"सुनो पीटर, हमारी मुहब्बत सलामत तो रहेगी ना ? उन्होंने ही तो संभाले रखा था अब तक, जब भी बिखरने को हुई ये !" परसों रात सुबकते हुये मेरी जेन ने पूछा था...
लगभग सत्तावन साल पहले एक नये 'यूनिवर्स' का अस्तित्व जब सामने आया था तो पूरी धरती पर हर्ष और हैरत से भरे कोलाहल का शोर जाने कितने ही उल्कापिंडों के अकस्मात् टूटने का कारण बना । शोर थमा तो इस नये 'यूनिवर्स' के सृजनकर्ता को दुनिया ने सीने से लगा लिया । उम्र के उन्चालीसवें पायदान पर खड़े स्टैन ली ने शायद उस वक़्त सोचा भी न होगा कि मार्वल कॉमिक्स में जिन किरदारों को वो बुन रहे हैं, ये सब मिलकर एक दिन एक ऐसे पैरेलल यूनिवर्स को खड़ा कर देंगे कि हम जैसे दीवाने पीढ़ी दर पीढ़ी पूरी तरह सम्मोहित हो वहीं बस जाने की सोचा करेंगे ।
नहीं, ऐसा तो नहीं था कि स्टैन ली द्वारा इस मार्वल यूनिवर्स के सृजन से पहले ऐसे किसी और यूनिवर्स का वजूद नहीं था । जव वो सत्रह साल के थे तो डीसी यूनिवर्स अपना जलवा कायम कर रहा था । मेट्रोपॉलिस के सुपरमैन और गॉथम के बैटमैन का जादू सर चढ़ कर बोल रहा था । लेकिन डीसी यूनिवर्स के शहर काल्पनिक थे और इसके सुपरहीरोज़ या तो बहुत ज़्यादा 'आइडियलिस्टिक' थे या फिर कुछ ज़्यादा ही 'ट्विस्टेड' । मेट्रोपॉलिस जहाँ एक 'मॉडल' शहर था, वहीं गॉथम एकदम 'डार्क' । सुपरमैन, बैटमैन, फ्लैश वगैरह की शक्तियाँ असीमित थीं । वे सब के सब 'लार्जर दैन लाइफ' की परिकल्पना के द्योतक थे ।
स्टैन ली ने अपने मार्वल यूनिवर्स की बुनियाद न्यूयॉर्क जैसे चिर-परिचित शहर में रखी, उसकी तमाम अच्छाइयों और बुराइयों के साथ । उनके सुपरहीरोज़ हमसब के अपने पड़़ोसियों जैसे देखे-से, भाले-से हैं । स्पाइडरमैन जैसे हीरो के पास अक्सर पेप्सी पीने तक के पैसे नहीं होते...शहर का सबसे ज़्यादा बिकने वाला अख़बार उसे ट्रौल करता है...अपनी तमाम शक्तियों के बावजूद वो अपनी प्रेमिका को ख़ुश नहीं रख पाता । स्टैन ली के यूनिवर्स वाले सुपरहीरोज़ अपनी तमाम ख़ूबियों के साथ उतने ही 'वल्नरेबल' दिखते हैं और यही बात स्टैन ली को इस विधा में सबसे दमकते सिंहासन पर बिठाती है । उनका जाना यक़ीनन एक अनूठे और हैरान करने वाले क़िस्सागो का जाना है ।
विगत सोलह सालों से लगातार मार्वल यूनिवर्स की चार कॉमिक्स को सब्सक्राइब करता आ रहा मेरा 'मैं' आज पहली बार अपने सब्सक्रिप्शन को बंद करने की सोच रहा है । कहाँ बिखेर पायेगा ये महबूब यूनिवर्स मेरा अब वैसा ही जादू अपने जादूगर के बिना !
...और अपने आँसू पोछते हुये पीटर पार्कर ने सुबकती मेरी जेन को बाँहों में भर कर कहा "विद ग्रेट पावर, कम्स ग्रेटर रिस्पॉन्सिबिलिटी । उनकी रूह हमारी मुहब्बत के साथ है, मेरी ।"
[ जाइये स्टैन ली सर कि इन दिनों उस परमपिता परमेश्वर को भी चंद सुपरहीरोज़ चाहिये स्वर्ग में ! सलाम !! ]
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 15/11/2018 की बुलेटिन, " इंक्रेडिबल इंडिया के इंक्रेडिबल इंडियंस - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteपोस्ट का शीर्षक ही बहुत कुछ कह गया ... स्टैन ली साहब को सादर नमन |
ReplyDeleteसुपर हीरो को विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteRead Actress wiki
ReplyDeleteVery nice, thanks for sharing.
ReplyDeleteWhat is migration certificate
pusulabet
ReplyDeletesex hattı
hipodrombet
rulet siteleri
rexbet
YVNA6