tag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post8855579822771297464..comments2024-03-10T12:25:40.638+05:30Comments on पाल ले इक रोग नादां...: रूल्स आफ इंगेजमेन्टगौतम राजऋषिhttp://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comBlogger73125tag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-32827414466754282052010-08-27T16:45:09.260+05:302010-08-27T16:45:09.260+05:30kadava sach, man kivyathit kar gayakadava sach, man kivyathit kar gayavikram7https://www.blogger.com/profile/06934659997126288946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-87475152915982487032010-08-26T20:04:44.748+05:302010-08-26T20:04:44.748+05:30देश में आप न हो तो साँस लेना दूभर है, और हक़ीकत का ...देश में आप न हो तो साँस लेना दूभर है, और हक़ीकत का पता तो उसे ही चलता है जो हक़ीकत का सामना करता है। आप जैसे भावुक और सत्यनिष्ठ सैनिक का विचलित होना ज़रूरी भी है, जब आप रक्षा में जुटे होते हैं तो तोहमतें लग्ती हैं लेकिन आप तो हकीकत जानते हैं न हम भी बखूबी जानते हैं कि आपने देश की रक्षा के साथ अपने लेखन से स्नेह की खुश्बू भी बाँची है। परम सत्ता हो है न!Prakash Badalhttps://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-82192750676986477922010-08-26T11:27:05.202+05:302010-08-26T11:27:05.202+05:30गौतम भैया, एक बात तो तय है. जब वादी में गश्त करते ...गौतम भैया, एक बात तो तय है. जब वादी में गश्त करते हुए आप या आप जैसा कोई रक्षक कोई खबर रिपोर्ट देता है तो इसको नज़रअंदाज करना कदापि जनहित में नहीं कहलायेगा.<br />ये भरोसा और विश्वास ही है की सुनने समझने वालों की भीड़ बढ़ रही है, भले ही "बहुत पहुँच रखने वाला मीडिया" आज सिर्फ व्यासायिक खेल खेल रहा हो.<br /><br />पता नहीं हिन्दुस्तान ने कश्मीर के मुद्दे को कहाँ पहुंचा दिया है. विपरीत परिस्थितियों में लड़ते हुए सत्यता को करीब से देखना समझना और समझाना इतना आसान नहीं होता. आप एक अतिरिक्त जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं, और हम फक्र करते हैं.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-41193849619038632472010-08-25T17:20:24.261+05:302010-08-25T17:20:24.261+05:30दरवाजे पर आ कर मांगने वाले को निराश नहीं करते मेजर...दरवाजे पर आ कर मांगने वाले को निराश नहीं करते मेजर ! कम से कम आधा माल ईमानदारी के साथ दान कर दो रक्षाबंधन पर.. मुझे विश्वास है परिवार से मुझे बड़ी दुआएं मिलेंगी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-21541206174279267492010-08-25T13:20:25.792+05:302010-08-25T13:20:25.792+05:30From: "प्रकाश सिंह "अर्श""
To...From: "प्रकाश सिंह "अर्श"" <br />To: gautam rajrishi <br />Sent: Sun, 8 August, 2010 4:20:22 PM<br />Subject: Arsh<br /><br />ठगा सा महसूस कर रहा हूँ ,जबकि आप वहाँ पर इन सभी परिस्थिओं से गुजर रहे हो ,ये सभी अलगाव वादी ताकतों ने करिश्मा कर रखा है .... बात कहने को तो इस विषय पर बहुत मगर जीतनी बात कही जायेगी ... तूल देने वाली होगी ... मीडिया की पारदर्शिता पर अब वाकई सवाल उठ रहे है क्युनके वो अब बाज़ार वाद में कदम रख चुके हैं , कितनी बातें सही हैं उससे कोई मतलब नहीं है बस बात ये है के उसे ज्यादा नोटिस की जानी चाहिए उसके अन्य प्रतिस्पर्धियों से ..... कोई शक ही नहीं है ... बस ये कहूँगा के दर्द तो बस सहने वाला ही जनता है कि दर्द है क्या बला .... सच कहूँ तो सब राजनीति है जिसे अब लोग भी पसंद करने लगे हैं ... मसालेदार खबरें ना हो तो अब कोई अखबार भी ना ले ...जो अपने घर वालों से दूर सभी कि रक्षा के लिए है पत्थर खा रहा है और गालियाँ भी वो भी उन लोगों से जिनकी हिफाज़त में वो दिन रात है ,.. कोई जाकर उनकी हालात देखे तो पता चलेगा के कैसे कैसे दर्द इन्हें सहने होते हैं ,... फिर से कह रहा हूँ ठगा सा महसूस कर रहा हूँ फिर से एक बार ... <br /><br /><br />अर्शAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-48856102861302390002010-08-25T12:56:40.597+05:302010-08-25T12:56:40.597+05:30Salute to Indian Army and paramilitary forces post...Salute to Indian Army and paramilitary forces posted in kashmir. Jai Hind. Take care Gautam.Lalitnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-91057292123250966652010-08-17T16:53:12.028+05:302010-08-17T16:53:12.028+05:30I can trust you & your trust Major ...
