tag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post4063900178762841031..comments2024-03-10T12:25:40.638+05:30Comments on पाल ले इक रोग नादां...: अब शहीदों की चिताओं पर न मेले सजते हैंगौतम राजऋषिhttp://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comBlogger81125tag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-54491493137899700742018-03-01T12:00:57.661+05:302018-03-01T12:00:57.661+05:30लेकिन सर,
असली शेर ये है
फुर्सत तो मुझे भी थी बहु...लेकिन सर,<br />असली शेर ये है<br /><br />फुर्सत तो मुझे भी थी बहुत वतन के लिए<br />पर जब पेट भर गया तो मुझे नींद आ गई।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17943976348948821808noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-25649859523810114232012-07-26T12:15:43.610+05:302012-07-26T12:15:43.610+05:30gautam bhaiya....behad umda ghazal hai... ek ek sh...gautam bhaiya....behad umda ghazal hai... ek ek sher kah raha hai ki bhoge hue yatharth se badhkar koi khayal nahi ho sakta.... kudoz.....<br /><br />swapnilस्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-55898880768352989712010-03-31T01:25:31.638+05:302010-03-31T01:25:31.638+05:30saare vichar aapki rachna ki tarah marmik hai aur ...saare vichar aapki rachna ki tarah marmik hai aur main ek katar se padhti jaa rahi thi sabhi ,aur gahre soch me padh gayi sach aankhe nam kar dene wali rachna hai ,is rachna ki itni tarif suni rahi ki dhoondh kar padhna padha ,main kya kahoon ?sirf mahsoos kar sakti hoon aapke saamne to yahan abhi bachchi hoon .sirf padhna aur sikhna hai .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-33110532839915442912010-02-27T15:14:29.138+05:302010-02-27T15:14:29.138+05:30पुरस्कार तो मज़ाक बन गये है, इनका कुछ नहीं हो सकता...पुरस्कार तो मज़ाक बन गये है, इनका कुछ नहीं हो सकता।<br /><br />गज़ल बहुत ही जबरदस्त है. सलाम आपको!<br /><br />सभी जाबांज शहीदों को सादर नमन।नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-31955281980909455462010-02-14T13:42:58.747+05:302010-02-14T13:42:58.747+05:30maalum nahi kyun par pata nahi ... laptop ke keybo...maalum nahi kyun par pata nahi ... laptop ke keyboard par ek tapki boond dekh aankho ko chua to paya ki "nam" hai.... aascharyajanak roop se SACH par behad kasila... shukriya aise man ke bhaavon ko shabd dene ke liye... aapse ek baar baat zaroor karna chahungi... mera email id hai tandon.reetika@gmail.com.Reetikahttps://www.blogger.com/profile/14264105272527267576noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-36254551939104017282010-02-10T19:50:50.076+05:302010-02-10T19:50:50.076+05:30मेजर सुरेश सूरी को कीर्तिचक्र, मेजर आकाशदीप को शौर...मेजर सुरेश सूरी को कीर्तिचक्र, मेजर आकाशदीप को शौर्यचक्र और मेजर ऋषिकेश रमानी को सेनामेडल से नवाजा गया है- तीनों के तीनों मरणोपरांत। ईश्वर जाने कौन-से इंच-टेप द्वारा इन तीन जांबाजों की बहादुरी को नापा गया...!!! वहीं दूसरी तरफ एक नौटंक, जो किसी करीना नामक बाला से इश्क लड़ाने के बाद बचे हुये समय में एक विदेशी कंपनी के बने आलू-चिप्स के नये फ्लेवर को तलाशने में गुजारता है, पद्मश्री ले जाता है। <br />क्या कहें, मेरा भारत महान ?<br />गज़ल बढिया है आपकी टीस को उजागर करती हुई ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-16386987574402380322010-02-07T22:27:33.103+05:302010-02-07T22:27:33.103+05:30फिर आये थे मेजर साब...
ग़ज़ल के लिए नहीं...
