- रातों को जैसे खत्म ना होने की लत लग गयी है इन दिनों...बर्फ क्या पिघली, जाते-जाते कमबख़्त ने जैसे रातों को खींच कर तान दिया है | इतनी लम्बी रातें कि सुबह होने तक पूरी उम्र ही बीत-सी जाये !
- "रोमियो चार्ली फॉर टाइगर...ऑल ओके ! ओवर !" छोटे रेडियो सेट पर की ये धुन इन लम्बी रातों में गुलज़ार के नज़्मों और ग़ालिब के शेरों से भी ज़्यादा सूदिंग लगती है |
- बंकर के कोने में उदास पड़े सफेद लम्बे भारी भरकम स्नो-बूट्स के तस्मों से अभी भी चिपके हुये दो-एक बुरादे बर्फ के, फुसफुसाते हुये किस्सागोई करते सुने जा सकते हैं... उन सुकून भरी रातों की किस्सागोई, जब जेहाद के आसेबों को भी सर्दी लगती थी |
- "डेथ इज दी एक्ट ऑव क्रिएशन"...किसने कहा था ? चाँद से पूछा, मगर जवाब तारों ने दिया...होगा कोई बौखलाया जिहादी या कोई सरफ़िरा फौजी |
- और ये कमीना चाँद इतनी जल्दी-जल्दी क्यों अमावस की तरफ भागता है ? इन लम्बी रातों वाले मौसम तलक भूल नहीं सकता बदमाश अपनी फेज-शिफ्टिंग के आसमानी हुक्म को ?
- आसमान को किसी तरीके से री-बूट करने का उपाय गूगल के पास भी तो नहीं ! इक रोज़ जब लिखा उसके सर्च इंजन में तो मुआ कहता है "गॉड मस्ट बी क्रेजी" और साथ में क्वीन का वो फनी गेटअप वाला "आय वान्ट टू ब्रेक फ्री" गाना सुनवा दिया...ब्लडी इडियट !
- दूर उत्तरकाशी में अलकनंदा ब्रेक-फ्री होती है तो महादेव के वजूद पर ही सवालिया निशान खड़ा कर देती है और महादेव की अनुपस्थिति में चंद वर्दी वालों का डिवोशन देखकर बूढ़ा मार्क्स अपनी कब्र में बेचैन करवटें बदलता नज़र आता है |
- और डिवोशन अलग से अपनी नई परिभाषा गढ़ने लगती है...ड्यूटी की, फिलोस्फी की, फेसबुक स्टेटस की और दूरी की |
- उधर दूर...बहुत दूर, छुटकी तनया साढ़े पाँच महीने और बड़ी हो गयी है अपने पापा के बगैर ही और फोन पर कहती है "पीटर! इस बार आओगे तो हमारे लिए बर्फ लेते आना अपने ऑफिस से बहुत सारा" ...सुनकर दूर इन ऊँची चोटियों पर पीटर के बंकर में अचानक से बर्फ की बारिश होने लगती है जुलाई की भरी जवानी में भी |
- पीटर पार्कर एक तस्वीर सहेज लेता है अपनी मे डे पार्कर के लिए...बर्फ वाली तस्वीर !!!
- "रोमियो चार्ली फॉर टाइगर...ऑल ओके ! ओवर !" छोटे रेडियो सेट पर की ये धुन इन लम्बी रातों में गुलज़ार के नज़्मों और ग़ालिब के शेरों से भी ज़्यादा सूदिंग लगती है |
- बंकर के कोने में उदास पड़े सफेद लम्बे भारी भरकम स्नो-बूट्स के तस्मों से अभी भी चिपके हुये दो-एक बुरादे बर्फ के, फुसफुसाते हुये किस्सागोई करते सुने जा सकते हैं... उन सुकून भरी रातों की किस्सागोई, जब जेहाद के आसेबों को भी सर्दी लगती थी |
- "डेथ इज दी एक्ट ऑव क्रिएशन"...किसने कहा था ? चाँद से पूछा, मगर जवाब तारों ने दिया...होगा कोई बौखलाया जिहादी या कोई सरफ़िरा फौजी |
- और ये कमीना चाँद इतनी जल्दी-जल्दी क्यों अमावस की तरफ भागता है ? इन लम्बी रातों वाले मौसम तलक भूल नहीं सकता बदमाश अपनी फेज-शिफ्टिंग के आसमानी हुक्म को ?