but be...I can trust you & your trust Major ... <br />but believe me ,this is not a plight of Kashmir only ..this is a plight of the nation ... <br /><br />After broadcasting of Gujraat Earthquake in 2000-01 someone at some place said that "Indian Media " is in its toddler state " !!.. sala ye toddler state kab tak chalegi 10 saal ho chuke .. TRP aur market demans k naam pe MEdia kab tak kuch bhi parosati jaayegi ... <br /><br />I wish desh ki janta ko kewal market,consumer,customer na samjh kar ,citizen samjha jaayega aur sach kabhi to bahar aayega ...<br /><br />Dattee raho Major .. hum kewal hausala afjaayi kar saktey hain is AC room mein baithkar ... <br />Jai Hind ..दर्शनhttps://www.blogger.com/profile/10062999962877720229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-29227565899143740932010-08-17T11:36:44.962+05:302010-08-17T11:36:44.962+05:30jindagi ke asli kirdar yahi jawaan hai..koi kya ke...jindagi ke asli kirdar yahi jawaan hai..koi kya kehta hai..kya nahi..<br />kab tak hisab rakha jaye...aur media ko lekar kya behas ki jaye..bas un jwanon ki jindadili ko salaam hai!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-59202478919686122762010-08-15T11:33:04.859+05:302010-08-15T11:33:04.859+05:30मेजर साब, यक़ीनन आपने वो भरोसा हासिल किया है.. न स...मेजर साब, यक़ीनन आपने वो भरोसा हासिल किया है.. न सिर्फ़ अपने लिए बल्कि उन तमाम जवानों के लिए जिनकी तक़लीफ़े अक़्सर सामने आ ही नहीं पाती.. सचमुच, मैं मीडिया में हूं.. लेकिन मैंने किसी चैनल पर इस नज़रिए से कोई रिपोर्ट चलती नहीं देखी..<br />शायद जवानों को याद करने के लिए हमने महज़ कुछ तारीखें ही तय कर रखी हैं, जिस दिन अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजली अर्पित कर हम एक फार्मेलिटी पूरी कर देते हैं.... कड़वा है लेकिन सच है..Meenakshi Kandwalhttps://www.blogger.com/profile/03328636440950300322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-23493456674851224392010-08-15T09:05:45.104+05:302010-08-15T09:05:45.104+05:30aamin....aamin....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-16161096434281515012010-08-13T18:55:19.135+05:302010-08-13T18:55:19.135+05:30एक झकझोर देने वाली कडवी सच्चाई को उजागर किया है ...