ग़ज़ल...फिर आये थे मेजर साब...<br /> ग़ज़ल के लिए नहीं...<br />ग़ज़ल तो याद है शायद आपसे भी ज्यादा.....<br /><br /><br />...पर कमेंट्स पर एक और नज़र डालनी थी...<br /><br />सो डाल ली...<br />:)manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-44115129675082227302010-02-07T21:30:44.060+05:302010-02-07T21:30:44.060+05:30पोस्ट के साथ कई दिन से हूँ.कई टिप्पणियाँ जटिल सवाल...पोस्ट के साथ कई दिन से हूँ.कई टिप्पणियाँ जटिल सवाल खड़े करती है.मथती है.पढता हूँ बार बार.<br /><br />जितना अपनी बात में कहा आपने उससे कई कई गुना ग़ज़ल कह जाती है.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-79830669020114839292010-02-07T00:45:11.493+05:302010-02-07T00:45:11.493+05:30मेजर साहब, बलिदान देना फौजियों का काम है और उंगली ...मेजर साहब, बलिदान देना फौजियों का काम है और उंगली कटवाकर शहीद बनना हमारे नेताओं का और हम सब भी इस पाप में भागीदार हैं। सरकारी अवार्डों की निष्पक्षता सब को मालूम है। जिन रणबांकुरों ने हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर कर दिये, उनके परिजनों की कोई नहीं सोचता और इस आधुनिक युग के ग्लैमर के देवता हर जगह बाजी मार जाते हैं। <br />लौबिईंग जिंदाबाद।<br /><br />जब कभी रोड पर मिलिट्री का काफिला गुजरता दिखाई देता है, बेटे को जोर से ’जय-हिंद’ बोलने के लिये कहता हूं और जब जवाब में कोई वर्दी वाला वेव करता है तो मुझे और मेरे बेटे को तो लगता है कि इससे बडा पुरस्कार हमारे लिये हो ही नहीं सकता। <br />जय हिंदसंजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-75598057340298092632010-02-06T12:26:01.431+05:302010-02-06T12:26:01.431+05:30har rachna ki tarah yeh bhi behtarin haihar rachna ki tarah yeh bhi behtarin haicrazy devilhttps://www.blogger.com/profile/06100139678344832458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-83024865204113406362010-02-04T17:46:00.131+05:302010-02-04T17:46:00.131+05:30मुर्तियाँ बन रह गये वो चौक पर, चौराहे पर
खींच लाये...मुर्तियाँ बन रह गये वो चौक पर, चौराहे पर<br />खींच लाये थे जो किश्ती मुल्क की मझधार से<br />Aapko padhna ek alag anubhav hota hai..kab shur karti hun aur kab khatm hota hai,pata nahee chalta!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-79719398351879481042010-02-04T15:44:36.845+05:302010-02-04T15:44:36.845+05:30गौतम जी , हम अपने जांबाजों को भूले नहीं हैं ... उन...गौतम जी , हम अपने जांबाजों को भूले नहीं हैं ... उनकी याद को दिल में रखे हुए अभी २६ जनवरी पर कार्यक्रम भी किया था ... जिसका मकसद हमेशा ही अपने बच्चों को इन बहादुर सैनिकों की शहादत को , उनकी बहादुरी को हमेशा याद रखना और उनका सम्मान करना होता है ...जिससे कि हम भी अपने बच्चों को आप जैसा बहादुर इंसान बनकर देश के लिए कुछ करने को प्रेरित कर सकें ... फिर भी अभी हमे बहुत से बदलाव कि जरूरतें हैं .... इस तरह के कार्यक्रम महज डांस और देशभक्ति गीत गा कर पूर्ण कर दिए जाते हैं ... <br />कई बार आपसे पूछने का सोचा कि २६ जनवरी पर दिए जाने वाले पदक किस आधार पर दिए जाते हैं .... किस तरह बहादुरी को आँका जाता है .... पदकों का क्रम तो पता था परन्तु वीरता का क्रम क्या है ...? <br />आपकी ग़ज़ल ने मुझे ही वो चीड का पेड बना दिया जो लाचार खड़ा गोलियों कि बोछार को देख रहा हो ... जिसमे कोई निर्दोष मारा गया ...... बदन में कंपकंपी सी उठती रही मगर आंसू धोखा दे रहे थे ....