- आसमान को किसी तरीके से री-बूट करने का उपाय गूगल के पास भी तो नहीं ! इक रोज़ जब लिखा उसके सर्च इंजन में तो मुआ कहता है "गॉड मस्ट बी क्रेजी" और साथ में क्वीन का वो फनी गेटअप वाला "आय वान्ट टू ब्रेक फ्री" गाना सुनवा दिया...ब्लडी इडियट !
- दूर उत्तरकाशी में अलकनंदा ब्रेक-फ्री होती है तो महादेव के वजूद पर ही सवालिया निशान खड़ा कर देती है और महादेव की अनुपस्थिति में चंद वर्दी वालों का डिवोशन देखकर बूढ़ा मार्क्स अपनी कब्र में बेचैन करवटें बदलता नज़र आता है |
- और डिवोशन अलग से अपनी नई परिभाषा गढ़ने लगती है...ड्यूटी की, फिलोस्फी की, फेसबुक स्टेटस की और दूरी की |
- उधर दूर...बहुत दूर, छुटकी तनया साढ़े पाँच महीने और बड़ी हो गयी है अपने पापा के बगैर ही और फोन पर कहती है "पीटर! इस बार आओगे तो हमारे लिए बर्फ लेते आना अपने ऑफिस से बहुत सारा" ...सुनकर दूर इन ऊँची चोटियों पर पीटर के बंकर में अचानक से बर्फ की बारिश होने लगती है जुलाई की भरी जवानी में भी |
- पीटर पार्कर एक तस्वीर सहेज लेता है अपनी मे डे पार्कर के लिए...बर्फ वाली तस्वीर !!!
to good & senti..
ReplyDeleteजय हो!
ReplyDeleteसब सलामत रहें।
शुभकामनायें।
god bless peter parker and mayday parker...........
ReplyDeletehave a happy web..
anu
शुभकामनायें।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर |
ReplyDelete"रोमियो चार्ली फॉर टाइगर...ऑल ओके ! ओवर !"
ReplyDeleteजब तक आप बिटिया के पास पहुँच नहीं जाते ... यही दुआ करता हूँ कि उस छोटे रेडियो सेट पर रात भर यही धुन बजती रहे और आप की लंबी रातें यूं ही सूदिंग बनी रहे !
आमीन !
वैसे बिना वर्दी के भी स्मार्ट लगते हो बड़के भईया ... ;)
प्रभावी चित्रण.. ऐसा कुछ पढ़ कर जिज्ञासा के साथ ओर सम्मान बढ़ता है आर्मी के लिए .....
ReplyDeleteऔर बर्फ की बारिश...
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय
ReplyDeleteमंत्रणा और यंत्रणा के बीच........बर्फ की बारिश।
ReplyDeletePeter Parker ki jai ho....
ReplyDeleteबरफ की बारिश ..... यह अभिव्यक्ति मैदान की है !
ReplyDeleteसोचती हूँ कि प्रेम कितना भी ब्रेक फ्री हो जाये, अपने प्रियतम के लिये कोमल ही हो जाता है। देखो ना सुना है किसी समय में काली इसी तरह सब कुछ तहस नहस करने पर उतर आई थीं, गुस्से में सब ओर विनाश विनाश का हाहाकार मचाती हुई, तब भी तुम्हारे महादेव को आना पड़ा था पैरों तले, तब कहीं जा कर थमे थे वो क़दम अपने प्रियतम की ओर कोमलता के भाव में
ReplyDeleteऔर इस बार उनके सर पर सवार उनकी प्रियतमा जब धरा से ले कर हिमालय तक सब लीलने पर उतरी तो जा कर रुकी तब, जब तुम्हारे महादेव की मूर्ति ही उनमे समाहित होने को आ गई.......
बहुत उम्दा ....................शुभकामनायें।
ReplyDeleteठहरी, ठण्डी, बहरी, लम्बी, अलसायी रातें...मन का सहना और बहना।
ReplyDeleteऔर कभी रात में हुई बर्फवारी से यह दरवाजा बंद हो जाए तो कैसे निकलेंगे ??
ReplyDeleteमहादेव भी नही झेल पाये अबकी गंगा के आवेग और आवेश को ..........
ReplyDeleteचांद का क्या है ह तो है ही सिरफिरा । विरही जनों के दुख में दुबलाता है और प्रेमियों को पूनम में सुख देता है ।
आपकी ये उदासी ............
sir.. hriday herd,frm 15. found ur link on col kadams g+ page...anfd I must say I am pleasantly surprised. Didnt knw,u write... its extremely expressive. I am now a newborn fan....
ReplyDeletewrite a little bit myself... :-) do let me knw wat u thnk wenever u hv d tym sir....
Delete