एक झकझोर देने वाली कडवी सच्चाई को उजागर किया है आपने.अवनीश उनियाल 'शाकिर'https://www.blogger.com/profile/01194217008950940165noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-72884750977292953952010-08-13T18:53:56.371+05:302010-08-13T18:53:56.371+05:30एक झकझोर देने वाली कडवी सच्चाई को उजागर किया है ...एक झकझोर देने वाली कडवी सच्चाई को उजागर किया है आपने.अवनीश उनियाल 'शाकिर'https://www.blogger.com/profile/01194217008950940165noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-43140592167482025692010-08-13T16:42:29.577+05:302010-08-13T16:42:29.577+05:30गौतम,यह सब देखकर मुझे केवल आप जैसे लोगों का ध्यान ...गौतम,यह सब देखकर मुझे केवल आप जैसे लोगों का ध्यान आता है क्योंकि आप लोगों को हाथ बाँध कर एक ऐसी लडाई लडने को कहा जा रहा है जिसका न तो कोई अन्त है, न ही कोई अन्त चाहता है। शत्रु देश से लडना इसकी तुलना में बहुत सरल होता होगा। हम तो केवल आप व अन्य सुरक्षा कर्मियों के लिए प्रार्थना ही कर सकते हैं।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-30422298904995116832010-08-13T08:21:36.903+05:302010-08-13T08:21:36.903+05:30मेजर साहब,
आपके ब्लोग में पहली बार आया हूँ, इतना त...मेजर साहब,<br />आपके ब्लोग में पहली बार आया हूँ, इतना तय है कि आगे भी आता रहूँगा।<br /><br />अमेरिकी फुटबाल में दो टीम आपस में भीड़ती है, लेकिन टीम की परफोर्मेंस और उसकी हार-जीत मैदान में एक दूसरे के सिर से सिर टकराने वाले खिलाड़ियों के प्रदर्शन में कम निर्भर करती है। खेल का असली पासा चलता है मैदान से बाहर बैठा कोच। यहाँ फर्क इतना है कि फुटबाल है काश्मीर, एक तरफ है पुलिस और फौजी, दूसरी तरफ है बहलाये फुसलाये गये बुद्धिहीन लोग। एक टीम के कोच हैं वोटों के लालची नेता और दूसरी टीम के कोच हैं कुछ धार्मिक उन्मादी और दोगले नेता। और हम, हम हैं कुर्सियों पर चिपकी खेल प्रेमी जनता जो कभी अपनी टीम की जीत पर तालियाँ बजाने लगती है तो कभी हार पर झुँझलाने और तिलमिलाने। <br /><br />किसी भी खेल को जितने का सिर्फ एक ही नुकसा है - औफेंस इज द बेस्ट डिफेंस, कोई भी मैच उठा के देख लें चाहे वो मैदान में खेला जा रहा हो या गया हो या फिर सीमाओं के आर-पार, जीत हमेशा उसी की हुई है जो औफेंस इज द बेस्ट डिफेंस के फार्मुले के साथ खेलने उतरी हो।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-10818020369459645532010-08-11T11:32:25.855+05:302010-08-11T11:32:25.855+05:30आह!
