जान लुटाकर चले......
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
वाह क्या बात कही है ........
खड़ा हूँ हमेशा से बन के रदीफ़
वो खुद को मगर काफ़िया कर चले
वाह वाह वाह वाह वाह .......और क्या कहे...............
हुज़ूर सतपाल साहब की महफिल में भी हम आपकी इस ग़ज़ल पर खड़े हो कर तालियाँ बजा आये थे और वो ही कारनामा अब आपकी महफिल में दोहरा रहे हैं...इस ग़ज़ल के शेर ऐसे हैं जो लिखे नहीं जाते ऊपर से खुद लिखे लिखाये दिमाग में आते हैं...बेहतरीन
ReplyDeleteनीरज
भाईजान.. यहाँ ईद मन रही है या होली ..??? :)
ReplyDeleteउधर भौजाई बड़े गुस्से में हैं ये खबर सुन कर कि आप खुद तो शेर के बहाने लोगो से गले मिल ही रहे हो साथ साथ और लोगो को भी दिग्भ्रमित कर के लुटने, लुटाने, कत्ल होने जैसे कामों मे लगा दिया है।
मुझे तो जासूसी के लिये डबल सिंवई खिलाई है, मगर आपके लिये कुछ और इंतज़ाम है...! यहाँ ईद मिलने मिलाने से छुट्टी पाना उधर के लिये सावधान हो लेना...!!! :(
क्या कहूं ....ऊपर वालो की तरह तारीफ के दो शब्द कहकर रस्म निभा कर चला जायूं ...खय्याम ने जिस गजल को लिबास दिया ...की वो आज इतने सालो बाद भी दिल में बसी हुई है ....कभी कभी सोचता हूँ की शायरों को क्यों इतना अंडर एस्टीमेट किया जाता है ...क्यों एक खास तबका से उन्हें वो तवज्जो मिलती है ...जो पूरे आवाम से मिलनी चाहिए थी .मसलन देखिये कितने साल पहले कही हुई बात आज भी अपना पुरजोर असर रखती है वैसे ही ....उसी शिद्दत से ....कितना मुश्किल होता है बड़ी बात को दो लाइनों में कहना ....
ReplyDeleteफ़िलहाल मूड किसी ओर रस्ते पे है ...ज़माने को देखकर हैरान भी हूँ ओर पशेमां भी....आपका ये शेर अच्छा लगा ......
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
ओर हाँ मनु जो को भी कहियेगा .....एक गजल भले ही छोटी हो ...लिखे ..इस तरह के शेरो से जी नहीं भरता
उबरते रहे हादसों से सदा
ReplyDeleteगिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
बहुत सुंदर , वाह वाह ही बची हमारे हिस्से मै,तरीफ़ तो सब ने दिल भर कर कर दी
धन्यवाद
वाह गौतम जी वाह...
ReplyDeleteमुबारकबाद ईद की भी और इस बेहतरीन ग़ज़ल की भी...
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
ReplyDeleteकभी मौत पर गुनगुना कर चले
huzoor !!
maine bhi iss tarah misre par ghazal kehne ki jasaarat ki thi ...lekin wo poori gzl iss ek sher se zyada achhee nahi bn paaee
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
waah-wa !!
mubarakbaad
---MUFLIS---
aabhi abhi pata chala ki nirmala maa bhi aapki usi sher ki kayal hain...
ReplyDeleteउबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
Time Proof S'her !!
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
ReplyDeleteकभी मौत पर गुनगुना कर चले
.............बहुत सुन्दर लिखा है ...बधाई
परखा है किसी कि निगाहों ने इस कदर हमको
ReplyDeleteजो टूटा तारा था , अब चाँद हो गया ......
मीर कि ग़ज़ल " दिखाई दिए यूँ ...." सुना कर आपने रेशमी यादों में एक सितारा और जड़ दिया ...उस पर आपका शेर ....लिखा जिन्दगी पर फ़साना कभी / कभी मौत पर गुनगुना कर चले ....वो जो आये महफ़िल में मेरी / मुझे नज़र में सभी कि खुदा कर चले .... सुभानाल्लाह ....