बस क्रोध की अग्नि जल रही थी <br /> ... समझ नहीं आता ये सियासती चालें कब तक हमारे भाई और बेटों का क़त्ल करवाती रहेंगी ... एक बार.. बस एक बार सब खली पीली बातें करने वाले नेताओं को अपनी वर्दी पहना कर अपनी जगह क्यूँ नहीं खड़ा कर देते हैं आप सब ... मंजर देख कर ही न उन्हें हार्ट अटैक हो जाये तो कहना .... क्यूँ बार बार ' अमन की आशा ' की पहल हम ही करें .... ताली दो हाथ से बजती है एक से नहीं ... दोस्ती करने के लिए भी कम से कम दो इंसानों का होना जरुरी है और दुश्मनी के लिए भी .,... हम ही क्यों दोस्ती की पहल करते हैं जबकि दूसरा दुश्मनी निभा रहा हो .... <br />बस पदक देकर और श्रधान्जली अर्पित कर हमारा कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता ... उनके परिवार को सीने से लगाओ तो जाने ... <br />" सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं <br />मेरी कोशिश है के ये सूरत बदलनी चाहिए ...."<br />आवेश में कुछ ज्यादा कह गयी हूँ तो क्षमा प्रार्थी हूँ ...Renu goelhttps://www.blogger.com/profile/13517735056774877294noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-57308820668180760022010-02-04T06:25:36.114+05:302010-02-04T06:25:36.114+05:30गौतम, तुम्हारी बात सही है साथ ही यह भी सच है कि कि...गौतम, तुम्हारी बात सही है साथ ही यह भी सच है कि किसी जांबाज़ ने जान देते समय पुरस्कार के बारे में नहीं सोचा होगा. वीरों के पुरस्कार पीछे छूटे लोगों के लिए होते हैं देने वालों के भी और लेने वालों के भी. उनकी तुलना सिर्फ लेने-देने वाले पुरस्कार से कैसे हो सकती है? <br /><br />आप लिखते रहें. जो साथ में लड़ नहीं सकते वे पढ़कर अपनापा महसूस कर सकते हैं और दूर से ही सही सैनिकों को प्रणाम तो कर ही सकते हैं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-47564376991006671052010-02-04T00:05:35.227+05:302010-02-04T00:05:35.227+05:30This is one of your Masterpieces, Gautam.
RCThis is one of your Masterpieces, Gautam.<br /><br />RCPritishihttps://www.blogger.com/profile/18027391149451748413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-66836851319600899452010-02-03T21:35:47.453+05:302010-02-03T21:35:47.453+05:30मैं कुछ भी कहना नहीं चाहता बस बहन जी की पहली टिपण...मैं कुछ भी कहना नहीं चाहता बस बहन जी की पहली टिपण्णी को अपना मान रहा हूँ ... वही आपके बारे में चाहता हूँ मैं भी स्वार्थी हूँ आपकेलिये ...और पिहू भाभी और अंकल और आंटी के लिए ...बस <br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-7013421354570180542010-02-03T15:09:25.670+05:302010-02-03T15:09:25.670+05:30यही थी हमारी ईमानदार और बेबाक टिप्पणीयही थी हमारी ईमानदार और बेबाक टिप्पणीसागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-78470515878695115522010-02-03T15:08:52.329+05:302010-02-03T15:08:52.329+05:30तीन दिनों से इस पोस्ट के साथ हूँ... लेकिन अब तक को...तीन दिनों से इस पोस्ट के साथ हूँ... लेकिन अब तक कोई राय नहीं बना पाया... दोनों पक्ष उतने ही उजले हैं... अँधेरे वाले भी और उम्मीद वाले भी... बेशर्मी से कहता हूँ हम नहीं रोये आपकी पोस्ट पढ़कर, और ये आदत अब हमें लगा लेनी चाहिए...