tag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post5360271919664307064..comments2024-03-10T12:25:40.638+05:30Comments on पाल ले इक रोग नादां...: कातिलों का सरगना तो हाय मेरा यार है...गौतम राजऋषिhttp://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comBlogger49125tag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-18771766653567837422009-05-31T19:15:16.375+05:302009-05-31T19:15:16.375+05:30सुलगती ख्वाहिशों की धूनी चल जलाएँ कहीं और
कुरेदना ...सुलगती ख्वाहिशों की धूनी चल जलाएँ कहीं और<br />कुरेदना यहाँ पे क्या , ये दिल तो ज़ार ज़ार है ..<br /><br />वाह क्या खूब कहा ...... मुबारकsirf harishhttp://apnesapne.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-49414354366673294012009-05-31T09:54:26.445+05:302009-05-31T09:54:26.445+05:30क्या मेरी ई मेल आई डी नहीं मिली?क्या मेरी ई मेल आई डी नहीं मिली?sanjiv gautamhttp://www.sanjivgautam.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-44513498519604627812009-05-31T09:34:35.517+05:302009-05-31T09:34:35.517+05:30sach much bahut hi badhiya...
har ek pankti rasmay...sach much bahut hi badhiya...<br />har ek pankti rasmay hai..SAHITYIKAhttps://www.blogger.com/profile/04679315164213973593noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-18533879790237740122009-05-31T01:05:19.565+05:302009-05-31T01:05:19.565+05:30बहुत सुंदर गज़ल। कश्मीर की वादियों में रहना रंग लाय...बहुत सुंदर गज़ल। कश्मीर की वादियों में रहना रंग लाया है। रोमैंटिक गज़ल कम सुनी है तुमसे।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-22106840556796814242009-05-30T03:31:27.912+05:302009-05-30T03:31:27.912+05:30अच्छा रोग पाल रक्खा है आपने......ग़ज़लें वाकई बेहत...अच्छा रोग पाल रक्खा है आपने......ग़ज़लें वाकई बेहतरीन हैं.....एक फौजी और उस पर कवि, अद्भुत संगम है....<br /><br />साभार<br /><A HREF="http://woyaadein.blogspot.com/" REL="nofollow">हमसफ़र यादों का.......</A>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-81937281122119429102009-05-29T08:17:15.608+05:302009-05-29T08:17:15.608+05:30my e-mail id is
sunil11b@yahoo.co.in
yahoo mess. ...my e-mail id is <br />sunil11b@yahoo.co.in<br />yahoo mess. par add karen. ummeed hai jaldi hi baaten hongi.sanjiv gautamhttp://www.sanjivgautam.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-15494879244393261202009-05-28T23:04:38.775+05:302009-05-28T23:04:38.775+05:30तेरे वो तीरे-नीमकश में बात कुछ रही न अब
खलिश तो दे...तेरे वो तीरे-नीमकश में बात कुछ रही न अब<br />खलिश तो दे है तीर, जो जिगर के आर-पार है<br /><br />मज़ा आ गया भाई...दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-45018926985963736092009-05-27T19:21:56.748+05:302009-05-27T19:21:56.748+05:30गौतम भाई आदाब
अभी अभी ताऊ रामपुरिया पर साक्षात्का...गौतम भाई आदाब <br />अभी अभी ताऊ रामपुरिया पर साक्षात्कार भी पढा वहां भी टिप्पणी दी है. गज़ल बहुत अच्छी कही है लगता ही नहीं कि शहर्यार जी की जमीन पर कही है. बहुत खूब. वाह-वाह-वाह-वाह......<br />ये जानकर खुशी हुई कि आप पत्रिकाओं से भी जुडे हैं. क्या आपका कोई संकलन भी प्रकाशित हुआ है? मैं आगरा से हूं और अभी आगरा में ही पोस्टेड हूं कभी आगरा आयें तो दर्शन दें. क्या आपको जानकारी है कि पूज्य दुष्यंत जी के छोटे पुत्र श्री अपूर्व त्यागी सेना में हैं और आगरा में ही तैनात हैं? उम्मीद है मित्रों में शुमार करेंगे.....<br /> संजीवsanjiv gautamhttp://www.sanjivgautam.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-48954124852947912682009-05-25T20:32:37.285+05:302009-05-25T20:32:37.285+05:30खबर मिली है जब से ये की उनको हमसे प्यार है
नशे मे ...खबर मिली है जब से ये की उनको हमसे प्यार है<br />नशे मे तब से चाँद है , सितारों मे खुमार है <br /><br />और <br /><br />बनावटी ये तितलियाँ ये रंगों की निशानियाँ <br />ना भाए अब मिज़ाज को की उम्र का उतार है <br />गौतमजी किस किस शेर की तारीफ़ करूँ<br />यहाँ तो सभी एक से बढ़कर एक हैं <br />इतना अच्छा लिखने वाला शायर मेरे ब्लॉग पर आए <br />और कॉमेंट करे इससे बढ़कर मेरे लिए और <br />क्या तारीफ़ हो सकती है .....<br />अभी मैने आपकी 'क़ातिलों का सरगना तो <br />मेरा यार है ' ही पढ़ी है , समय मिलते ही <br />और भी पढ़ूंगी ....बस एक शब्द और .....<br />शुक्रिया .....सभी बातों के लिए .....renuhttp://pukhraaj.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-75157080102674755192009-05-25T20:26:03.808+05:302009-05-25T20:26:03.808+05:30मैं रोऊँ अपने कत्ल पर, या इस खबर पे रोऊँ मैं
कि का...मैं रोऊँ अपने कत्ल पर, या इस खबर पे रोऊँ मैं<br />कि कातिलों का सरगना तो हाय मेरा यार है<br /><br />ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की<br />वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है<br /><br />ye dono to adbhut sher hai...itna zyaada achha hai :)Sajal Ehsaashttps://www.blogger.com/profile/03532103149883910427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-70569541090736482562009-05-24T13:20:17.666+05:302009-05-24T13:20:17.666+05:30बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है जी आपने। हर शेर पसंद आ...बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है जी आपने। हर शेर पसंद आया। <br />"भरी-भरी निगाह से वो देखना तेरा हमें<br />नसों में जलतरंग जैसा बज उठा सितार है"<br /><br />पर इस सितार का संग़ीत कुछ ज्यादा ही भाया।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-64039733664753996212009-05-21T18:24:22.638+05:302009-05-21T18:24:22.638+05:30Wah gautam bhai, aap to chaa gaye.