कंचन के कमेंट हमारे माने भी माने जायें सिवाय घूस वाली बात छोड़कर। ये वाला सेर सवा सेर लगा हमें तो:
ReplyDeleteलिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
नमस्ते भैय्या,
ReplyDeleteवाह वाह क्या ग़ज़ल है.............
मतला ही इतना जानदार है, की आगे आने वाला हर शेर ख़ुद में हौसला लिए हुए है.
मुझे जो शेर पसंद आये वो हैं. ...."उबरते रहे हादसों .", "लिखा जिंदगी पर फ़साना., और "उन्हें रूठने की है".
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
ReplyDeleteकभी मौत पर गुनगुना कर चले
SALAAM AAPKI JINDADILI KO MEJOR SAAHAB ...... LAJAWAAB
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
YE TO DUNIYA KA DASTOOR HAI .... AAPNE BAAKHOOBI SHER MEIN DHAAL DIYA HAI ...
उन्हें रूठने की है आदत पड़ी
हमारी भी जिद है, मना कर चले
BAHOOT AASHIKANA ANDAAJ ...... KAHEEN YE BHAABHI KE OOPAR TO NAHI ...
ये शायर सियासी मुजरिम होते हैं... इनके आस्तीनों से बगावत की बू आती है... आपको ऐसे लपेटेंगे की ज़माना याद रख्खेगा... अभी हिंदुस्तान में एक इतबार को ज़फर जी पर एक लेख आया था और क्या क़यामत के शेर था उसमें... उस घटना का जिक्र था जब उनके जवान बेटों का सर अंग्रेजों के कलम कर उनके सामने ट्रे में रखा था... वो जाबाज़ (ज़फर) ने कहा - तो यूँ सुर्खुरू है बेटे अपने वालिद के लिए... एक पल के लिए ज़फर बन कर सोचिये... रोंगटे खड़े हो जायेंगे...
ReplyDeleteआपको याद हो रफी साहब का वो कलाम...
"न किसी के आँख का नूर हूँ, ना किसी के दिल का करार हूँ...
जो किसी के काम ना आ सका, मैं वो मुफ्त गुबार हूँ...
मेरा रंग-रूप उजड़ गया, मेरा यार मुझसे बिछड़ गया
जो खिज़ा चमन से गुज़र गया में वो उजड़ी बयार हूँ....
काश ! यह कमेन्ट पहले किया होता बांकी साथी भी पढ़ते... अब आप पहुचाइए...
ईद पर एक अच्छा शेर बताया आपने. हम भी सुनाया करेंगे अगले साल से. बिना ईद भी सुना दिया करेंगे :)
ReplyDeleteये ख़ास पसंद आया:
'लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले'
और विवादों पर आपकी सलाह पर अमल होना चाहिए !
उन्हें रूठने की है आदत पड़ी
ReplyDeleteहमारी भी जिद है, मना कर चले
phir koi kyun n ruthe, bemisaal
हमें तो लूट लिया गौतमजी के शेरो ने
ReplyDeleteअच्छे अच्छे शेरो ने ...... मीठी मीठी बातो ने
क्या कहें -इतने लोगो को लूटा है आपने \इसकी सजा मिलनी चाहिए
जल्दी से एक गजल और पोस्ट कर दीजिये
आभार
सागर भाई निराश ना हों कि आप देरी से आये हैं और अब कमेन्ट कौन पढेगा ये गौतम जी जो फूल बिखेर कर चले जाते हैं उनके लिए मेरे जैसे पाठक लौट लौट के आते हैं. मैं अकेला नहीं हूँ, बिस्मिल हज़ार हैं यहाँ ... शोभना जी खुद कितना अच्छा लिखती है उनको भी यहाँ लूटा जा चुका है. रहम रहम रहम ... अब और कोई आवाज़ नहीं उठती है दिल से !
ReplyDeletehamne kai baar padh lee hai mejor...
ReplyDeleteab jaldi se nayee post daalo....
अभी अभी ही चिट्ठा चर्चा (http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/09/blog-post_23.html) में पता चला कि आपको देश की रक्षा करते गोली लगी है. आपके साथियों में से कुछ शहीद हुए हैं.
ReplyDeleteआपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना तथा शहीदों को नमन. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.
हम आप और आपके साथियों (वीर-जवानों) की सलाहमति की दुआ करते हैं। ईश्वर आपको स्वस्थ और दीर्घायु रखे। शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteसलामति की दुआ करते हैं।
ReplyDeleteआप जल्दी से ठीक हों और ढेर साड़ी खूबसूरत गजले यूँ ही सुनाते रहे यही दुआ करते हैं
ReplyDeleteजल्दी से ठीक हो जाने की शुभकामनायें तुम्हें गौतम। हम सभी की दुआयें हैं तुम्हारे साथ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteMajor Sahab aapki har ghazal apne aap mein nayaab tohfa hai.har sher ek nagina jaise...
ReplyDelete-'dikhaaye diye yun-'-mujhe bhi pasand hai..
---------------------
[All the Very very best and GET WELL SOON!]
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[Eid vacations were keeping me busy at home..Sorry,could not visit your blog earlier.]
Too Good, Too Good !!
ReplyDeletebehatareen , khoobsurat gazal .
ReplyDeletewah har sher lajawaab. badhaai sweekaren.
GET WELL SOON BROTHER !
ReplyDeleteJAI HIND!
राजरिशी भाई आपके कायलों मे अपना नाम तो है ही ! पिछले काफी दिनों से ब्लॉग जगत से अलग-थलग पड़ गया था अब जुड़ने की कोशिश कर रहा हूँ आपकी गज़ल ने तो मारा ही मारा साथ मनु भाई का शेर भी क़यामत ढा रहा है
ReplyDelete।
कौड़ी के दाम बिके तेरे हाथों गौतम,
ReplyDeleteहम भी आज एक सौदा कर चले।
अगर मीटर से भागा हो तो भागने दीजिएगा
हा हा हा
भाई हम तो बदन पे सितारे को ओम ज्य जगदीश हरे की धुन पर गाते है आप भी गाकर देखिये
ReplyDeleteशीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिये मंगलकामनायें।
ReplyDeleteLooking forward to see you 100% healthy soon.
ReplyDeleteThanks for being there for the nation.
गिरे फिर उठे मुस्कराकर चले ,यह होना भी चाहिए ,वरना गिरे को उठाने वाले मिलते नहीं है, तमाशा देखने अलबत्ता लोग जमा हो जाते हैं ,मैं चला था तो मेरे साथ चले थे कितने ,और मैं गिरा था तो मुझे आये उठाने कितने ?जिन्हें बनाया ,सजाया संवारा ,वोमिटा कर चले ठीक तो है , लेकिन उन्होने खुद को भी मिटाया समझो ""अरे ओ जलाने वाले ,वो तेरा ही था नशेमन ,जिसे तूने फूँक डाला मेरा आशियाँ समझ कर"" कदम दर कदम हौसला कर चले ,ज़रूरी भी है ,नशेमन पे नशेमन इस कदर तामीर करता जा कि, बिजली गिरते गिरते आप खुद बेजार हो जाये उन्हें रूठने की आदत और हमें मानाने की जिद ,ठीक तो है ,वो अपनी खूँ न छोडेंगे हम अपनी वजा क्यों बदलें ।जो कमबख्त होता था अपना -मुगले आज़म फिल्म याद आगई ,"अपनी ही औलाद को अपना बनाने के लिए हमें एक कनीज़ का सहारा लेना होगा
ReplyDeleteआप बहुत जल्द स्वस्थ हो जायेंगे...ईश्वर से यही कामना करते हैं हम
ReplyDeleteRashmi ji ke blog se hote hue aap tak pahuchi.......dekhiye poore desh ne dua mein dono haath otha liye..... ab ham logon ko kaun samjhate ki shareer par lage ghaav to sipahi ki bahaduri ki ek dastan bhar hai.....phir bhi....abhi padosi bahut hisaab chukaana hai ... so get set ready.....fit ho jaiye jaldi :-)
ReplyDeleteखुदाया रहेगी कि जायेगी जां
ReplyDeleteकसम मेरी जां की वो खा कर चले
गौतम जी ये शे'र कितने पास से होकर गुजर गया सोचा आपने ....? जब सुना ज़मीं पैरों तले खिसक गयी थी ... रब्ब आपको सही सलामत रखे .....आज जब आपका एस एम् एस आया कि सकुशल हैं तो राहत की साँस ली ....!!
