08 December 2008

उसने खद्‍दर पहना साहिब...

..आक्रोश दबता हुआ...लोग फिर से लौटते हुये अपनी सामान्य क्रिया-कलापों की ओर...एक बार फिर से झकझोरे जाने के लिये निकट भविष्य में ऐसे ही किसी घृणित और कायरतापूर्ण आतंकवादी कारवाई से-चंद और "उन्नियों" के शहीद हो जाने तक.

एक पुराने और प्रचलित रदीफ़ पे मेरा ये प्रयास देखें और देख कर त्रुटियों से अवगत कराना न भूलें.
२२-२२-२२-२२ के वजन पर:-


सीखो आँखें पढ़ना साहिब
होगी मुश्‍किल वरना साहिब

सम्भल कर इल्जामें देना
उसने खद्‍दर पहना साहिब

तिनके से सागर नापेगा
रख ऐसे भी हठ ना साहिब

दीवारें किलकारी मारे
घर में झूले पलना साहिब

पूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब

सब को दूर सुहाना लागे
ढ़ोलों का यूँ बजना साहिब

कितनी कयनातें ठहरा दे
उस आँचल का ढ़लना साहिब

(नैनिताल से निकलने वाली द्विमासिक पत्रिका "आधारशिला" के जनवरी-फरवरी 09 अंक में प्रकाशित)

23 comments:

  1. पूरे घर को महकाता है
    माँ का माला जपना साहेब
    गौतम जी मेरी सारी ग़ज़लें आप के इस शेर पर कुर्बान...दिल जीत लिया आपने...वाह वा...वाह वा. वाह वा.....
    नीरज

    ReplyDelete
  2. पूरे घर को महकाता है
    माँ का माला जपना साहेब ....
    भाई आप की कविता की जान है यह दो लाईने.
    बहुत सुंदर लिखा आप ने
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  3. नमस्कार गौतम जी,
    बेहतरीन ग़ज़ल...........उम्दा
    मतले के क्या कहने,
    बाकी तो नीरज जी ने सब कह दिया है मैं कुछ कहूं तो तौहीन होगा.

    ReplyDelete
  4. बड़ी ही सीधी सच्ची ज़ुबान में अच्छी गज़ल है गौतम।

    ReplyDelete
  5. बहुत शानदार ग़ज़ल है, कमियाँ तो उस्ताद बताएँगे। हम तो बस केवल आनंद ले सकते हैं।

    ReplyDelete
  6. बहुत लाजवाब ! गजब का लिखते हैं आप ! हमारी तकनीकी समझ इस क्षेत्र में नही है , पर रचना के भावो को समझ रहे हैं और नमन करते हैं !

    रामराम !

    ReplyDelete
  7. शानदार!
    एक से एक बढ़िया शेर हैं.

    ReplyDelete
  8. Gautam, this is beaaautiful !! Muqammal !! Rawani aur alfaaz .. wah! Sarey She'r achche lage. Hesitating to say, that I liked the Maktaa most :)

    Poore ghar ko mehkaata hai ... This line is disturbing the flow while reading. Tried "poora ghar mehekta hai"? Well, you know better about Behr so you would be the right person to Judge ..

    RC

    ReplyDelete
  9. Aur Mumbaii ki vaardaat main to nahi bhooli. Jinhein apni aur apne bachchon ki chintaa hai wo nahi bhoolenge.
    Kyonki abhi nazar-andaaz kiya to ye log phir laut ke ayenge.

    Agar un logion ne missile attacks kiye to hum kya karenge? They say next attack may be thru air. ...

    Sochne wali nahi, kuch karne wali baat hai ...

    RC

    ReplyDelete
  10. waaah har sher umda...! Vatsalya se shrigar tak aur ghar se sansad tak ke sare shade...!

    bahut khub.

    ReplyDelete
  11. गौतम जी, आनंद आ गया।
    पूरे घर को महकाता है
    माँ का माला जपना साहिब

    वाह! वाह!

    ReplyDelete
  12. गौतम जी नमस्कार ,
    आप तो गुरु सखा हो .. बहोत ही मुकम्मल ग़ज़ल लिखी है आपने .. बहोत खूब ढेरो बधाई आपको ..
    तारीफ तो नीरज जी ने बेहतर करी है इसके अलावा कुछ कहना वाकई बेईमानी होगी....
    अर्श

    ReplyDelete
  13. ... बहुत ही प्रभावशाली, प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है ।

    ReplyDelete
  14. वाह गौतम जी /बहुत पुरानी गजल की यादें दिलादी /वाकई पहले की रचनाओं से बढ़िया तो नहीं मगर उन जैसी /काफिया के पहले जो शब्द लाये हो जिन्हें आपने रदीफ़ कहा है उनका चयन बहुत सरल और सुंदर

    ReplyDelete
  15. हर शेर लाजवाब है दोस्त देर से आने के लिए मुआफी .......खद्दर वाला शेर तो अल्टीमेटम है.....

    ReplyDelete
  16. chhoti beher wali ghazalein to hamesha se hi pasand ki lagi hain mujhe...aur is ghazal mein to aap ne vazan ka bhi khayal kiya hain...main nahi kar pata hoon...puri ghazal lajawab...matla sabse avval laga...

    ReplyDelete
  17. घर में झुलसे लोग पड़े हैं
    आँखें नम कर लेना साहिब
    खद्दर देश सलामत रखे
    तौबा तौबा करना साहिब

    ReplyDelete
  18. वाह-वाह

    पूरे घर को महकाता है

    माँ का माला जपना साहिब.

    बहुत ही ख़ूब
    .

    ReplyDelete
  19. वाह राजरिशी भाई

    पूरी ग़ज़ल अच्छी लेकिन मां की अनुभूति अति सुन्दर

    ReplyDelete
  20. प्रिय गुरुभाई,

    आपकी ये ग़ज़ल भी अच्छी लगी.

    ReplyDelete
  21. aha.....
    one of the best ghazal in entire blog, and it's 'khaddar' one and 'ghar mein jhoole' are 'lethal sher'


    ye zarror kahoonga gautam ji:

    humko bhi shagird bana lo,
    jayein kahan hum varna, sahib?


    -----------------------------------
    mekhane main jeena seekha
    ar saqui pe marna, sahib.

    shri-nagar sa kshringaar na koi,
    na kashmir sa, gehna, sahib.

    abki baari aa na sakega,
    mere ghar main kehna sahib.


    ........man karta hai likhte chale jaaon....
    wah wah.....
    par aur post bhi to hain....

    ReplyDelete

ईमानदार और बेबाक टिप्पणी दें...शुक्रिया !