...वो कहते हैं न कि पुराने का मोह नहीं छुटता.तो अपनी एक पुरानी रचना को बहर में लाने का प्रयास कुछ यूं बना है:-
जब से मुझको तू ने छुआ है
रातें पूनम दिन गिरुआ है
इक बीज पड़ा है इश्क का तो
नस-नस में पनपा महुआ है
तू जो गया तो अहसासों का
मन अब इक खाली बटुआ है
टूटा है तो दर्द भी होगा
दिल तो शीशम ना सखुआ है
तेरे चेहरे की रंगत से
मेरा हर मौसम फगुआ है
फेरो ना यूं नजरें मुझसे
बहने लगेगी फिर पछुआ है
हँस के तू ने देख लिया तो
जग ये सारा हँसता हुआ है
...कहीं-कहीं कमजोर रह गयी है,जानता हूं.आप सब मशवरा दें और सुधारने का.
(मासिक पत्रिका "वर्तमान साहित्य" के अगस्त 09 अंक में प्रकाशित)
खरगोश बहुत से हैं इस दौड़ में
ReplyDeleteजीत गया जो तू वही कछुआ है
तू जो गया तो अहसासों का
ReplyDeleteमन अब इक खाली बटुआ है
रजनीशी भाई अच्छी ग़ज़ल अपने आप में नई।
बढ़िया लिखा है। सुधारने लायक योग्यता हममें कहाँ?
ReplyDeleteघुघूती बासूती
कविता प्रभावशाली है । बहुत अच्छा िलखा है आपने । बधाई । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो पढें और कमेंट भी दें-
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
इतनी सुंदर कविता लिखी आप ने, ओर हमे तो ढंग से टिपण्णी भी देनी नही आती मशवरा कहा से दे भाई.
ReplyDeleteधन्यवाद
भाई वाह, बड़े सही काफिये का प्रयोग किया है आपने..
ReplyDeleteगौतम,
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखते हो।
--मानोशी
Mushkil Kaafiyaa tha (mere hisaab se!). Bakhoobi sambhaalne ki koshish ki hai.
ReplyDeleteUse of variety of Kaafiya shows treasure of words the Poet possess. Good job.
RC
जो बात पहली बार मे निकलती है....वो मुझे लगता है कि अलग ही होती है..।! जैसे जैसे सुबह नहा के आई माँ...! सेंदुर, बिंदी के बाद भी वो बहुत अच्छी लगती है, लेकिन वो सुबह की तांगी अलग ही होती है..पूजा के फूलों जैसी....!
ReplyDeleteऐसी ही है कुछ आपकी गज़ल..कहीं कहीं प्रवाह कम होता है..लेकिन भाव सारी कमी खतम कर देते हैं..!
प्यार की पहली फुहार सी बात है इस रचना में ..कई पंक्तियाँ बिम्ब नए और अच्छे लगे ...
ReplyDeletebahut acha likha hai aapne .. badhai ..
ReplyDeletekabhi hamare blog par bhi aayiye.
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
तू जो गया तो अहसासों का
ReplyDeleteमन अब इक खाली बटुआ है
बस यही शेर सबसे अच्छा लगा .....
bahut mushkil kafiye se bani ek khubsurat gazal bahut badhai
ReplyDeleteभाई तकनीकी समझ हम मे नही है ! हां पर एक बात है कि आप जो लिख्ते हैं वो पढ कर आनन्द और शुकुन मिलता है ! हमारे लिये तो ये बहुत बडी बात है ! आप तो लिखते रहिये ! बहुत आनन्द आता है आपका लिखा पढ कर !
ReplyDeleteरामराम !