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-70424364648193106502010-02-03T10:16:17.574+05:302010-02-03T10:16:17.574+05:30कल मैं कुछ तल्ख़ था, मानवीय कमजोरी समझिये... बात आप...कल मैं कुछ तल्ख़ था, मानवीय कमजोरी समझिये... बात आपकी ग़ज़ल पर कहनी चाहिए थी. कल की रात कार्यालय की पहली मंजिल के कमरे में बैठे हुए खिड़की से बाहर देखते और लेपटोप के स्क्रीन पर झांकते हुए बीती. एक कहानी मुझे कई दिनों से गुदगुदा रही थी किन्तु आपके पोस्ट पर लिखे गए निरर्थक ने मुझे कुछ और सोचने ना दिया. अब क्षमाप्रार्थी हूँ और यही कहना चाहता हूँ कि मैं इस पीढी के बेहतरीन और उम्मीदों भरे शायर से संवाद का सौभाग्य भोग रहा हूँ. जिनके सानिध्य से आप ग़ज़ल को संवार रहे हैं उनका नाम भी दुनिया में बना रहे और आपकी ग़ज़ल इस रहती दुनिया के बाद भी आबाद रहे.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-10034045965555420952010-02-02T23:35:48.454+05:302010-02-02T23:35:48.454+05:30व्यवस्था के प्रति आपका आक्रोश जायज़ है. ताज या नरी...व्यवस्था के प्रति आपका आक्रोश जायज़ है. ताज या नरीमन प्वाइंट के जांबाजों की शहादत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उस शहादत का आंखों देखा हाल मीडिया ने जनता तक पहुंचाया, लेकिन उन शहीदों को कोई जान भी नहीं पाता जो बर्फीले इलाकों में कितने कष्ट झेलते हुए देश के लिये शहादत देते हैं. लेकिन सच मानिये गौतम जी, जब यहां भीषण ठंड पड रही थी , तब मुझे कश्मीर, कारगिल और लेह जैसी सीमाओं पर तैनात जवानों की ही याद आई.<br />गज़ल का हर शेर तकलीफ़ बयान कर रहा है-<br /> मुट्ठियाँ भीचे हुये कितने दशक बीतेंगे और<br />क्या सुलझता है कोई मुद्दा कभी हथियार से<br />कितने स्पष्ट भावों को सम्प्रेषित कर रही है ये गज़ल.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-73424610388911501362010-02-02T22:05:05.077+05:302010-02-02T22:05:05.077+05:30कई बार रचना इस तरह प्रभावित करती है कि तुरंत कोई भ...कई बार रचना इस तरह प्रभावित करती है कि तुरंत कोई भी टिप्पणी नहीं करते बनती.आँखों पे नमी भारी हो जाती है. आपकी चोट खायी लेखनी ने ऐसा असर किया कि कुछ लिखते न बना.अब बिना पोस्ट पढ़े लिख रही हूँ.या ग़ज़ल से नज़रे छुपा के लिख रही हूँ.जब चीड़ के जंगल ही नहीं भूल पाएंगे तो कोई और कैसे भूले भला.<br />बैठता हूँ जब भी "गौतम" दुश्मनों की घात में<br />रात भर आवाज देता है कोई उस पार से.<br /><br />उनकी आवाज़े बेचैन सी करती है,<br /><br />कैफ़ी आजमी -<br />हो जो मेरी तरह जिया करते है,कब मरते है.<br />थक गया हूँ,मुझे सो लेने दो, रोते क्यूँ हो.<br />सोके भी जागते रहते है,जांबाज़ ,सुनो.डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-77138196021696661582010-02-02T18:16:40.076+05:302010-02-02T18:16:40.076+05:30i missed you on 26 jan maj gautam its because of p...i missed you on 26 jan maj gautam its because of people like you we celebrate all these days with such pomp and show thank youAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-67563661349354329602010-02-02T18:02:05.220+05:302010-02-02T18:02:05.220+05:30मरणोपरांत.......मोहित शर्मा को अशोक चक्र......!