सर जी अभी किसी ब्लॉग पर आपके इंजर्ड होने की खबर पढी है..उम्मीद करता हूँ कि खबर गलत हो..भगवान से आपकी सलामती और सेहत की दुआ करता हूँ..खैरियत की खबर देते रहा कीजिये..ऊपरवाले को भी ज्यादा परेशान करना ठीक नही!!
ReplyDeleteप्रिय गौतम जी ! आपके घायल होने की खबर ने तो होश ही उड़ा दिए (रश्मि जी से पता लगा )... अभी कंचन जी के ब्लॉग पर पढ़ी टिप्पणी से कुछ राहत की साँस मिली ! ईश्वर आपको अतिशीघ्र स्वस्थ करे ,यही प्रार्थना है !
ReplyDeleteabhi abhi rshiji ke blog par aapke g ghayl hone ki khabar padhi man andar tak dhal gya .devi maa aapki rksha kre aur aap jaldi se bilkul theek hokar sbke dilo par raj kre .
ReplyDeleteshubhkamnaye
हुई राह मुश्किल तो क्या कर चले
ReplyDeleteकदम-दर-कदम हौसला कर चले
kya baat shuru kar di hai
उबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले
ahaaaaaaaaaaa
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
bahut khoob kaha hai
jigara chahiye hai
बनाया, सजाया, सँवारा जिन्हें
वही लोग हमको मिटा कर चले
yahi ho raha hai
khuda bhi mera kaatil bhi hai
bahut hi achchi lagi gazal
Aapke ghayal hone ki khabar mili magar samjh nahi paayi ki sahi hai yaa kuch galat fahmi hai
magar dua yahi hai ki aap chir aayun ho
khoob khush rahe aur khoob khyaati paayen
रश्मि प्रभा जी के ब्लाग पर चिरंजीव मेजर गौतम के घायल होने की खबर पढ़कर दिल बहुत दुखी हुआ. मेजर गौतम बड़े दृढ़ संकल्प और इच्छा-शक्ति के असाधारण व्यक्ति हैं. ऐसे व्यक्तियों के सामने इस प्रकार के संकट अल्प-सामयिक होते हैं. परम परमेश्वर से यही प्रार्थना है कि हमारे देश के रक्षक नव-युवक गौतम जी को शीघ्र ही स्वास्थ्यलाभ और दीर्घ आयु दें.
ReplyDeletevatan kaa haal sach-sach too mujhe kahate n dar hamdam.
ReplyDeletegiree hain bijaliyaan jis par vo mera aashiyaan kyon ho.
ishwar kare saaree khabaren jhooTee hon.
कई दिनों से नहीं देख रहा था ब्लोग्स को । अचानक चिट्ठा चर्चा पर आपके घायल होने की खबर पढ़ी । हतप्रभ हूँ । आपकी सलामती की दुआ माँग रहा हूँ । ईश्वर आपको शीघ्र स्वास्थ्य दे ।
ReplyDeleteहम सब की दुआएं आप के साथ हैं गौतम जी ! बहुत ही जल्दी स्वस्थ्य हो के आईये हम सब के बीच. माँ शारदा आपकी रक्षा करें हमेशा.
ReplyDeleteसादर शार्दुला
दिखाई दिये यूँ कि बेखुद किया... ये तो मेरा bhi पसंदीदा गीत है और आपकी ग़ज़ल भी
ReplyDeleteखूब रही.
ईश्वर आपको शीघ्र स्वस्थ्य करे.
ReplyDeleteThis morning I read somewhere that you had an injury on shoulder during action..I hope you r fine now..best wishes from me and Neeraj for a speedy recovery..plz let us all now abt ur well being ASAP..all blogger friends are really worried abt you..plz take care of urself..
ReplyDeleteबहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने गौतम जी
ReplyDeleteसाधुवाद!
