सिसकता हुआ ये २००८...निरीह बना हुआ...२००९ के लिये बिछा हुआ राह बनाता-सा !!!
नये साल में हम सब की इतनी कोशिश तो रहनी ही चाहिये कि हम २६/११/२००८ वाली मुंबई को न भूलें.सब "कारगिल" भूल चुके हैं,लेकिन वो चलता है.क्योंकि कारगिल में सैनिकों ने जान दी थी.हम सैनिकों का काम है ये.इसीलिये हमें सरकार तनख्वाह देती है.मगर मुंबई ....???
वर्ष के इन आखिरी दिनों में मेरे घर में परमपिता परमेश्वर सर्वशक्तिशाली भगवान पे बड़ी उलझन आन पड़ी है.मेरी माँ ,दुर्गा-भक्त, हर रोज सिंहवाहिनी से ये प्रार्थना करती है कि युद्ध के ये उमड़ते-घुमड़ते बादल छँट जाये ताकि उसके इकलौते (सु)पुत्र को वर्षों बाद मिले इस शांत-सुकुन भरी पोस्टिंग को छोड़कर सीमा पर न जाना पड़े.लेकिन दुसरी तरफ मैं ,उसका ये (कु)पुत्र,अपने इष्ट देवों के देव महादेव से ये मनाता रहता हूं कि ये बादल न सिर्फ उमड़े-घुमड़े,बल्कि जोर-जोर से गरजे और फिर खूब-खूब बरसे.
अब आप ही बताइये अपना ईश्वर किसकी सुने...और-तो-और महादेव और माँ दुर्गा की छोटी मुर्तियाँ एक ही कमरे के एक ही तक्खे पे विराजित हैं.
इन उमड़ते "बादलों" पर और भी बहुत कुछ लिखना चाहता हूँ,किंतु इस हरी वर्दी को पहनते समय ली गयी शपथ रोकती है हमें कुछ और कहने से...
आईये, आप सब मेरे मित्र-गण मेरे लिये और अपने इस हिंदुस्तान के आत्म-सम्मान के लिये प्रार्थना करे इस "बादल" के बरसने की ताकि इस सिसकते २००८ की इस आखिरी बेला में लहुलुहान-सा ये मुल्क अपना .खोया आत्म-सम्मान वापस ले और २००९ एक नया सबेरा लेकर आये.
फिलहाल एक मतला और दो शेर मुखातिब हैं :-
दूर क्षितिज पर सूरज चमका,सुब्ह खड़ी है आने को
धुंध हटेगी,धूप खिलेगी,साल नया है छाने को
प्रत्यंचा की टंकारों से सारी दुनिया गुंजेगी
देश खड़ा अर्जुन बन कर गांडिव पे बाण चढ़ाने को
साल गुजरता सिखलाता है,भूल पुरानी बातें अब
साज नया हो,गीत नया हो,छेड़ नये अफ़साने को
...पूरी गज़ल अगले वर्ष सुनाऊँगा.तब तक के लिये विदा.आप सब को २००९ की ढ़ेर सारी शुभकामनायें और "मुंबई" को न भूलते हुए मेरी प्रार्थना में शामिल रहियेगा...!!!!
नया साल आपको मंगलमय हो
ReplyDeleteकितने ज़ज्बात बिखेर दिए है आपने इस पोस्ट पर... नववर्ष आपको भी मंगलमय हो..
ReplyDeleteआपके जज्बे से वाकिफ़ हू ! मेरे भी नजदीकी प्रियजन आपकी तरह फ़ौजी हैं ! कुछ मोर्चें पर हैं और कुछ पीस एरिया मे हैं !
ReplyDeleteजैसे आपकी माताजी मनाती हैं भवानी को हम भी वैसे ही मनाते हैं ! पर जब भी देश की आन बान शान की बात आई है इन्ही माओं ने बडी शान से अपने सपूतो को तिलक लगा कर रण क्षेत्र मे भेजा है ! और आप यकीन रखिये कि जब भी ऐसा मौका आयेगा एक मां पीछे नही हटेगी !
आपने बडा जज्बाती लिखा है कि सरकार मरने की तनखा देती है ! भाई एक फ़ौजी की क्या तन्खाह होगी ? मैं ज्यादा तो कुछ नही लिखूंगा पर मेरा एक नजदीकी रिश्तेदार M.Tech, Colonal है दुसरा उसी उम्र का M.Tech सिविल मे है ! सिविल वाला फ़ौजी से १० गुना कमा रहा है !
पर फ़ौजी बडा खुश है ! भाई फ़ौज की नौकरी इन्सान पैसो के लिये नही करता है ! ये तो आप जैसे जज्बे वाले लोगो के लिये है ! अपवाद हर कहीं हैं !
