03 May 2013

चंद अनर्गल-सी कॉन्सपिरेसी थ्योरीज...

१.
देर तक फब्तियाँ कसता रहा था आईना
खूब देर तक...
बढ़ी हुई दाढ़ी जँचती नहीं अब
कि पक गए हैं बाल सारे

इस चिलबिलाती सर्दी में 
रोज़-रोज़ शेविंग की जोहमत...

हाय ! ये कॉन्सपिरेसी
उम्र और रेजर की

२.
खुल जानी थी सड़कें 
पिघल जानी थी बर्फ कुछ तो
अब तक

ताजे गोभी ताजे आलू 
आ जाने चाहिये थे
लंगर में 

कच्चे प्याज को सूंघे भी 
हो गए अब तो महीने

स्टोर में शेष पड़े 
टिंड राशनों की कहीं ये
कोई कॉन्सपिरेसी तो नहीं...?

३.
कि तब जब गेल के बरसाती छक्कों से
सराबोर हो रहा था बंगलोर
और होने ही वाली थी पूरी 
आई॰पी॰एल॰ की फास्टेस्ट सेंचुरी

गिरी थी बिजली बंकर की छत पर
टेलीफोन-लाइन और लैप-टॉप के साथ ही
फुंक गया था इकलौता जेनरेटर भी

सुलझे नहीं सुलझी है
ये अजब-सी कॉन्सपिरेसी

४.
फिर से बढ़ी कीमत इस बार भी 
बजट में

पुराने स्टॉक की आख़िरी डिब्बी
विल्स क्लासिक की 
देर से घूरे जा रही है 
टेबल पर रक्खी

केरो-हीटर से निकलता है
धुआँ कसैला-सा

एश-ट्रे ने बुनी है फिर से
नई कोई कॉन्सपिरेसी

५.
थमती नहीं है बर्फबारी

आठ जोड़े मोजे
और चार जोड़े इनर्स भी
कम पड़ गये हैं कैसे तो कैसे

सूखे नहीं गर कमबख़्त कल तक
रद्द करनी पड़ेगी
तयशुदा वो गश्त फिर से

मौसम और कपड़ों के साथ मिलकर
ये अनूठी कॉन्सपिरेसी
दुश्मनों ने ही रची क्या  

17 comments:

  1. सच में बहुत नाइन्साफी है..

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  2. सरहदों पर सैनिक की व्यथा , यह अनर्गल कहाँ है !!

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  3. सारे दृश्य चलायमान हो चले हैं, वैसे टिंडे तो यहाँ पर भी अच्छे नहीं आ रहे हैं ।

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  4. और इतनी सारी साजिशों में घिरा एक मासूम सा इंसान........
    :-)
    अनु

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(4-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  6. कॉन्सपिरेसी...एक के बाद एक चलती....निरंतर

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  7. जय हो गौतम भाई ... खूब आए ... :)
    "तुम आ गए हो नूर आ गया है..."

    ऐसे ही आ जाया करो भले ही यह दुश्मन साले कितनी भी कॉन्सपिरेसी पर कॉन्सपिरेसी करता रहे !

    ख्याल रखिए ... अपना और बाकी साथियों का भी और हाँ वो तयशुदा गश्त रद्द न कीजिएगा आज कल वैसे भी साले वो डेढ़फूटीए खून पिये हुये है !

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  8. ऐसा षड्यन्‍त्र ऐसी यन्‍त्रणा..........आप में ही है सामर्थ्‍य इसे झेलने का। यह सब झेलने के लिए आपके सशक्तिकरण की प्रार्थनाओं के साथ।

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  9. आज की ब्लॉग बुलेटिन तुम मानो न मानो ... सरबजीत शहीद हुआ है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  10. भरा हुआ है संसार कान्स्पिरेसीज से ...ये ऊपर वाले की कोई कान्स्पिरेसी तो नहीं

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  11. बढ़ी हुई दाढ़ी.... टिंड राशन... बंकर पर गिरी बिजली.....विल्स क्लासिक की आखिरी डिब्बी.... बर्फबारी..... इन सब के साथ कॉंस्पिरेसी और फिर इन सब के साथ तुम.... खुदा खैर करे....!!!!

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  12. लाजवाब रचनाए ...सही ही है कभी कभी न्यूनतम संभावित पर कॉन्सपिरेसी का शक कर जीवन की असल कॉन्सपिरेसीज पर जीवट हो मुस्कुराना।

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  13. कांस्पिरेसी की तहकीकात बहुत सघन रूप से की है गौतम जी. व्यंग पुट लिये सुंदर एवं अर्थपूर्ण क्षणिकाएं.

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  14. Maine shudhdh bakwaas pe tik mark kiya hai..... :)

    ye pin mark badhiya hai.

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  15. कॉन्सपिरेसी ...
    aapne bhi ye shabd nayaa nayaa padhaa hai ..

    meri tarah

    :)

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  16. पहली कान्सपिरेसी पर अपने वासिफ़ साहब का ये शेर याद आ गया:

    साफ़ आईनों में चेहरे भी नजर आते हैं साफ़,
    धुंधला चेहरा हो तो धुंधला आईना भी चाहिये।

    वासिफ़ शाहजहांपुरी।

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