लिखा जिंदगी पर फ़साना कभी
कभी मौत पर गुनगुना कर चले
वाह!
सलामती की प्रार्थनाऒ के साथ .....
ReplyDeletegautam ji, blog se hi jaankari mili ki aap ko desh ki raksha karte hue goli lagi hai,
ReplyDeletemain pariwaar sahit bhare hriday se us parampita parmatma se prarthna karta hun ki mere desh ke is bahadur jaanbaaz ko ati sheeghra swasthya laabh pradaan karen. gautam ji hum aapke saath hain. aapke blog par punaraagman ki prateeksha men.
आज सुवीर जी के ब्लॉग से आपके स्वास्थ्य का समाचार मिला और यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप धीरे धीरे स्वस्थ हो रहे हैं ! सीधे contact न होने से बेचैनी अवश्य रहती है ! ईश्वर आपको जल्दी ही स्वस्थ करे यही प्रार्थना है !
ReplyDeleteआज दैनिक हिंदुस्तान में रवीश कुमार का ब्लॉग वार्ता हमेशा की तरह पढने के लिए पेज खोला ...पाल ले ....अरे ...पाल ले एक रोग नादाँ ...ये तो गौतम जी के ब्लॉग का जिक्र है ...तुंरत पढना शुरू किया ...क्या लिखते हैं रवीश कुमार जी ...कहते हैं ..मुल्क से मुहबत्त का रोग इस नादाँ को न होता तो इस नादाँ की जान हथेली पे न होती ...हर ब्लोगर का कुछ फलसफा होता है ...गौतम का भी है ..." वो कौन है , जिन्हें तौबा की मिल गयी फुर्सत / हमें तो गुनाह करने को जिन्दगी कम है "
ReplyDelete२१ सितम्बर की पोस्ट में लिखा शेर " ईद का दिन है गले आज तो मिल ले जालिम..., मेजर आकाश दीप की शहादत , ३१ अगस्त की पोस्ट का जिक्र ...जिसमे " वर्तमान साहित्य " में छापी ग़ज़ल " सुबह उतरी है गलियों में ...." और गणतंत्र दिवस के मौके पर लिखी ग़ज़ल " उनका हर एक बयां हुआ / दंगे का सब सामान हुआ ....का जिक्र किया है ....
रवीश कहते हैं ...एक अच्छा कवी ही अच्छा सिपाही हो सकता है ...सरहदों पर जान देने गए सिपाहियों के जज्बातों को हमने कब समझा है ...हम तो बस उसे किसी को मार कर मर जाने वाला ही समझते रहे ....उनकी शहादतों को पेट्रोल पम्पों और मूर्तियों में दर्ज करते रहे ....गौतम अपनी गज़लों में हमारे लिए दर्ज कर रहे हैं ...सेना को शायर और कवियों की ज़रुरत है ....
कुल मिला कर रवीश कुमार द्वारा की गयी आपकी तारीफ़ पढना अच्छा लगा ....२१ सितम्बर को की गयी पोस्ट को पहले भी कई बार पढ़ चुकी हूँ पर इस वार्ता ने फिर से एक बार और आने पर मजबूर कर दिया ....
आपके स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से दुआ करते रहेंगे ....
पाल ले इक रोग नादां...
ReplyDelete...जिंदगी के वास्ते,सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं
bahut sundar. bahut bahut bahut sundar... maine age padhne se pahle ye post karna uchit samjha.
aise ashh aar badi muddat pe milte hain
satya
sach kahun to laga jaise ek adhoori ghajal poori kar di aapne.. bahut khoob.. "Dainik Hindustaan" ke ek lekh ke maadhyam se aapke blog tak pahuncha.. aabhaari hun us lekh likhne wale sajjan ka (jinka naam mujhe yaad nahi hai, kshama prarthi hun..)...
ReplyDeleteaabhaar..
ambarish ambuj
http://www.ambarishambuj.blogspot.com
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ReplyDeleteposting for the first time, i have been your silent admirer for some time. besides, a few people have known you through me. the perfect combination of your noble profession and the literary creativity are coveted traits rarely seen in today's upwardly mobile, 'corporate-culture-corrupt' society. God bless you, son.
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