बहुत बढिया। अब सुधारने लायक तो हम है नही।
ReplyDeleteआज तो सोच कर आया था कि चाहे ग़लत ही होऊँ /गलती निकल कर ही आऊंगा बहुत कहते है कि सुधरने का मशवरा दें/ यहाँ आया तो नस नस में महुआ पनप गया =मौसम होली मय हो गया ,हवा पछुआ बहने लगी /अब महुआ के सुरूर में मुझे क्या पता को होली पर पछुआ बहती है या नहीं /हंस के तूने देख लिया इस पर निवेदन है की "" हंस कर देखा या देख कर हँसे ""
ReplyDeleteRajnish ji ,
ReplyDeletebahot khub likha hai aapne naye andaj aur kase huye kafiye ke sath umda ghazal.. dhero badhai swikaren bhai sahab....
arsh
भाव तो जबरद्स्त है गौतम जी। पढ़ते हुये ऐसा लगता है जैसे भीनी-भीनी खूश्बू चारों तरफ फैल गई हो।
ReplyDeleteकोशिश जानदार, अनुभव सब सिखा देंगे
ReplyDelete------------------------------------
http://prajapativinay.blogspot.com/
आप सुधारने की बात कर रहे हैं, मैं तो मंत्रमुग्ध रह गया। पूनम, गेरुआ, महुआ, शीशम, सखुआ, फगुआ, पछुआ - ये बिम्ब मन में उतर रहे हैं और मन बावरा हुआ जा रहा है।
ReplyDelete"...raateiN poonam, din gir`ua hai"
ReplyDeletebahot khoob ! thorhe se shabdo mei
jane kya kuchh keh diya aapne.
bahot achhi gazal kahee hai...
sb aapki mehnat ka hi nateeja hai..
Badhaaee !!
---MUFLIS---
Sir pehle to yahee kahoonga ki mujhe khushi hai ki meri nazar is jagah padhee...kamee to dhoondhne waale dhoondhe,mujhe to bada pyaara lagaa...
ReplyDeleteaur haan is baat ki alag se tareef karni hogi ki kaafiya sach mein hate tha :)
ek haasy-vyang ki rachna prastut hai..padhe aur sujhaav de :)
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_5104.html
सही कहा गया है "Old Is Gold"
ReplyDeleteगौतम जी, आपकी कविता बहुत पसंद आई.. हर एक शब्द भावनाओं की गहराई बयां करता है।
दूसरी बात ये कि आपने अपने ब्लॉग पर बहुत अच्छा काम किया है। ख़ासतौर पर लेफ्ट हैंड साइड पर जो लिस्ट बनाई गई है.. सुंदर अभिव्यक्ति...
wah! badhiya hai.
ReplyDeleteghazal durust karnaa to waqt ke kaam hote hain...
ReplyDeleteachhe khyaaon ko salaah kyaa dena ..
magar bahte rahe .....
ek aur cheez jo ghazal se bhi jyaada choo gayee man ko...
wo hai ek fauzi ke haath me kalam ke alaava guitar dekhnaa..
prem pujari ki yyad aa gayee...
yahaan aana kai kaarnon se yaadgaar rahega
chalo waapas aayaa ek baat kahne...
ReplyDeleteke jo puranaa hai na,use naa chhedo..apne time me aapko wahi laajwaab lagaa hogaa..hai naa...
seekh rahe hain yaa khud ke tazarbe se naye likhe ko theek karen...
puranaa jaisaa bhi hai pyaaraa hota hai..
hans tumne dekh liya jo
ReplyDeletejag sara hansta hua hai
ismain sara saar hai kam shabdon main duniya ki itni badi sachhayi kah jana maan gaye
aaj aapko pahli baar pada
neeraj ji ke blog par aapke commnets ne aapke naam par click karwaya aur dekha ki ye to khazana hai
isiliye aapko apne blog se jod liya taki samay milne par aakar samay kuch apnse se khyaalon ke saath bitya jaa sake
आनंद आ गया बन्धु!
ReplyDeleteगौतम जी आप एक बारगी फ़िर से मेरे ब्लॉग पे आए और जरा जनाब निदा फाजली साहब के काफिये पे गौर करें...
ReplyDeleteBAHUT KHOOB:
ReplyDeleteतू जो गया तो अहसासों का
मन अब इक खाली बटुआ है
aur nazam purani hai to kya hua, :
mujhko ab tak zinda rakhey,
pichle sal ki budhi dua hai.
टूटा है तो दर्द भी होगा
ReplyDeleteदिल तो शीशम ना सखुआ है