जम...मरणोपरांत.......मोहित शर्मा को अशोक चक्र......!<br />जम्मू कश्मीर के हफरुदा जंगल चीड के पेड़ों के बीच आतंकियों के साथ एक मुठभेड़ में शहीद हुए माहित को अशोक चक्र मिलना देश की श्रद्धांजलि जरूर है.........मगर मेजर साहब आपके सवालात सीने के आर पार हो गए..........!<br />पैमाना तो खैर कोई क्या जाने बहदुरी के..............!<br />ग्लैमर का जोर है..........सो यह विषंगति यहाँ भी होगी...........मगर एक बात कहूँगा..............हमारे दिल में जो इज्ज़त सरहद पर जान को देने वालों के लिए है क्या वो कभी पापड़-चिप्स-फेयरनेस क्रीम बेचने वाले ले पाएंगे.........? कभी नहीं......! <br />"...इधर इन समस्त विसंगतियों की वजह से ये अचानक मेरे बाँयें हाथ में टीस क्यों बढ़ आती है? जाने क्यों...??"<br />समझ सकता हूँ दोस्त............!<br />ग़ज़ल के बोल और अभिव्यक्ति मन को छू गयी......देर तक जाने क्या क्या सोचता रहा.......! मेजर साहब आप वाकई कलम और कलेजे दोनों के धनी हैं...!<br /><br />चीड़ के जंगल खड़े थे देखते लाचार से<br />गोलियाँ चलती रहीं इस पार से उस पार से..........<br /><br />मिट गया इक नौजवां कल फिर वतन के वास्ते<br />चीख तक उट्ठी नहीं इक भी किसी अखबार से<br /><br />सच है मेजर..........शहीद अखवारों की रीडरशिप नहीं बढ़ाते.....तो अखवार बहला उन्हें क्यों छापें ?<br /><br />बैठता हूँ जब भी "गौतम" दुश्मनों की घात में<br />रात भर आवाज देता है कोई उस पार सेPawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-69350443591754237712010-02-02T18:01:27.225+05:302010-02-02T18:01:27.225+05:30@ktheleo
my sincere apology...it was a blunder.in...@ktheleo<br /><br />my sincere apology...it was a blunder.in your comment, i could see only "mahamaheem" and didn't notice the word "laal kila"...necessary amendments have been done.<br /><br />thanx for tolerating me!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-44351199002584177532010-02-02T15:49:51.724+05:302010-02-02T15:49:51.724+05:30itihaas ne bahut se bahaduro ko na keval nazaranda...itihaas ne bahut se bahaduro ko na keval nazarandaaj kiyaa he balki unhe bhulaa hi diya he..abhi pichhale dino me 'aazaadi ki kaal kothari' namak pustak padhh rahaa tha jisame asankhya veero ka koi ata pataa nahi, kintu sahi mayano me hame unhi ki shahadat se aazaadi mili. kher..ab afsos nahi kartaa me esaa hone se..yah durbhagya he is desh ka..,kintu apne star par is durbhagya ko me nahi dhhota..,jitani aoukaat he meri..us lihaaz se yaad bhi rakhataa hu aour apna kartavya bhi nibhataa hu...thik usi tarah jis tarah se gumnaam ho gaye mere vishudhdha deshpremi. <br />....aour shaayad un purskaaro me pdam purskaar dekh kar hi me bahut jalaa..apni jalan ko kavita ke roop me prakat bhi kia he blog par, kyoki blog hi madhyam he jnhaa apni aatmaa ko utaar sakataa hoo. <br />aapki gazal aur aapke bhaav dono mere liye tirange ki tarah he.अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2664283281552350964.post-47951234623832134002010-02-02T15:39:47.381+05:302010-02-02T15:39:47.381+05:30राज साहब
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल लिखी है
दिल की किस ग...राज साहब <br />बहुत ही उम्दा ग़ज़ल लिखी है<br />दिल की किस गहराई से लखी है इस का सिर्फ<br />अनुमान ही लगाया जा सकता है|<br />बहुत दर्द है रचना में<br />हर शेर काबिले तारीफ है |<br />अब शहीदों की चिताओं पर न मेले सजते हैं<br />है कहाँ फुरसत जरा भी लोगों को घर-बार से<br />बिलकुल सही कहा अपने <br />आपको एक जोरदार सेल्यूटPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.com