..आक्रोश दबता हुआ...लोग फिर से लौटते हुये अपनी सामान्य क्रिया-कलापों की ओर...एक बार फिर से झकझोरे जाने के लिये निकट भविष्य में ऐसे ही किसी घृणित और कायरतापूर्ण आतंकवादी कारवाई से-चंद और "उन्नियों" के शहीद हो जाने तक.
एक पुराने और प्रचलित रदीफ़ पे मेरा ये प्रयास देखें और देख कर त्रुटियों से अवगत कराना न भूलें.
२२-२२-२२-२२ के वजन पर:-
सीखो आँखें पढ़ना साहिब
होगी मुश्किल वरना साहिब
सम्भल कर इल्जामें देना
उसने खद्दर पहना साहिब
तिनके से सागर नापेगा
रख ऐसे भी हठ ना साहिब
दीवारें किलकारी मारे
घर में झूले पलना साहिब
पूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब
सब को दूर सुहाना लागे
ढ़ोलों का यूँ बजना साहिब
कितनी कयनातें ठहरा दे
उस आँचल का ढ़लना साहिब
(नैनिताल से निकलने वाली द्विमासिक पत्रिका "आधारशिला" के जनवरी-फरवरी 09 अंक में प्रकाशित)
पूरे घर को महकाता है
ReplyDeleteमाँ का माला जपना साहेब
गौतम जी मेरी सारी ग़ज़लें आप के इस शेर पर कुर्बान...दिल जीत लिया आपने...वाह वा...वाह वा. वाह वा.....
नीरज
पूरे घर को महकाता है
ReplyDeleteमाँ का माला जपना साहेब ....
भाई आप की कविता की जान है यह दो लाईने.
बहुत सुंदर लिखा आप ने
धन्यवाद
नमस्कार गौतम जी,
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल...........उम्दा
मतले के क्या कहने,
बाकी तो नीरज जी ने सब कह दिया है मैं कुछ कहूं तो तौहीन होगा.
बड़ी ही सीधी सच्ची ज़ुबान में अच्छी गज़ल है गौतम।
ReplyDeleteबहुत शानदार ग़ज़ल है, कमियाँ तो उस्ताद बताएँगे। हम तो बस केवल आनंद ले सकते हैं।
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ! गजब का लिखते हैं आप ! हमारी तकनीकी समझ इस क्षेत्र में नही है , पर रचना के भावो को समझ रहे हैं और नमन करते हैं !
ReplyDeleteरामराम !
Umda..
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteशानदार!
ReplyDeleteएक से एक बढ़िया शेर हैं.
Gautam, this is beaaautiful !! Muqammal !! Rawani aur alfaaz .. wah! Sarey She'r achche lage. Hesitating to say, that I liked the Maktaa most :)
ReplyDeletePoore ghar ko mehkaata hai ... This line is disturbing the flow while reading. Tried "poora ghar mehekta hai"? Well, you know better about Behr so you would be the right person to Judge ..
RC
Aur Mumbaii ki vaardaat main to nahi bhooli. Jinhein apni aur apne bachchon ki chintaa hai wo nahi bhoolenge.
ReplyDeleteKyonki abhi nazar-andaaz kiya to ye log phir laut ke ayenge.
Agar un logion ne missile attacks kiye to hum kya karenge? They say next attack may be thru air. ...
Sochne wali nahi, kuch karne wali baat hai ...
RC
waaah har sher umda...! Vatsalya se shrigar tak aur ghar se sansad tak ke sare shade...!
ReplyDeletebahut khub.
गौतम जी, आनंद आ गया।
ReplyDeleteपूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब
वाह! वाह!
गौतम जी नमस्कार ,
ReplyDeleteआप तो गुरु सखा हो .. बहोत ही मुकम्मल ग़ज़ल लिखी है आपने .. बहोत खूब ढेरो बधाई आपको ..
तारीफ तो नीरज जी ने बेहतर करी है इसके अलावा कुछ कहना वाकई बेईमानी होगी....
अर्श
... बहुत ही प्रभावशाली, प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteवाह गौतम जी /बहुत पुरानी गजल की यादें दिलादी /वाकई पहले की रचनाओं से बढ़िया तो नहीं मगर उन जैसी /काफिया के पहले जो शब्द लाये हो जिन्हें आपने रदीफ़ कहा है उनका चयन बहुत सरल और सुंदर
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब है दोस्त देर से आने के लिए मुआफी .......खद्दर वाला शेर तो अल्टीमेटम है.....
ReplyDeletechhoti beher wali ghazalein to hamesha se hi pasand ki lagi hain mujhe...aur is ghazal mein to aap ne vazan ka bhi khayal kiya hain...main nahi kar pata hoon...puri ghazal lajawab...matla sabse avval laga...
ReplyDeleteघर में झुलसे लोग पड़े हैं
ReplyDeleteआँखें नम कर लेना साहिब
खद्दर देश सलामत रखे
तौबा तौबा करना साहिब
वाह-वाह
ReplyDeleteपूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब.
बहुत ही ख़ूब
.
वाह राजरिशी भाई
ReplyDeleteपूरी ग़ज़ल अच्छी लेकिन मां की अनुभूति अति सुन्दर
प्रिय गुरुभाई,
ReplyDeleteआपकी ये ग़ज़ल भी अच्छी लगी.
aha.....
ReplyDeleteone of the best ghazal in entire blog, and it's 'khaddar' one and 'ghar mein jhoole' are 'lethal sher'
ye zarror kahoonga gautam ji:
humko bhi shagird bana lo,
jayein kahan hum varna, sahib?
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mekhane main jeena seekha
ar saqui pe marna, sahib.
shri-nagar sa kshringaar na koi,
na kashmir sa, gehna, sahib.
abki baari aa na sakega,
mere ghar main kehna sahib.
........man karta hai likhte chale jaaon....
wah wah.....
par aur post bhi to hain....