मेजर साहब आपकी इस पोस्ट का एक एक शब्द अंतर्मन...आह!<br /><br />मेजर साहब आपकी इस पोस्ट का एक एक शब्द अंतर्मन को बींधता चला गया - जहाँ तक भरोसे की बात है - ब्लॉग के माध्यम से जितना आपको जान पाया हूँ उसके आधार अपने आप से ज्यादा विश्वास है आप पर - जय हिंदAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-7771275644934024942010-08-11T08:43:54.305+05:302010-08-11T08:43:54.305+05:30मेजर साहेब,
फरवरी में मिलने के बाद आज आपसे कुछ बा...मेजर साहेब,<br /><br />फरवरी में मिलने के बाद आज आपसे कुछ बात कर रहा हूँ। <br /><br />पूरे आलेख में जिस संजीदगी से बात को उठाया है वो सोचने पर मजबूर ही नही करती बल्कि हमें झकझोर के रख देती है कि क्या जो हम कर रहे हैं वही सही है? जैसे कर रहे हैं वो सही है? या जो हो रहा है उसे नियति मान लेना चाहिये?<br /><br />मासूम संवेदनाओं से भरी पोस्ट......<br /><br />जय हिन्द !!!<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-55157691259568563792010-08-10T22:26:06.834+05:302010-08-10T22:26:06.834+05:30गौतम जी, कितनी ही बार आपके ब्लॉग पर आई पर कुछ कहने...गौतम जी, कितनी ही बार आपके ब्लॉग पर आई पर कुछ कहने का साहस न जुटा सकी.आप व्यथित हैं तो आप से पहले हम व्यथित होते है क्योंकि हम लोग तो आप के सहारे ही हैं.रही बात मिडिया की तो वो तो आजकल भगवन से भी ज्यादा ताकतवर हो गया है. मिनटों में राजा को रंक और रंक को राजा बनाने का फार्मूला है उनके पास. मैं खुद इस मिडिया की भुक्त भोगी हूँ. ये कहाँ तक जा सकते हैं शायद ये खुद ही नहीं जानते<br />सारे जवानो को सलाम <br />जय हिंदरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-26846900185365948472010-08-10T17:51:15.942+05:302010-08-10T17:51:15.942+05:30क्या कहूँ...आक्रोश आँखों से फूट पड़ता है...पर यह स...क्या कहूँ...आक्रोश आँखों से फूट पड़ता है...पर यह समाधान न देगा...<br />गलत नहीं कहा गया है कि ' चिल्ला चिल्ला कर सौ बार एक झूठ को बोला जाय तो वह सच बन जाता है' ....हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से कि सत्य की विजय एक न एक दिन होगी,काम नहीं चलेगा...दुसप्रचार का उत्तर प्रचार से देना होगा...गलत नहीं पर सत्य को प्रचारित करना होगा....<br />आज स्थिति नहीं कि एक आम आदमी अपनी आँखों जाकर वहां का सत्य देख आये..कश्मीर से बाहर सबके लिए वहां का सच जानने का माध्यम यही सब है..आज समाचार माध्यमों से हम तनिक भी उम्मीद नहीं लगा सकते कि वह इस और डग भरेगा...तो ऐसे में अन्य सभी माध्यमों को अपनी पूरी ताकत झोंकनी ही होगी...<br />शायद अभी आपकी यह नौकरी आपको यह इजाजत नही देगी, पर प्लीज इसके लिए माहौल बनाइये,सबको मानिए....केवल हाथों की बंदूकें सबकुछ नहीं रोक पाएंगी...माहौल बदलने के लिए भी प्रयासरत होना पड़ेगा...स्थिति ऐसी बनानी पड़ेगी कि संलिप्त मुट्ठी भर लोग अलग से पहचान में आ जाएँ..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-21098573012087370992010-08-10T15:44:56.864+05:302010-08-10T15:44:56.864+05:30मेजर साहब!
सबसे पहले अमीन.
फिर सैल्यूट ..