-Zakir Ali ‘Raj...Wah gautam bhai, aap to chaa gaye.<br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-39727257378413502352009-05-21T01:50:33.483+05:302009-05-21T01:50:33.483+05:30"अर्श" said...
ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजू..."अर्श" said...<br />ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की<br />वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है<br /><br />अर्श भाई,<br />ये शेर आपको किसी और तरह से परेशान कर रहा होगा ....<br />और मुझे किसी और तरह से. कर रहा है......<br />दर्पण को भी कर रहा होगा....मेरी ही तरह से....<br />आज ज़रा ज्यादा ही तसल्ली से पढा है एक तो.....<br />एक कहावत है न के,,,,<br />हर किसी का टाइम होता है,,,,,<br />तो हर शेर का भी टाइम होता है,,,,,,,,,<br /><br />अगर कोई कड़का पढ़े तो उसका ध्यान और कहीं नहीं जाएगा,,,,,बस पूरी गजल पर बार बार यही दोहरता रहेगा ........<br />किसका क्या उधार है,,,,,,,,,<br /><br />वाह मेजर साहब,,,,,manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-46510619516478810322009-05-20T22:47:17.184+05:302009-05-20T22:47:17.184+05:30ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की
वो उलझनों...ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की<br />वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है<br /><br />GURU BHAEE YE SHE'R NAHAK HI MUJHE PARESHAAN KAR RAHAA HAI AUR AAPKO BHI PARESHAANI ME DAAL SAKTAA HAI KYUNKE AAPKI AGALI GAZAL JAB PADHUNGAA TO ISKE BARABAR KA SHE'R MUJHE CHAHIYE... KAM KA TO SAWAAL HI NAHI HAI...IS SHE'R KE NASHE SE MAIN UBAR NAHI PAA RAHAA HUN...BAHOT HI KAMAAL KA LIKHAA HAI AAPNE... DIL SE EK BAARI FIR SE KHUL KE DAAD DIYE JAATAA HUN...UPAR WAALAA AAPKO AISE HI GAHARE KHAYAALAAT DIYAA KARE... AAMEEN...<br /><br />ARSH"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-15126723211526020122009-05-20T14:36:23.504+05:302009-05-20T14:36:23.504+05:30EK-EK SHER AAPKE DIL KEE GAHRAAEE
SE NIKLAA HUA HA...EK-EK SHER AAPKE DIL KEE GAHRAAEE<br />SE NIKLAA HUA HAI.KAHTE HAIN JAB<br />KHOOBSOORAT CHEEZ SAAMNE AATI HAI TO<br />MUNH SE "BAHUT KHOOB" APNE AAP HEE<br />NIKALTAA HAI.MERAA BHEE YAHEE HAAL<br />HUA HAI.AAPKE HAR SHER PAR MERE<br />MUNH SE BHEE "BAHUT KHOOB"NIKLA HAI.YUN HEE SHER KAHTE RAHEN -<br />KHOOBSOORAT AUR LAAJAWAB.PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-8059571191481081222009-05-20T04:35:18.919+05:302009-05-20T04:35:18.919+05:30गौतम जी
ईमेल के लिए धन्यवाद। कुछ शारीरिक कारणों से...गौतम जी<br />ईमेल के लिए धन्यवाद। कुछ शारीरिक कारणों से नेट पर अधिक समय नहीं दे पाता हूं, इसीलिए काफ़ी दिनों से <br />आपकी रचनाओं पर टिप्पणी नहीं दे पाया। <br />ग़ज़ल पढ़कर अब यक़ीन हो गया है कि गुरू सुबीर की शिक्षा पूरा रंग ला रही है। दाद दिए बिना नहीं रह सका।<br />हर लफ़्ज़, हर शे'र क्या पूरी ग़ज़ल दिल को छूती हुई लगी। दाद क़ुबूल कीजिए।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-24075493443468192972009-05-19T17:52:00.000+05:302009-05-19T17:52:00.000+05:30ये क्या जगह है दोस्तों ये कौन सा दयार है
ये ब्लाग...ये क्या जगह है दोस्तों ये कौन सा दयार है <br />ये ब्लाग तेरा है कि,जहाँ,चल रही बयार है <br /><br />बधाईअनुपम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/14259746714891353242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-52795946918104277902009-05-19T17:05:00.000+05:302009-05-19T17:05:00.000+05:30ओह..! ये पोस्ट मुझे कल पता नही कैसे नही दिखी..!!! ...ओह..! ये पोस्ट मुझे कल पता नही कैसे नही दिखी..!!! :(<br /><br />और अब किस शेर को चुनूँ..?? क्या सारी पोस्ट ही कॉपी पेस्ट कर दूँ ??:)<br /><br />लेकिन ये है कि देर से आने का ये फायदा है कि शब्द लोगो से उधार ले सकती हूँ हरकीरत जी की <B>तरह दाद देके भी दिल नहीं भरता .....