सलाम आपके जज्बे को !
रामराम !
बहुत सुन्दर लिखा है, बधाई। नये वर्ष की शुभकामनाओं के साथ!
ReplyDeleteसाल के अंत में प्यास अधूरी छोड़ के जा रहे हैं ये न इंसाफी है...चलिए जो मिला बहुत मिला समझ लेते हैं और अगले साल हाज़िर होते हैं शुभकामनाओं के साथ...बहरहाल ये ग़ज़ल यकीनन बेहतरीन बनने वाली है...इसमें कोई शक नहीं...हर शेर लाजवाब...
ReplyDeleteनीरज
Hamare deshwashion ki yaaddasht kafi kamjor hai. Magar aasa hai aapki ummedon ka savera jarur aayega.Shubhkaamnayein.
ReplyDeleteबहुत सही गौतम जी! नववर्ष की अग्रिम बधाई आपको। इस शानदार गजल को पूरा सुनने का इंतज़ार रहेगा।
ReplyDeleteआप को भी आने वाले साल की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteaapke nek jazbe ki qadr karte hue Bhagwaan se prarthna karta hooN k Woh aapke andar ki aag ko bnaaye rakkhe, aur aap kaamyaabi ki manzileiN fateh karte raheiN...
ReplyDelete"sachche mun, sachchi vaani se,
mil-jul kr sb kehte haiN ,
bhgwn poora roop mile,
gautam ke taane-baane ko"
---MUFLIS---
सब से पहले तो आप को ओर आप की भावनाओ को मेरा सलाम, आप को नये साल की बहुत बहुत बधाई, नया साल आप की आशा के अनुकुल हो, फ़िर मिलेगे आप से ओर बेठ कर आप की कविता सुनेगे.
ReplyDeleteधन्यवाद
हर शेर सुंदर है गौतम।
ReplyDeleteतुम्हें और तुम्हारे पूरे परिवार को नव-वर्ष की शुभकामनायें। बेटी को प्यार।
गौतम जी बहोत खूब लिखा है आपने पुरी ग़ज़ल का इंतज़ार रहेगा ... आपको तथा आपके पुरे परिवार को भी नव वर्ष की ढेरो बधाइयाँ और शुभकामनाएं ............
ReplyDeleteअर्श
आपको २००९ के आगामी नव -
ReplyDeleteवर्ष की बहुत शुभ कामनाएँ -
- लावण्या
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ReplyDeleteप्रत्यंचा की टंकारों से ..
ReplyDeleteक्या बात काही है! ग़ज़ब का शे'र !!
मगर लोग मुम्बई को भूलते जा राहे हैं. कुछ समय पहले मेरी एक बुजुर्ग से इसी विषय पर बात हो रही थी. उनकी एक बात दिल में चुभ कर रह गई ... जिसपर मैं निरुत्तर रही.
उन्होंने कहा, "हमें आजादी बडे सस्ते में मिली है. इतनी, के लोगों को उसकी कीमत ही नहीं पता। अभी इस देश को असली आजादी पाने के लिए और खून बहाना पड़ेगा."
क्या सचमुच ऐसा है?
RC
yuddha se dar to lagata hi hai Gautam Ji....!
ReplyDeletenav varsh ki shubhkamanae.n
आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ........
ReplyDeleteअर्श
Have you applied Meter to this ghazal?
ReplyDeleteNAV VARSH 2009 KI
ReplyDeleteS H U B H
K A A M N A A Y E I
---MUFLIS---
कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
ReplyDeleteकुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!
ReplyDeleteनया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,
ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteअब बाक़ी ५ अशा'र भी यहां जल्द ही लगा दीजिए। बहुत अच्छी ग़ज़ल है। RC की दूसरी टिप्पणी पर भी ध्यान देना।
ग़ज़ल में तकरार की बात अभी उधार है, जल्दी ही भेजूंगा।
एक प्रेरक और तीखे तेवर वाली रचना के लिए आभार। अच्छी कविता है।
ReplyDeleteवाह! दो भक्तों की मन्नतों से ख़ुदा के सामने उपजे द्वंद को आपने बेहद खूबसूरती से शब्दों से बांधा। 2008 को अलविदा कहते हुए, हिंदुस्तान के दर्द को आपने लफ़्जों में उतार दिया।
ReplyDeleteशुभकामनाएं
आपके एवं आपके प्रियजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteNav varsh ki harisk subhkamanye
ReplyDeletepuri gazal ka intezaar hai
aage kabhi aise haadse na ho iske liye kuch thos kadam uthane ki zarurat hai
नमस्कार गौतम जी,
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक सुभकामनाएँ
बहुत अच्छे शेर कहे हैं, पूरी ग़ज़ल का इंतज़ार है.