एक सरफ़िर...मेजर साहब!<br />सबसे पहले अमीन.<br />फिर सैल्यूट ..<br />एक सरफ़िरा नौजवान एक वर्दीवाले के पास आकर उसके युनिफार्म का कालर पकड़ उसके चेहरे पर चिल्ला कर कहता है बकायदा अँग्रेजी झाड़ते हुये "you bloody indian dog go back" और बदले में वो वर्दीवाला मुस्कुराता है और सरफ़िरे नौजवान को भींच कर गले से लगा लेता...<br />एक और कड़क सैल्यूट!<br /><br />बाकी मैं भी अपूर्व साहब की बात दोहराता हूँ...<br /><br />you can't remain ordinary!!..and that is the most difficult part. Dear major saa'b your wisdom and your faith in human values..seems the only feeble ray of hope for people who've been betrayed and misled by dirty politicians....and for us, for the nation!!!<br />..we have one more reason to salute you..sir!!<br /><br />सोचा था आपसे शीर्षक का कारण पूछूँगा...पर नीचे लिख दिया है आपने खुद ही. फिल्म देखी है मैंने भी.<br /><br />आप जैसे कुछ खड़गधारी हैं तो यहाँ यज्ञ हो रहे हैं..दूर से कीचड़ उछालना आसान है, वहां रह के जो ताप आपलोग करते हैं वो कठिन.<br /><br />फिर से सिर्फ, सैल्यूट!Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-28117293589164159142010-08-10T10:42:52.762+05:302010-08-10T10:42:52.762+05:30एक सच्चे सिपाही के दिल से उठता दर्द चीख चीख कर कह ...एक सच्चे सिपाही के दिल से उठता दर्द चीख चीख कर कह रह्गा है कि हमारे रक्षक कितने हताश होते हैं जब उनके काम उनकी परेशानी उनकी कुर्बानी को नज़र अंदाज़ किया जाता है। शायद ेक सिपाही का दर्द वही जानता है जब उसके पास दर्द की दवा होते हुये भी उसे खाने की मनाही हो। फिर भी वो उफ तक नही करता। सभी फौजी भाईयों बेटों को मेरा नमन आशीर्वाद है । अगर आज हम सुख की नीन्द सोते हैं तो केवल उनकी बदौलत। भगवान आपको सब दुख परेशानियाँ सहने की हिम्मत बख्शे। और अपना ये शेर याद करिये<br />तपिश में धूप की बरसों पिघलते हैं ये पर्वत जब<br />जरा फिर लुत्फ़ नदियों का ये तब मैदान लेते हैं<br />इसी तरह ैन फौजियों के तपने से ही तो जनता सुख की साँस लेती है। आपने ही तो ये भी कहा था<br />हमारे हौसलों को ठीक से जब जान लेते हैं<br />अलग ही रास्ते फिर आँधी औ’तूफ़ान लेते हैं<br /> फिर ऐसी निराशा क्यों? लेकिन कभी कभी होता है जब मन खिन्न होता है तो सब से मन बाँटने की चाहत होती है।ाउर अन्त मे मेरी दो पँक्तियाँ आप सब फौजियों के लिये<br /><br />चले बंदूक ले कर हाथ मे बेखौफ वो ऐसे<br />फिज़ा मे खौफ की फैली सदाओं को मिटाये कौन <br /><br /><br />जला तू आग सीने मे बने अँगार जज़्वा यूँ<br />सिवा तेरे बता तू देश तेरा अब बचाये कौन<br />बहुत बहुत आशीर्वाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-32937518654517914212010-08-10T08:06:08.058+05:302010-08-10T08:06:08.058+05:30बेहद मार्मिक घटनाएँ बताएँ आपने , विडम्बना यह है कि...<strong>बेहद मार्मिक घटनाएँ बताएँ आपने , विडम्बना यह है कि हमारे जवान उनके साथ क्या घटता है उसे बता भी नहीं पाते , निस्संदेह इससे उनके हौसलों पर बुरा असर पड़ता है ! <br />मीडिया को ऐसी ख़बरें चाहिए जिसे लोग और भीड़ पढ़े तभी उनको फायदा है ! शायद ही यह ख़बरें आज तक कहीं प्रकाशित हुई होंगी ! और हों भी जाएँ तो इससे आम पब्लिक को कोई फर्क नहीं पड़ता ...शायद ही किसी वर्दी धरी के प्रति कोई संवेदना व्यक्त करे !<br /><br />आपका यह लेख, सत्य को बताने का एक बहुत हिम्मती और ईमानदार प्रयत्न है ....काश इसको और लोग भी आगे बढायें ! <br /><br />हार्दिक शुभकामनायें !</strong>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-83132523451893346772010-08-10T07:25:10.801+05:302010-08-10T07:25:10.801+05:30सबको अपना मतलब साधना है... भले ही किसी की लाश के ऊ...