</B> और किशोर जी की तरह <B>जितना दिमाग लगाया है उससे भी ज्यादा दिल धड़क रहा है </B>मगर इन ग़ालिब चचा ने आपका क्या बिगाड़ा है, जो हर बार इनका चीर फाड़ कर देते हो वीर जी...! दुश्मनी लेने की आदत पड़ गई है क्या ??? :)कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-68705119676184966822009-05-19T12:49:00.000+05:302009-05-19T12:49:00.000+05:30Gautma ji rachna to pehle hi padh li thi par comme...Gautma ji rachna to pehle hi padh li thi par comment nahi kar paya, kyunki google reader main comment ka koi option hi nahi tha...<br /><br />..aaj waise hi kai dino baad blogging ke darshan hue.<br /><br />aur man main yahi prashn utha....<br />..mere liye bhi kya koi udas bekarar hai?<br />apke blog ka naya roop bhi accha laga...<br />Simple & sober....<br /><br />apke bhavishya main dillin agaman ki soochna bhi mili...<br /><br /><br />-Darpan Sahदर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-69659522462235883122009-05-19T11:26:00.000+05:302009-05-19T11:26:00.000+05:30आपकी प्रतिभा का जवाब नहीं
जितना दिमाग लगाया है उस...आपकी प्रतिभा का जवाब नहीं <br />जितना दिमाग लगाया है उससे भी ज्यादा दिल धड़क रहा है <br />ग़ज़ल के सब शेर उम्दा <br />कई सारे पसंद आये हैं इस लिए चुनाव मुश्किल है <br />ग़ालिब गौतम जी को नमस्ते !के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-64676804671013826192009-05-19T11:10:00.000+05:302009-05-19T11:10:00.000+05:30ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की
वो उलझनों...ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की<br />वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है<br /><br /><br />सुभान अल्लाह....पहाड़ की उस छोटी पे भी....मैदान की भूख ओर मौसम का अहसास ....शानदार सोचते हो....ओर बेमिसाल लिखते हो.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-33122181251326551422009-05-19T07:57:00.000+05:302009-05-19T07:57:00.000+05:30भरी-भरी निगाह से वो देखना तेरा हमें
नसों में जलतरं...भरी-भरी निगाह से वो देखना तेरा हमें<br />नसों में जलतरंग जैसा बज उठा सितार है<br /><br />ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की<br />वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है<br /><br />वाह ! वाह !! <br /><br />रिवायती असर भी है , कहन भी शानदार है <br />जदीद सोच की भी तर्जुमानी बरकरार है <br />सभी ने राए दी यही, मेरा भी ये विचार है <br />ग़ज़ल बड़ी haseen है,अज़ीम शाहकार है<br /><br />मुबारकबाद . . . .<br />---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-4654808576715692732009-05-18T23:47:00.000+05:302009-05-18T23:47:00.000+05:30ये जादू है लबों का तेरे या सरूर इश्क का
कि तू कहे ...ये जादू है लबों का तेरे या सरूर इश्क का<br />कि तू कहे है झूठ और हमको ऐतबार है<br /><br /><br /><br />गौतम जी बहुत सुन्दर गजल कही हम तो अभी ऐसा लिखने के बारे में सोंच भी नहीं सकते <br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-37921782410499022532009-05-18T21:00:00.000+05:302009-05-18T21:00:00.000+05:30ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की
वो उलझनों...ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की<br />वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है<br />wah wah.....शेफाली पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-41625332926153518012009-05-18T20:59:00.000+05:302009-05-18T20:59:00.000+05:30वाह -वाह क्या लिखते हो आप ,लगता नहीं था की वर्दी क...वाह -वाह क्या लिखते हो आप ,लगता नहीं था की वर्दी के अंदर शायर भी रह सकताdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com