26 March 2018

अजब हैंग-ओवर है सूरज पे आज...


गुज़र जाएगी शाम तकरार में
चलो ! चल के बैठो भी अब कार में

अरे ! फ़ब रही है ये साड़ी बहुत
खफ़ा आईने पर हो बेकार में

तुम्हें देखकर चाँद छुप क्या गया
फ़साना बनेगा कल अख़बार में

न परदा ही सरका, न खिड़की खुली
ठनी थी गली और दीवार में

अजब हैंग-ओवर है सूरज पे आज
ये बैठा था कल चाँदनी-बार में

दिनों बाद मिस-कॉल तेरा मिला
तो भीगा हूँ सावन की बौछार में

मिले चंद फोटो कपिल देव के
कि बचपन निकल आया सेलार में

खिली धूप में ज़ुल्फ़ खोले है तू
कि ज्यूँ मिक्स 'तोड़ी' हो 'मल्हार' में

भला-सा था 'गौतम', था शायर ज़हीन
कहे अंट-शंट अब वो अश'आर में


[ पाल ले इक रोग नादाँ के पन्नों से ]

11 comments:

  1. मस्त है ये अंटशंट भी गौतम जी !!!

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन आधुनिक काल की मीराबाई को नमन करती ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  3. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 28मार्च 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. क्या बार सरकार ...
    मज़ा आ गाय इस ग़ज़ल का ...

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  5. पढ़ा है पहले भी। दुबारा पढ़़कर भी उतना ही आनंद आया। शानदार

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  6. बहुत सुन्दर रचना

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  7. वाह!!बहुत खूब !!

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  8. प्रिय गौतम -- मन के उन्मुक्तअनुराग के रंग बिखेरती रचना बहुत खूब है | प्यारी सी रचना के लिए बधाई और शुभकामना |

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  9. लाजवाब अंट-संट...
    वाह!!!

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  10. आपकी ग़ज़लें पढ़कर मैं हैंग-ओवर हो जाता हूँ । बहुत ख़ूब है ये तो !!!

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  11. आपकी आधुनिक शब्दों की ग़ज़ल पढ़कर हमेशा आनंदित हो उठता हूँ, बहुत दुआएं सर !!💐👌

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