सबको अपना मतलब साधना है... भले ही किसी की लाश के ऊपर से जाना पड़े. बाकी किसी को क्या पड़ी है. सबके अपने स्वार्थ हैं ऐसे लोगों के बीच किया ही क्या जा सकता है ! <br />और मैं तो फिर वही कहूँगा आपको सलाम करने के अलावा हम भी कुछ ज्यादा नहीं कर सकते...Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-55868556870537061272010-08-10T05:46:37.169+05:302010-08-10T05:46:37.169+05:30एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ...एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !<br /><a href="http://blog4varta.blogspot.com/2010/08/4_10.html" rel="nofollow">आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !</a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-18560096856705474962010-08-10T04:41:13.806+05:302010-08-10T04:41:13.806+05:30कुछः कहते नहीं बन रहा अपने देश के दुर्भाग्य पर दुः...कुछः कहते नहीं बन रहा अपने देश के दुर्भाग्य पर दुःख होता है देश की सुरक्षा के अलावा लोगों तक सच्चाई पहुंचाने का जो काम आपकी पोस्ट ने किया है वो मिडिया नहीं कर सकती ....इन सच्चाइयों के तराजू में तोले बिना अब कश्मीर के सिलसिले में खबरें ना देख सकुंगी और ना पढ़ ...neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-86744419173834419292010-08-10T00:50:48.273+05:302010-08-10T00:50:48.273+05:30आपसब का भरोसा सर-आँखों पर। शुक्रिया लिख कर इस भरोस...आपसब का भरोसा सर-आँखों पर। शुक्रिया लिख कर इस भरोसे की तौहीन नहीं करूँगा।<br /><br />पोस्ट का शिर्षक "रूल्स आफ इंगेजमेंट" कुछ सोच कर रखा गया है। दोतरफा सोच...एक तो ये कि दुनिया के तमाम सुरक्षाबलों के लिये कुछ लिखित कानून-कायदे होते हैं दुश्मन पर वार करने के लिये, दुश्मन को इंगेज करने के लिये...जिसे हम अपने लिंगो में प्रायः आर०ओ०ई० या रूल्स आफ इंगेजमेंट कहकर काम चलाते हैं और ऐसे हर तनाव के क्षणों में हर सुरक्षाकर्मी इस आर०ओ०ई० को विवश देखता है लेकिन संविधान के सम्मान में अक्षरशः उसका पालन करता है। गलतियाँ होती हैं शर्तिया, जैसा कि डा० अनुराग ने कहा कि वो वर्दी वाला भी तो इंसानी भावनाओं से जुड़ा है। <br /><br />...और दूसरा मंतव्य इस शीर्षक का ये था कि इसी नाम से सन 2000 में हालिवुड में बहुत ही बेमिसाल फिल्म बनी थी, जिसमें सैम्युल जैक्सन और टामी ली जोन्स का बड़ा ही सशक्त परफार्मेंस था। कहानी कुछ इन्हीं तनाव के क्षणों पर बनी थी और एक सच्ची घटना पर आधारित थी...जिसमें अमेरिकी सेना के एक कर्नल पर 83 निर्दोष पुरूष महिलाओं और बच्चों को मार गिराने का आरोप था। हकीकतन जब कर्नल ने जब अपनी टीम को इस तथा-कथित निर्दोष भीड़ पर फायर खोलने का आदेश दिया था तो पूरी भीड़ जिसमें छोटे-छोटे बच्चे तक शामिल थे पत्थर फेंकने की आड में कर्नल की टीम पर एके-47 से फायर भी कर रहे थे। कर्नल की खुद अपनी सरकार उसपर अभियोग लगाती है और बाद में उसपर मुकदमा चलता है....<br /><br />पढ़ने वालों को अगर मौका मिले तो जरूर इस फिल्म को देखिये। वैसे वीकीपिडिया के इस लिंक पर जाकर इस फिल्म के बारे में जानकारी ली जा सकती है:-<br />http://en.wikipedia.org/wiki/Rules_of_Engagement_(film)<br /><br />...और हाँ, कश्मीर पर अपना विश्वास यूँ ही कायम रखें। जम्मू-कश्मीर की पूलिस और यहाँ सीआरपीएफ अपना काम बड़ी ईमानदारी और कुशलता से कर रही हैं। उनको मेरा सलाम...!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.com